संजौली मस्जिद को लेकर शिमला नगर निगम आयुक्त कोर्ट का निर्णय बरकरार; जिला अदालत ने कहा निर्माण अवैध

शिमला। राजधानी के संजौली क्षेत्र में स्थित विवादित मस्जिद के निर्माण को लेकर गुरूवार को जिला अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने नगर निगम आयुक्त की अदालत (एमसी कोर्ट) द्वारा 3 मई 2025 को दिए आदेश को बरकरार रखते हुए मस्जिद की निचली दो मंजिलों को गिराने के निर्देश दिए। साथ ही, हिमाचल प्रदेश […] The post संजौली मस्जिद को लेकर शिमला नगर निगम आयुक्त कोर्ट का निर्णय बरकरार; जिला अदालत ने कहा निर्माण अवैध appeared first on VSK Bharat.

Oct 31, 2025 - 08:30
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संजौली मस्जिद को लेकर शिमला नगर निगम आयुक्त कोर्ट का निर्णय बरकरार; जिला अदालत ने कहा निर्माण अवैध

शिमला। राजधानी के संजौली क्षेत्र में स्थित विवादित मस्जिद के निर्माण को लेकर गुरूवार को जिला अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने नगर निगम आयुक्त की अदालत (एमसी कोर्ट) द्वारा 3 मई 2025 को दिए आदेश को बरकरार रखते हुए मस्जिद की निचली दो मंजिलों को गिराने के निर्देश दिए। साथ ही, हिमाचल प्रदेश वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी की याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि यह निर्माण बिना वैध अनुमति के किया गया है और नगर निगम के निर्माण नियमों का स्पष्ट उल्लंघन करता है।

जिला अदालत ने अपने आदेश में कहा कि “मस्जिद का निर्माण नगर निगम शिमला से अनुमति लिए बिना किया गया है। यह भवन उपयुक्त कानूनी प्रक्रिया के बिना खड़ा किया गया है, जो स्पष्ट रूप से नगर निगम अधिनियम का उल्लंघन है।” अदालत ने कहा कि एमसी कोर्ट द्वारा पहले पारित आदेश सही है और उन्हें यथावत रखा जाएगा।

संजौली मस्जिद का निर्माण लंबे समय से विवादों में रहा है। वर्ष 2024 में नगर निगम शिमला ने मस्जिद परिसर में किए अतिरिक्त निर्माण को लेकर जांच शुरू की थी। 5 अक्तूबर 2024 को एमसी कोर्ट ने निर्माण को अवैध घोषित करते हुए ऊपरी मंजिलों को गिराने का आदेश दिया था। इसके बाद 3 मई 2025 को नगर निगम आयुक्त ने मस्जिद की निचली दो मंजिलों को भी गैरकानूनी करार देते हुए ध्वस्तीकरण का आदेश जारी किया।

इन आदेशों के खिलाफ हिमाचल प्रदेश वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी ने जिला अदालत में अपील दायर की थी। उनका कहना था कि निर्माण धार्मिक संस्था के अंतर्गत आता है और इसे वक्फ बोर्ड की देखरेख में वैध माना जाना चाहिए। हालांकि, अदालत ने पाया कि वक्फ बोर्ड द्वारा कोई भी मान्य अनुमति या स्वीकृति दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए। अदालत ने यह भी कहा कि धार्मिक संस्थानों को भी निर्माण संबंधी नियमों का पालन करना अनिवार्य है।

जिला अदालत के निर्णय के तुरंत बाद देवभूमि संघर्ष समिति और कई स्थानीय संगठनों ने इसे कानून की जीत बताया। समिति के सदस्यों ने संजौली क्षेत्र में लड्डू बांटकर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि यह फैसला न्यायपालिका में जनता के विश्वास को मजबूत करता है। समिति के अध्यक्ष जगत पाल ने कहा, कोई भी संस्था कानून से ऊपर नहीं है। अवैध निर्माण, चाहे वह किसी भी धर्म या समुदाय से जुड़ा हो, उसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

उल्लेखनीय है कि यह मामला 2024 में तब सुर्खियों में आया, जब मल्याणा-संजौली क्षेत्र में एक झगड़े के बाद तनाव बढ़ गया था। उस समय मस्जिद परिसर में कुछ युवकों के छिपने की अफवाहें फैलने से माहौल गर्मा गया था। इसके बाद स्थानीय संगठनों ने प्रदर्शन किए। इस बीच निगम निगम आयुक्त कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई और मस्जिद निर्माण को अवैध ठहराते हुए इसे गिराने के आदेश दिए थे।

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