हल्द्वानी रेलवे अतिक्रमण केस: बनभूलपुरा क्षेत्र में एक बार फिर हुआ रेलवे का सर्वे, सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है मुकदमा

नैनीताल जिले के हल्द्वानी में रेलवे की जमीन की अतिक्रमण का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। कोर्ट के आदेश के बाद जिला प्रशासन और रेलवे ने संयुक्त रूप से अतिक्रमण स्थल का सर्वे किया, जिसकी रिपोर्ट भी जिला प्रशासन ने शासन और केंद्रीय रेल मंत्रालय को भेज दी है। रिपोर्ट के आधार पर […]

Nov 29, 2024 - 13:26
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हल्द्वानी रेलवे अतिक्रमण केस: बनभूलपुरा क्षेत्र में एक बार फिर हुआ रेलवे का सर्वे, सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है मुकदमा

नैनीताल जिले के हल्द्वानी में रेलवे की जमीन की अतिक्रमण का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। कोर्ट के आदेश के बाद जिला प्रशासन और रेलवे ने संयुक्त रूप से अतिक्रमण स्थल का सर्वे किया, जिसकी रिपोर्ट भी जिला प्रशासन ने शासन और केंद्रीय रेल मंत्रालय को भेज दी है। रिपोर्ट के आधार पर शासन को अपनी योजना तैयार करनी है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखना है।

दरअसल, रेलवे को हल्द्वानी स्टेशन के आसपास अपने विस्तारीकरण के लिए करीब 30 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता है। रेलवे की इस जमीन की जद में करीब 3800 मकान, सरकारी संस्थान और पांच हजार परिवार आ रहे हैं, जिन्हें हटाया किया जाना है। सुप्रीम कोर्ट ने जिला प्रशासन और रेलवे को अतिक्रमण हटाने से पहले लोगों के विस्थापन की योजना बनाने के निर्देश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जिला प्रशासन ने रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण को लेकर सर्वे कियाकरीब दो महीने चले सर्वे के बाद जिला प्रशासन ने अपनी फाइनल रिपोर्ट शासन को भेज दी है।

उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। रेलवे ने दावा किया था कि लोगों ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में उनकी करीब 30 हेक्टेयर भूमि पर कब्जा कर रखा है। इस अतिक्रमण क्षेत्र में करीब 5,500 परिवार बसे हुए हैं। जिन्होंने कच्चे पक्के मकान बनाए हुए हैं। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने यहां बसे लोगों को हटाने का आदेश दिया था। रेलवे ने भी अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी कर जमीन खाली करने के निर्देश दिए थे। साथ ही पक्के मकानों को तोड़ने के आदेश भी दिए गए थे, जिसको लेकर बड़े स्तर पर धरना प्रदर्शन भी हुआ था।

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वहीं कुछ लोगों ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। तभी से ये मामले सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। दूसरी ओर शासन और रेलवे प्रशासन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में ये दलील भी दे रहा है कि ये अतिक्रमण है और सरकार की भूमि पर है और इस भूमि की लोग स्टांप पेपर कर खरीद फरोख्त कर रहे हैं। यदि अतिक्रमण करने वालों को विस्थापित किया जाता है तो ये केंद्र और राज्य सरकारों के लिए भविष्य में सिरदर्द बन जाएगा और सरकारी भूमि पर लोग कब्जे शुरू कर देंगे और जब उन्हें हटाया जाएगा तो कोर्ट के पुराने रेफरेंस दिए जाएंगे।

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