ट्रंप के टैरिफ से टेंशन में दुनिया के कई देश लेकिन भारत क्‍यों नहीं परेशान? जान लीजिए बेफिक्री की वजह

अमेरिका की ओर से 60 देशों पर लगाए गए टैरिफ के चलते भारत की जीडीपी ग्रोथ 0.30 से 0.60 फीसदी तक घट सकती है। हालांकि, अन्य एशियाई देशों की तुलना में भारत की कम शुल्क से बचने की संभावना, सप्लाई चेन में बदलाव और व्यापार वार्ता से अवसर भी मिल सकते हैं।

Apr 5, 2025 - 19:19
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ट्रंप के टैरिफ से टेंशन में दुनिया के कई देश लेकिन भारत क्‍यों नहीं परेशान? जान लीजिए बेफिक्री की वजह
नई दिल्‍ली: अमेरिका ने लगभग 60 देशों पर जवाबी टैरिफ लगाए हैं। इसके चलते इस वित्तीय वर्ष में भारत की जीडीपी ग्रोथ 0.30 से 0.60 फीसदी तक घट सकती है। जिस तरह से दुनिया हिली हुई है, उस लिहाज से यह गिरावट बहुत ज्‍यादा नहीं है। यही कारण है क‍ि इससे भारत बहुत परेशान नहीं है। अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड से दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं पर असर पड़ेगा। यहां तक वैश्विक भी आ सकती है। निर्यात पर सबसे ज्यादा असर होने की आशंका है। लेकिन, अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ग्‍लोबल सप्‍लाई चेन में बदलाव और भारत के अपेक्षाकृत कम शुल्क कुछ क्षेत्रों में अवसर पैदा कर सकते हैं।सच तो यह है कि अन्य एशियाई देशों की तुलना में निर्यात पर भारत की कम निर्भरता भी उसे ऊंचे शुल्क के प्रभावों से बचाने में मदद कर सकती है। चीन (34%), ताइवान (32%), बांग्लादेश (37%), वियतनाम (46%) और थाईलैंड (37%) की तुलना में भारत पर 27% का कम शुल्क लगाया गया है।

सप्‍लाई चेन में बदलाव का भारत को सबसे ज्यादा फायदा

नामुरा का कहना है कि सप्‍लाई चेन में बदलाव का सबसे ज्यादा फायदा भारत को होगा। ऐसा अमेरिका के साथ उसके रणनीतिक गठबंधन और वियतनाम जैसे प्रतिस्पर्धियों पर अपेक्षाकृत अधिक टैरिफ के कारण होगा। सप्‍लाई चेन में बदलाव के अलावा, भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ता से आने वाले महीनों में टैरिफ में कमी आने की उम्मीद है।गोल्‍डमैन सैक्‍स का अनुमान है कि बातचीत के जरिए लगभग 20% प्रभावी जवाबी शुल्क को कम किया जा सकता है। यह व्हाइट हाउस की बातचीत में शामिल होने की इच्छा को दर्शाता है। वित्तीय वर्ष 2023-24 तक अमेरिका का भारत के कुल निर्यात में 18% और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 2.2% का योगदान था। कुछ प्रमुख निर्यात फार्मास्यूटिकल्स, स्मार्टफोन, रत्न और आभूषण और पेट्रोलियम उत्पाद हैं। हालांकि, अभी भी अनिश्चितताएं बनी हुई हैं। इकनॉमिक टाइम्‍स ने एचडीएफसी बैंक की प्रमुख अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता के हवाले से बताया, नुकसान और मूल्य प्रतिस्पर्धा के आधार पर निर्यात पर लगभग 30-40 बेसिस पॉइंट्स का असर पड़ने का अनुमान है। अन्य देशों पर लगाए गए शुल्क के चलते वैश्विक मंदी से विकास पर और असर पड़ सकता है। ये अनुमान भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता पर निर्भर करते हैं।

आईएमएफ ने दी चेतावनी

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ से वैश्विक अर्थव्यवस्था को बड़ा खतरा होने की चेतावनी दी है। 4 अप्रैल को शेयर बाजारों में भारी गिरावट आई थी। IMF की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा कि अमेरिका और उसके व्यापारिक भागीदारों को ट्रंप के व्यापार युद्ध को बढ़ने से रोकना चाहिए। चीन ने भी अमेरिका पर 'बदमाशी' का आरोप लगाते हुए जवाबी कार्रवाई की है। ट्रंप के टैरिफ के कारण दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों के मूल्य में खरबों डॉलर की गिरावट आई है। साथ ही अमेरिका में मंदी का डर बढ़ गया है। जॉर्जीवा ने अमेरिका और उसके व्यापारिक भागीदारों से व्यापार तनाव को रचनात्मक रूप से हल करने और अनिश्चितता को कम करने की अपील की है। अमेरिका के शुल्क लगाने से भारत के लिए अवसर भी पैदा हो सकते हैं। दूसरे देशों पर ज्यादा शुल्क लगने से भारत को टेक्सटाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टरों में अपना बाजार बढ़ाने का मौका मिल सकता है। सप्लाई चेन में बदलाव के साथ कुछ देशों को निर्यात बढ़ सकता है।एक ET पोल के अनुसार, वित्‍त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी 6.6% बढ़ने की उम्मीद है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस साल इनकम टैक्स में छूट और कम महंगाई से घरेलू मांग बढ़ेगी। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, 'GDP पर ज्यादा असर नहीं होगा। कारण है कि भारत की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से घरेलू मांग से चलती है। चीन समेत पूर्वी एशियाई देशों में विकास का एक बड़ा हिस्सा निर्यात पर निर्भर करता है।' इसका मतलब है कि भारत की अर्थव्यवस्था पर बाहरी कारकों का उतना असर नहीं होगा, जितना कि दूसरे देशों पर।वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में अमेरिका का भारत के साथ व्यापार घाटा 37.8 अरब डॉलर था। इसका मतलब है कि अमेरिका भारत से जितना सामान खरीदता है, उससे ज्यादा बेचता है।

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