सैनिक शब्द ही रगों में जोश जगाने वाला है – राज्यपाल हरिभाऊ बागडे

अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के 26वें वार्षिक अधिवेशन का शुभारंभ जयपुर, 20 दिसंबर 2025। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि सैनिक कभी पूर्व नहीं होता। वह जब सेना में नहीं भी होता है तो राष्ट्र निर्माण में भागीदारी निभा रहा होता है। सैनिक शब्द ही रगों में जोश जगाने वाला है। सैनिक उसी […] The post सैनिक शब्द ही रगों में जोश जगाने वाला है – राज्यपाल हरिभाऊ बागडे appeared first on VSK Bharat.

Dec 22, 2025 - 08:56
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सैनिक शब्द ही रगों में जोश जगाने वाला है – राज्यपाल हरिभाऊ बागडे

अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के 26वें वार्षिक अधिवेशन का शुभारंभ

जयपुर, 20 दिसंबर 2025।

राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि सैनिक कभी पूर्व नहीं होता। वह जब सेना में नहीं भी होता है तो राष्ट्र निर्माण में भागीदारी निभा रहा होता है। सैनिक शब्द ही रगों में जोश जगाने वाला है। सैनिक उसी पथ को चुनते हैं जो वीरता से जुड़ा होता है। मां भारती के लिए सर्वस्व समर्पण ही उनका एकमात्र लक्ष्य होता है।

राज्यपाल शनिवार को आर्मी एरिया ऑडिटोरियम में अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के 26वें वार्षिक अधिवेशन के शुभारंभ समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने पूर्व सैनिकों एवं उनके परिवारजनों के कल्याण, सम्मान और राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि सैनिकों के परिजनों के लिए भी सबको मिलकर कार्य करना चाहिए। उन्होंने अखिल भारतीय पूर्व सैनिकों की सामाजिक सेवा, देशभक्ति, राष्ट्रीय एकता तथा युवाओं को राष्ट्रसेवा के लिए प्रेरित करने जैसे क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका की सराहना की।

वैचारिक चुनौतियों से निपटने के लिए समाज को जागरूक होना होगा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह-प्रचार प्रमुख प्रदीप जोशी जी ने कहा कि विश्व बहुत तेज़ी से बदल रहा है और संघर्षों के स्वरूप भी निरंतर बदलते जा रहे हैं। पिछली शताब्दी में दो विश्व युद्ध हुए, फिर विचारधाराओं की लड़ाई सामने आई। चाहे वह कम्युनिज्म हो या पूंजीवाद। ऊपर से शांति, प्रेम और मानवता की बात की जाती है, लेकिन भीतर ही भीतर दुनिया पर नियंत्रण और स्वामित्व की होड़ चलती रहती है। जब दुनिया सजग होती है तो ये शक्तियां अपना रूप बदल लेती हैं, जैसे पुराणों में राक्षस अलग-अलग वेश धारण करते थे। कभी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं, कभी वैश्वीकरण, कभी व्यापार और टैरिफ के नाम पर वही खेल चलता रहता है।

उन्होंने कहा कि आज विश्व के सामने दो बड़े संघर्ष स्पष्ट दिखाई देते हैं। सभ्यताओं का संघर्ष और उपभोक्तावाद। इसके प्रभाव हमारे पड़ोसी देशों बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और म्यांमार में दिखते हैं और भारत में भी ऐसी कोशिशें की जा रही हैं। इसके पीछे योजनाबद्ध फंडिंग, डिजाइन और इकोसिस्टम काम करता है। ऐसे समय में एक संगठन, एक नागरिक और विशेष रूप से पूर्व सैनिक के रूप में हमारा दायित्व बनता है कि हम सजग रहें और समाज को दिशा दें।

उन्होंने कहा कि भारत गुलामी की मानसिकता से निकलकर तेज़ी से विकसित राष्ट्र बनने की ओर बढ़ रहा है। इस परिवर्तन के लिए सोच, व्यवहार और दृष्टिकोण में बदलाव जरूरी है। वैचारिक संघर्ष के इस दौर में नई पीढ़ी को जोड़ना, सकारात्मक विमर्श खड़ा करना, समाज की कमजोर कड़ियों पर काम करना और जो अच्छा चल रहा है, उसकी गति बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। विकसित भारत केवल सरकार का नहीं, बल्कि समाज की सहभागिता से ही साकार होने वाला लक्ष्य है।

वीरों की धरती से राष्ट्रसेवा का आह्वान

अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल वीके चतुर्वेदी, पीवीएसएम, वीएसएम, एसएम ने सभी का अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि राजस्थान वीरों की धरती है। मेजर शैतान सिंह, पीरू सिंह, महाराणा प्रताप और राणा सांगा जैसे महान योद्धाओं की भूमि है। हाड़ा रानी, पन्ना धाय के त्याग, तपस्या और सर्वोच्च बलिदान की कथा आज भी हमें प्रेरणा देती है। ऐसे वीरों की भूमि पर एकत्र होना हम सभी के लिए गौरव का विषय है।

अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद भारत सरकार से मान्यता प्राप्त पूर्व सैनिक संगठन है, जिसमें सेना, नौसेना और वायुसेना के पूर्व सैनिक जुड़े हैं। संगठन की विशेषता इसका अखिल भारतीय विस्तार है। अरुणाचल प्रदेश से लेकर केरल, मणिपुर, नागालैंड, मेघालय, असम, गुजरात और जम्मू-कश्मीर तक इकाइयां कार्यरत हैं।

उन्होंने संगठन के मूल मंत्र को दो पंक्तियों में समेटते हुए कहा कि हम भारत के पूर्व सैनिक नई प्रेरणा लाए हैं, राष्ट्र की रक्षा करते थे, अब इसे सजाने आए हैं। आज संस्था से लगभग एक लाख चालीस हजार पूर्व सैनिक जुड़े हैं और मातृशक्ति भी सक्रिय भूमिका निभा रही है। राष्ट्र प्रथम, राष्ट्र सम्मान और राष्ट्र सेवा को सर्वोपरि बताते हुए उन्होंने राज्यपाल की उपस्थिति को प्रेरणास्रोत बताया और भारत को यश-कीर्ति के शिखर पर ले जाने का संकल्प दोहराया।

समारोह में देशभर से पूर्व सैनिक, रक्षा विशेषज्ञ एवं समाज के विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधियो ने भाग लिया। इस दौरान परिषद की स्मारिका का भी लोकार्पण किया।

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