जूडिशल एकाउंटबिलिटी पर क्या कुछ बड़ा होगा? जानें सांसदों की बैठक क्या-क्या हुआ

दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास से कथित नकदी बरामदगी मामले में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जजों की नियुक्ति के मौजूदा तंत्र को बदलने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने 2014 में पास हुए NJAC अधिनियम को दूरदर्शी कदम बताया और सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना की।

Mar 26, 2025 - 05:24
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जूडिशल एकाउंटबिलिटी पर क्या कुछ बड़ा होगा? जानें सांसदों की बैठक क्या-क्या हुआ
नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट के के आधिकारिक आवास से कथित रूप से नकदी बरामद होने के मामले में विवाद बढ़ता जा रहा है। इस बीच, उपराष्ट्रपति ने मंगलवार को राजनीतिक दलों से कहा कि उन्हें 'जजों की तरफ से जजों की नियुक्ति” की व्यवस्था को समाप्त करने के लिए एक तंत्र के बारे में सोचना चाहिए। राजनीतिक दलों के साथ एक बैठक में धनखड़ ने राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से इस मुद्दे पर एक साथ आने को कहा।

दूरदर्शी कदम था NJAC

इससे पहले, राज्यसभा में बोलते हुए, उन्होंने 2014 में सर्वसम्मति से बनाए गए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) अधिनियम को 'दूरदर्शी कदम' बताया। इसका उद्देश्य एससी और एचसी के न्यायाधीशों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के एकाधिकार को समाप्त करना था। धनखड़ ने कानून को रद्द करने के शीर्ष अदालत के फैसले को गलत बताया।धनखड़ ने कहा कि अब यह दोहराने का उपयुक्त अवसर है कि यह एक दूरदर्शी कदम था जिसे संसद ने समर्थन दिया था। ऐसा समझा जाता है कि जजों की जवाबदेही तय करने के मुद्दे पर राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बैठक के दौरान उन्होंने यह बात दोहराई।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना

राज्य सभा में धनखड़ ने एनजेएसी अधिनियम को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि संविधान संशोधन की समीक्षा या अपील का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है। अगर संसद या राज्य विधानसभाओं द्वारा कोई कानून पारित किया जाता है, तो न्यायिक समीक्षा केवल इस आधार पर हो सकती है कि यह संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप है या नहीं।जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास से कथित रूप से नकदी बरामद होने के मामले पर संसद के दोनों सदनों में चर्चा की मांग की पृष्ठभूमि में यह विचार-विमर्श किया गया। राज्यसभा में बोलते हुए धनखड़ ने कहा कि अगर 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने एनजेएसी अधिनियम को रद्द नहीं किया होता तो देश इस घोटाले से बच जाता।

न्यायिक जवाबदेही पर जोर

हालांकि राजनीतिक दलों के साथ चर्चा कोई फैसला नहीं निकला लेकिन अधिक दौर की चर्चा करने का निर्णय लिया गया। सूत्रों ने कहा कि संसदीय सर्वोच्चता के मुखर प्रवक्ता धनखड़ ने जोर देकर कहा कि यह 'न्यायिक जवाबदेही' के बारे में कुछ करने का समय है। कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और टीएमसी के सुखेंदु शेखर रॉय सहित विपक्षी नेताओं ने सरकार से उन कदमों की रूपरेखा तैयार करने को कहा है जो वह उठाना चाहती है।पता चला है कि पार्टी लाइन से ऊपर उठकर सदस्यों ने इस बात पर सहमति जताई कि आग और नकदी की घटना ने न्यायपालिका के कामकाज को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा की हैं। इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। एक सूत्र के अनुसार, तृणमूल सांसदों ने मांग की कि इस मुद्दे पर सदन के पटल पर चर्चा की जाए।राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा ने सुझाव दिया है कि कार्रवाई के तरीके पर राजनीतिक दलों के साथ अलग-अलग चर्चा की जानी चाहिए, जिसमें सदन में इस मुद्दे पर चर्चा आयोजित करने पर आम सहमति बनाना शामिल है, जिस पर सदन के नेताओं ने सहमति व्यक्त की।बैठक में नड्डा और किरेन रिजिजू सहित भाजपा के नेताओं ने भाग लिया; कांग्रेस से खड़गे और जयराम रमेश, बीजेडी से सस्मित पात्रा, सुखेंदु शेखर रॉय, डीएमके के तिरुचि शिवा, शिवसेना (यूबीटी) के संजय राउत, सीपीएम के जॉन ब्रिटास, आप के संजय सिंह और वाईएसआरसीपी और एजीपी के सदस्य शामिल हुए।

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