क्या राणा सांगा ने मुगल बादशाह बाबर को भारत बुलाया था? BJP-सपा की जुबानी जंग के बीच जानिए सच

Rana Sanga Row: समाजवादी पार्टी के राज्य सभा सांसद रामजी लाल सुमन ने कहा है कि बाबर को राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी के खिलाफ युद्ध के लिए बुलाया था. ऐसे में मुसलमान अगर बाबर की औलाद हैं तो हिन्दू भी गद्दार राणा सांगा की औलाद हुए. इस बयान पर सियासी बवाल मच गया है. जानिए क्या है पूरा सच.

Mar 23, 2025 - 14:19
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क्या राणा सांगा ने मुगल बादशाह बाबर को भारत बुलाया था? BJP-सपा की जुबानी जंग के बीच जानिए सच
क्या राणा सांगा ने मुगल बादशाह बाबर को भारत बुलाया था? BJP-सपा की जुबानी जंग के बीच जानिए सच

उत्तर प्रदेश से सपा के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन ने सदन में कहा है कि बाबर को राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी के खिलाफ युद्ध के लिए बुलाया था. ऐसे में मुसलमान अगर बाबर की औलाद हैं तो हिन्दू भी गद्दार राणा सांगा की औलाद हुए. इस बयान पर सियासी बवाल मच गया है. भाजपा ने कड़ी निंदा करते हुए बयान को तुष्टिकरण की राजनीति बताया. भाजपा ने इस बयान पर सपा सांसद से माफी मांगने की मांग की है. विश्व हिन्दू परिषद ने भी इसकी आलोचना की है. आइए जान लेते हैं कि राणा सांगा कौन थे? क्या वह बाबर को हिन्दुस्तान लेकर आए थे?

साल 1526 ई में पानीपत के पहले युद्ध में बाबर ने इब्राहिम लोदी को हराया था. इसके बाद भारत में मुगल साम्राज्य की नींव पड़ी थी. हालांकि, पानीपत की पहली लड़ाई के काफी पहले ही बाबर ने भारत की यात्रा शुरू कर दी थी, क्योंकि तैमूर लंग और चंगेज खान के वंशज बाबर को अपनी मातृभूमि फरगाना से खदेड़ दिया गया था.

हालांकि, वह अपने साम्राज्य का सपना देख रहा था. इसलिए काबुल के बीहड़ों में दो दशक से ज्यादा समय बिताया. फिर भी फरगाना और समरकंद में स्थित अपनी पैतृक भूमि वापस नहीं पा सका तो भारत की समृद्धि ने उसे आकर्षित कर लिया और यहां शासन का सपना लेकर आया और सफल भी रहा.

मेवाड़ के शासक थे महाराणा संग्राम सिंह

राणा सांगा का पूरा नाम महाराणा संग्राम सिंह था. उदयपुर में सिसोदिया राजपूत राजवंश के राणा सांगा जन्म 12 अप्रैल 1482 को हुआ था. वह राणा रायमल के सबसे छोटे बेटे थे. साल 1509 ईस्वी में पिता महाराणा रायमल के निधन के बाद महाराणा सांगा मेवाड़ के शासक बने थे. उन्हें मेवाड़ के महाराणाओं में सबसे प्रतापी योद्धा माना जाता है. बाबर ने जब पानीपत की लड़ाई जीती, तभी से उसका सामना महाराणा सांगा से होने लगा था. इब्राहिम लोदी को हराने के बाद बाबर पूरे भारत पर अपना कब्जा जमाना चाहता था पर राणा सांगा को हराए बिना ऐसा कतई संभव नहीं था.

पानीपत की लड़ाई के बाद अफगानों ने ली थी शरण

दूसरी ओर, पानीपत के युद्ध के बाद अफगान नेता भागकर महाराणा सांगा की शरण में पहुंचे. ऐसे में राजपूतों और अफगानों का मोर्चा बाबर के लिए डर का कारण बन गया. महाराणा सांगा ने फरवरी 1527 में हुई लड़ाई में बयाना पर जीत भी हासिल कर ली थी. यह बाबर के खिलाफ महाराणा सांगा की एक महत्वपूर्ण जीत थी. वहीं, राजपूतों की वीरता की कहानियां सुन बाबर के सैनिकों का मनोबल भी टूटने लगा था.

