प्यार और जंग में सब जायज नहीं

जियो सिनेमा पर 29 मई से प्रदर्शित होने वाली अपनी वेब सीरीज इललीगल 3 के प्रमोशन में व्यस्त नेहा ने कहा कि मुझे राजनीति से प्यार है

May 24, 2024 - 19:59
May 28, 2024 - 17:08
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प्यार और जंग में सब जायज नहीं

प्यार और जंग में सब जायज नहीं

पिछले दिनों अभिनेत्री नेहा शर्मा बिहार की भागलपुर सीट से चुनाव लड़ रहे अपने पिता अजीत शर्मा के लिए चुनाव प्रचार करती नजर आई थीं। खबरें थीं कि नेहा भी राजनीति में उतर सकती हैं, पर नेहा का सोच स्पष्ट है।

जियो सिनेमा पर 29 मई से प्रदर्शित होने वाली अपनी वेब सीरीज इललीगल 3 के प्रमोशन में व्यस्त नेहा ने कहा कि मुझे राजनीति से प्यार है, लोगों की सेवा करना चाहती हूं, लेकिन अभी अभिनय में व्यस्त हूं। जब मैं राजनीति में उतरूंगी, तो अभिनय नहीं करूंगी।

इललीगल 3 के ट्रेलर में एक संवाद है कि मैं अपनी महत्वाकांक्षाओं के लिए किसी से माफी नहीं मांगूंगी। इस तरह का सोच जीवन में कितना काम आता है? नेहा कहती हैं कि यह अच्छी चीज है, जो आपको लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।

हालांकि मैं हमेशा से इस बात पर भरोसा करती आई हूं कि सही लक्ष्य तक पहुंचने का रास्ता भी सही होना चाहिए। लोग कहते हैं कि प्यार और जंग में सब जायज है, लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता। मेरे लिए पहला सवाल यही होता है कि क्या कोई काम करने के बाद रात में नींद अच्छी आई है। मेरे लिए सही तरीके से लक्ष्य तक पहुंचना मायने रखता है।

कुछ लोग यह भी कहते हें

युद्ध और प्यार में सब जायज है....क्या यह कहना उचित है ??

एक अंग्रेजी कहावत है.....All is fair in LOVE and WAR जिसको हिंदी में कहा जाता है कि ...युद्ध और प्यार में सब जायज है......युद्ध में तो बात सही लगती हैं कि सब जायज है...पर क्या प्यार में भी सब जायज है ...मुझे समझ नहीं आता.....आप लोगो का क्या कहना हैं .....

युद्ध में तो येन-केन-प्रकारेन जीतना समझ आता है ...जिसमे जीतना ही एकमात्र लक्ष्य होता है ...अगर युद्ध देश के लिए हो तो उसमें जीत के लिए चाहे कुछ गलत काम भी किये जाए तो जायज़ समझे जाते है ....क्योकि बात देश की होती हैं...पर क्या प्यार में कुछ गलत करके प्यार को जीता सकता है .....अगर जीत भी लिया तो...क्या दिल उसे पुरे जीवन स्वीकार करेगा .....क्या जोर जबरदस्ती भी प्यार को पाने में जायज हैं ...अगर ऐसा है तो राम और रावन में क्या फरक रह जायेगा.......

एक बात बहुत सीधी सी है कि...किसी का प्यार पाना एक बात है ...पर प्यार करने वाले को ही पाना एक दूसरी बात...प्यार पाना मतलब आप दिल से कोई काम करेंगे ...पर अगर उस इंसान को ही पाने की कोशिश की जायेगी...तो दिमाग का इस्तेमाल होगा...और दिमाग को तो बस काम पूरा करना होता हैं.....उसे जीतना होता है...हार उसे पसंद नहीं ..इसलिए बस उसके सामने लक्ष्य होता हैं...इस केस में ऊपर वाली बात सही होगी...कि प्यार और युद्ध में सब जायज है ....और दिमाग उसी कोशिश में युद्ध की तरह योजनाये बनाता रहेगा ..दुसरे की कमजोरियों को निशाना बनाकर ...किसी को तोडना और उसे हराकर अपना बनाने की कोशिश तब तक करना .....जब तक की वो उस इंसान को पा ही न ले....इस से उस इंसान को तो पाया जा सकता है..पर क्या उसका प्यार भी पाया जा सकता है .....क्या वो प्यार कामयाब हो सकता है ....मेरा तो मानना है नहीं ...आपका क्या मानना है ??

प्यार का मतलब सिर्फ प्यार नहीं हैं ...इसमें प्यार करना , ख्याल रखना, हर चीज साझा करना , और समर्पण भाव के साथ हर चीज दे देना....इंग्लिश में भी ऐसे ही कहा जाता है ..LOVE means...Loving , caring , sharing and unconditional giving ......तो All is fair in love and war ..में प्यार को युद्ध के साथ कैसे जोड़ा जा सकता है ...युद्ध में सिर्फ जीत होती है...और हार कर आदमी ख़त्म हो जाता हैं...पर प्यार में इंसान अपने को हार कर भी जीत जाता है......

तो बेहतर होगा कि प्यार को प्यार ही रहने दे...उसे किसी भी तरह से युद्ध के साथ जोड़ने की कल्पना भी न करे..क्योकि 'प्यार' की 'शक्ति' ...या .....'शक्ति' से 'प्यार'...दोनों में फ़र्क होता है ...इसलिए बस प्यार को महसूस करे

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