बलूचों का स्वतंत्रता संग्राम, क्या पाकिस्तान से अलग होकर रहेगा बलूचिस्तान? जानिए कैसे आजादी की लड़ाई नाजुक मोड़ पर पहुंची

पाकिस्तान के अखबार डॉन ने भी अपने संपादकीय में माना है कि "बलूचिस्तान में स्थायी शांति तभी आ सकती है जब सुशासन हो, प्रांत के लोगों को इसकी खनिज संपदा और अन्य संसाधनों में हिस्सा मिले और निवासियों के वास्तविक प्रतिनिधियों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की इजाजत दी जाए।"

Mar 13, 2025 - 09:03
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बलूचों का स्वतंत्रता संग्राम, क्या पाकिस्तान से अलग होकर रहेगा बलूचिस्तान? जानिए कैसे आजादी की लड़ाई नाजुक मोड़ पर पहुंची
इस्लामाबाद: बलूचिस्तान में ट्रेन अपहरण कांड के बाद अब बलूचों की आजादी की लड़ाई नाजुक मोड़ पर पहुंच गई है। बलूचों ने ठान लिया है कि वो आजादी हासिल करके रहेंगे। लेकिन अब पाकिस्तान भी खतरनाक पलटवार करेगा और इसमें सैकड़ों लोगों का मारा जाना तय है। पाकिस्तानी सेना इतिहास में ऐसा कर चुकी है। वो अपनी ही अवाम पर बम बरसाने से परहेज नहीं करती। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में दीपांजन राय चौधरी ने लिखा है कि "ट्रेन हाईजैक बलूच विद्रोह के एक नाज़ुक दौर में हुई है। बलूच लोग लंबे समय से अपनी अलग पहचान और अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। इस हाईजैकिंग से पता चलता है कि बलूचिस्तान में हालात कितने गंभीर हैं।" हालांकि पाकिस्तान की सेना ने दावा किया है ऑपरेशन खत्म हो गया है और बंधक बनाए गये सभी 155 यात्री बचा लिए गये हैं। सेना का दावा है कि बलोच विद्रोहियों में से 27 मारे गए हैं। लेकिन बलूच विद्रोहियों ने दावा किया है कि पाकिस्तान की सेना झूठ बोल रही है। बीएलए का दावा है कि 154 जवान अभी भी बंधक हैं और सभी के सभी उनके कब्जे में है। लिहाजा सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या पाकिस्तानी सेना अपना चेहरा बचाने के लिए झूठ बोल रही है? पाकिस्तान रेलवे के अधिकारियों ने बताया है कि जाफर एक्सप्रेस में करीब 750 यात्रियों ने टिकट बुक कराई थी। लेकिन क्वेटा से ट्रेन लगभग 450 लोगों के साथ रवाना हुई। सूत्रों के मुताबिक, 200 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी भी उसी ट्रेन में सफर कर रहे थे।नाजुक दौड़ में पहुंची बलूचों की आजादी की लड़ाईइकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में एक डिफेंस एक्सपर्ट ने कहा कि "बलूचिस्तान 1948 के बाद से अब तक चार विद्रोह के दौर देख चुका है। इस समय बलूचिस्तान अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। यह दौर बलूचिस्तान के इतिहास और पंजाबी बहुल पाकिस्तान की शासन व्यवस्था के साथ उसकी लड़ाई में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।" वहीं ईटी को एक सूत्र ने बताया कि ट्रेन को हाईजैक करने की इस घटना से ISI और पाकिस्तानी सेना की खुफिया नाकामी साफ तौर पर झलक रही है। इसके साथ ही ट्रेन हाईजैक की घटना से पता चलता है कि बलूच विद्रोहियों का खुफिया तंत्र कितना तगड़ा है।बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने बलूचिस्तान के बोलान जिले में चल रहे बंधक संकट के बीच पाकिस्तानी सेना को धमकी दी थी अगर सेना ड्रोन या तोपों का इस्तेमाल करती है, तो 10 पाकिस्तानी बंधकों को तत्काल मार दिया जाएगा। इसके अलावा बलूच विद्रोहियों ने बंधकों के बीच आत्मघाती हमलावरों को भी बिठाकर रखा था, लिहाजा पाकिस्तानी सेना के दावे पर यकीन करना मुश्किल है कि ये ऑपरेशन खत्म हो गया है और तमाम बंधकों को रिहा कर लिया गया है। मीडिया को जारी एक बयान में BLA के प्रवक्ता जीयंद बलूच ने पाकिस्तान की सेना पर 'गैर-जिम्मेदाराना और मूर्खतापूर्ण सैन्य आक्रामकता' करने का आरोप लगाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि हाईजैक की गई जाफर एक्सप्रेस ट्रेन के पास BLA लड़ाकों द्वारा नियंत्रित ठिकानों पर ड्रोन हमले और तोपों से गोलाबारी की गई है।बलूचों ने पाकिस्तान की सेना की पोल खोल दी?जीयंद बलूच ने कहा है कि "इन हमलों से साबित होता है कि पाकिस्तान 'कैदियों की अदला-बदली के बारे में गंभीर फैसले लेने में असमर्थ' है।" उन्होंने अधिकारियों पर 'सिर्फ युद्ध के पागलपन और जिद' में फैसले लेने के आरोप भी लगाए हैं। हालांकि उन्होंने ये भी दावा किया कि बेहतरीन रणनीति और युद्ध के मैदान में पूर्ण नियंत्रण की वजह से BLA का कोई भी लड़ाका हताहत नहीं हुआ है। इसके अलावा जीयंद बलूच ने बुधवार को चेतावनी दी थी कि "आज की लापरवाह बमबारी के जवाब में, हम तुरंत दस और बंधकों को मारने के लिए मजबूर हैं।" उन्होंने धमकी दी थी कि "अगर पाकिस्तानी सेना एक और हमला करती है, यहां तक कि एक भी गोली चलती है, तो दस और बंधकों को फौरन मार दिया जाएगा।"डॉन ने भी अपनी संपादकीय में लिखा है कि "मंगलवार को आतंकवादियों द्वारा जाफर एक्सप्रेस पर किया गया भयावह हमला एक कठोर चेतावनी है, जो बलूचिस्तान में सरकार के सिकुड़ते प्रभाव का प्रमाण है।" डॉन ने लिखा है कि "सेना ने पुष्टि की है कि आतंकवाद विरोधी अभियान समाप्त हो गया है। लेकिन इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि बीएलए सैकड़ों यात्रियों और सुरक्षाकर्मियों को ले जा रही ट्रेन को एक सुनसान इलाके में रोकने और अपहरण करने में सफल रहे, जो यह भयावह है।" डॉन की संपादकीय में कहा गया है कि बलूचिस्तान के हालात काफी खतरनाक हैं। वहां लोगों की आवाजाही काफी कम हो गई है। आतंकवादी अपनी मर्जी से लोगों को मारने, ट्रेनों या बसों का अपहरण करने और नेशनल हाईवे को ब्लॉक करने में सक्षम हैं।"डॉन ने अपने संपादकीय में माना है कि "बलूचिस्तान में स्थायी शांति तभी आ सकती है जब सुशासन हो, प्रांत के लोगों को इसकी खनिज संपदा और अन्य संसाधनों में हिस्सा मिले और निवासियों के वास्तविक प्रतिनिधियों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की इजाजत दी जाए। जाफर एक्सप्रेस पर हमला दिखाता है कि अलगाववादी विद्रोह को और फैलने से खत्म किया जा सकता है, लेकिन उसके लिए सरकार को बलूचिस्तान को बचाने के लिए और कार्रवाई करने की जरूरत होगी।" लिहाजा ट्रेन हाईजैक के बाद अब इतना तो तय हो गया है कि बलूचों और पाकिस्तान की सरकार के बीच आरपार की लड़ाई शुरू हो चुकी है। और इस लड़ाई में खून की नदियां बहना तय है और कौन जीतेगा, ये समय तय करेगा।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,