भारत और पाकिस्तान के तनाव ने इन लोगों की बढ़ाई मुश्किलें, काम-धंधा छोड़ वापस गांव लौट रहे

India and Pakistan Tension: भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। इसका असर सीमा से लगे राज्यों के उद्योगों पर पड़ रहा है। बहुत से मजदूर काम छोड़कर अपने गांव वापस जा रहे हैं। इससे उद्योगों को नुकसान हो रहा है।

May 13, 2025 - 07:22
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भारत और पाकिस्तान के तनाव ने इन लोगों की बढ़ाई मुश्किलें, काम-धंधा छोड़ वापस गांव लौट रहे
नई दिल्ली: के बीच तनाव का असर प्रवासी मजदूरों पर भी पड़ा है। दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने की आशंका के बीच हजारों जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा और गुजरात से चले गए हैं। ने भले ही सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति जता दी है, लेकिन , औद्योगिक केंद्र, और अन्य कारोबार पर कुछ असर पड़ा है। इसका सबसे बड़ा कारण यहां काम करने वाले प्रवासी मजदूरों का यहां से चले जाना है। इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार जम्मू चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष अरुण गुप्ता ने कहा, 'हमारी औद्योगिक इकाइयों में करीब 55% मजदूर गैर-स्थानीय हैं, जो लगभग 200,000 हैं। इनमें से करीब 25 से 30% पिछले दो हफ्तों में चले गए हैं। इससे यहां उद्योग पर असर पड़ा है।' हालांकि इंडस्ट्री को उम्मीद है कि हालात जल्दी सामान्य होंगे मजदूर काम पर लौटेंगे।

कहां-कहां पड़ा ज्यादा प्रभावित

जम्मू शहर और तीर्थ शहर कटड़ा में होटल इंडस्ट्री का कामकाज प्रभावित हुआ है। ऑल जम्मू होटल एंड लॉजेस एसोसिएशन के अध्यक्ष इंद्रजीत खजूरिया ने कहा, 'जम्मू क्षेत्र में 1,000 होटल और लॉज हैं जो लगभग 10,000 लोगों को रोजगार देते हैं। उनमें से 50% प्रवासी हैं। वे सभी के बाद चले गए हैं।' लासीपुरा औद्योगिक संघ के महासचिव सरवर मलिक ने कहा कि कश्मीर घाटी में पुलवामा के लासीपुरा इंडस्ट्रियल ग्रोथ सेंटर में करीब 800 औद्योगिक यूनिट हैं। साथ ही यहां सेब के लिए सबसे बड़ी कोल्ड स्टोरेज सुविधा है। ये सब प्रभावित हुए हैं क्योंकि 6,000 प्रवासी मजदूरों में से बड़ी संख्या में मजदूर चले गए हैं। सरवर मलिक की कंपनी प्रोएक्टिव पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर ने एक सप्ताह से अधिक समय से उत्पादन बंद कर दिया है। उन्होंने कहा कि कोई खरीदार नहीं है और स्टॉक जमा हो गया है। बाजार से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है।

टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज पर भी असर

सूरत की टेक्सटाइल यूनिट के लिए भी स्थिति ऐसी ही है। कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स की टेक्सटाइल कमेटी के अध्यक्ष चंपालाल बोथरा ने कहा कि 300,000 से अधिक प्रवासी मजदूरों में से लगभग 75,000 चले गए हैं। प्रवासी मजदूरों का एक वर्ग आमतौर पर खरीफ की बुवाई के मौसम से पहले हर साल अपने गांवों में जाता है। बोथरा ने कहा कि इस बार वे बढ़ते तनाव के कारण जल्दी जा रहे हैं। वे अपने परिवार के साथ रहना चाहते हैं।

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