लखनऊ की बेटी हैं विंग कमांडर व्योमिका सिंह, जिन्‍होंने ऑपरेशन सिंदूर में दिखाई नारी शक्ति

लखनऊ की बेटी विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने नई दिल्ली में ऑपरेशन सिंदूर पर एक महत्वपूर्ण ब्रीफिंग दी। एक कुशल हेलीकॉप्टर पायलट, व्योमिका 'नारी शक्ति' का प्रतीक हैं और उन्होंने बताया कि कैसे उनके नाम ने उन्हें पायलट बनने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने प्रतिकूल परिस्थितियों में भी वीरतापूर्वक देश की सेवा की है।

May 8, 2025 - 04:47
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लखनऊ की बेटी हैं विंग कमांडर व्योमिका सिंह, जिन्‍होंने ऑपरेशन सिंदूर में दिखाई नारी शक्ति
अरविंद चौहान, लखनऊ: लखनऊ के लिए यह गर्व का क्षण था। विंग कमांडर व्योमिका सिंह नई दिल्ली में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के लिए एक उच्च-प्रोफाइल ब्रीफिंग में आत्मविश्वास से खड़ी थीं। उन्होंने के बारे में विस्तार से जानकारी दी, जो भारत द्वारा पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई हवाई कार्रवाई थी। इस ब्रीफ‍िंग में उनके साथ थे विदेश सचिव विक्रम मिसरी और कर्नल सोफिया कुरैशी। लखनऊ मूलत: लखनऊ की हैं और एक कुशल हैं। उनके नाम का अर्थ है का अर्थ है 'आकाश की बेटी' और की इस प्रेस ब्रीफिंग में वह 'नारी शक्ति' के प्रतीक के रूप में मंच पर थीं। वह इस बात का भी प्रतीक हैं कि संकट के समय में महिलाएं वीरता के साथ देश की सेना का नेतृत्व कर रही हैं।भारतीय वायु सेना में 18 दिसंबर, 2004 को 21वें शॉर्ट सर्विस कमीशन के रूप में कमीशन प्राप्त करने वाली सिंह 13 वर्षों में (2017 में) विंग कमांडर के पद तक पहुंचीं। उन्हें दिसंबर 2019 में स्थायी कमीशन मिला। एक अनुभवी हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में, वह चेतक और चीता हेलीकॉप्टरों को चलाने में माहिर हैं और उनके पास 2,500 घंटे से अधिक का उड़ान अनुभव है। वह पिछले कई वर्षों से दिल्ली में रह रही हैं। उनका विवाह भी एक IAF पायलट से हुआ है। विंग कमांडर सिंह ने 2023 में एक पैनल चर्चा के दौरान अपने बचपन के एक महत्वपूर्ण क्षण को साझा करते हुए बताया था कि कैसे उनके नाम ने उनके भाग्य को शक्‍ल दी। उन्होंने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, 'मैं कक्षा 6 में थी जब मुझे यह एहसास हुआ। हम कक्षा में नामों के अर्थ पर चर्चा कर रहे थे। मेरा नाम व्योमिका है, व्योम का अर्थ है आकाश। एक लड़की ने चिल्लाकर कहा, तुम्‍हारा नाम व्योमिका है, इसका मतलब हुआ आकाश की स्‍वामी । बस उस दिन से, मैं पायलट बनना चाहती थी। व्‍योमिका आगे कहती हैं, यह 1991-92 की बात है। स्कूल में पढ़ते हुए, मैंने एम्प्लॉयमेंट न्यूज देखी जहां एक विज्ञापन ने मुझे दुखी कर दिया क्योंकि उसमें लिखा था कि केवल अविवाहित पुरुष उम्मीदवार ही पायलट बन सकते हैं। लेकिन 1990 के दशक की शुरुआत में जगी उस चिंगारी ने एक ऐसी यात्रा शुरू की, जिसने उन्हें असाधारण ऊंचाइयों तक पहुंचाया। 'इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष के दौरान, मुझे पता चला कि महिलाएं UPSC के माध्यम से शॉर्ट सर्विस कमीशन के लिए एक प्रतियोगी परीक्षा देकर पायलट बन सकती हैं। मैंने अकादमी में पायलट कोर्स पास किया, मुझे विंग्स से सम्मानित किया गया, और मैं एक हेलीकॉप्टर पायलट बन गई। उसके बाद, मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। यह एक उतारचढ़ाव भरा अनुभव था, खासकर एक हेलीकॉप्टर पायलट होने के नाते मैं कई तरह की भूमिकाएं निभाती थी। मैंने समुद्र तल से लेकर 18,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरी है,' उन्होंने आगे कहा।विंग कमांडर सिंह ने कहा, 'मैंने कई हताहतों को निकाला है और एक व्यक्ति को छोड़कर दूसरे को ले जाने और फिर अगले दिन वापस आने के फैसले लिए हैं, जबकि मैं खराब मौसम का सामना कर रही थी।'

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