खानवा का युद्ध बना मुगल साम्राज्य की स्थापना का कारण

यब 16 मार्च 1527 की बात है. सुबह-सुबह भरतपुर के खानवा में महाराणा सांगा और बाबर की सेना में युद्ध शुरू हो गया. पहली लड़ाई तो राजपूतों ने जीत ली, लेकिन तभी अचानक एक तीर राणा सांगा की आंख में लग गया. इससे उनको युद्ध भूमि से दूर होना पड़ा. इसके कारण राजपूत इस युद्ध में हार गए. यही हार भारत में मुगलों के साम्राज्य की स्थापना का कारण बना. यही नहीं, बाबर से हुए युद्ध का बदला लेने के लिए उसका साथ दे रहे सरदारों ने राणा सांगा को जहर दे दिया. इससे 30 जनवरी 1528 को उनका निधन हो गया.

बाबर ने खुद राणा सांगा से मांगी थी मदद

कई बार कहा जाता है कि बाबर के भारत की ओर आने का कारण मेवाड़ के महाराणा का निमंत्रण था. असल में यह पत्र खुद बाबर ने राणा सांगा को भेजा था. दिल्ली के शासक इब्राहिम लोदी को हराने के लिए उसने खुद महाराणा को निमंत्रण भेजा था, क्योंकि राणा सांगा इब्राहिम लोदी को 18 बार हरा चुके थे.

मीडिया रिपोर्ट्स में इतिहासकार जीएन शर्मा व गौरीशंकर हीराचंद ओझा के हवाले से बताया गया है कि बाबर ने राणा सांगा को इब्राहिम लोदी के खिलाफ साझा प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा और दिल्ली के शासक के खिलाफ गठबंधन की आस में उसने खुद ही राणा सांगा से संपर्क किया था. यह भी माना जाता है कि शुरुआत में राणा सांगा इसके लिए तैयार भी दिख रहे थे पर मेवाड़ दरबार में संभवत: अपने सलाहकारों के विरोध के कारण राणा सांगा ने इस गठबंधन से अपने कदम खींच लिए थे. रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि राणा सांगा ने कभी भी बाबर को निमंत्रण नहीं भेजा था.

दिल्ली सल्तनत से जुड़े लोगों ने ही बाबर को आमंत्रित किया

ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिर बाबर को निमंत्रण भेजा किसने था. इसका जवाब भी इतिहास में ही छिपा है. यह साल 1523 की बात है, जब दिल्ली सल्तनत के ही प्रमुख लोगों से बाबर को निमंत्रण मिला था. इनमें सुल्तान सिकंदर लोदी का भाई आलम खान लोदी, पंजाब का गवर्नर दौलत खान लोदी और इब्राहिम लोदी का चाचा अलाउद्दीन शामिल था.

इन लोगों ने इब्राहिम लोदी के दिल्ली पर शासन को चुनौती देने के उद्देश्य से बाबर की मदद मांगी थी. खासकर इब्राहिम लोदी के शासनकाल में पंजाब का गवर्नर रहा दौलत खान दिल्ली के सुल्तान को बाबर की मदद से कमजोर कर दिल्ली को अपने शासन का हिस्सा बनाना चाहता था.

इतिहासकारों की मानें तो बाबरनामा में राणा सांगा के एक निमंत्रण का उल्लेख जरूर किया गया है. हालांकि, इस निमंत्रण में पानीपत की लड़ाई के बाद का जिक्र है, जब खुद बाबर राजपूत राजा राणा सांगा के खिलाफ युद्ध की तैयारी कर रहा था. ऐसे में यह कहना कि राणा सांगा ने बाबर को भारत बुलाया था, कतई उचित नहीं है.

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,