हमारी भाषा-भूषा, भजन, भवन, भ्रमण और भोजन, अपनी परंपरा में जैसा है वैसा ही चाहिए – डॉ. मोहन भागवत जी

सतना, महाकौशल। बाबा मेहर शाह दरबार के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी उपस्थित रहे। उन्होंने बाबा सिंधी कैंप स्थित मेहर शाह दरबार के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि संत सबके गुण को देखते हैं और तिनका मात्र भी जो गुणवान होता है, उसको पर्वत के समान […] The post हमारी भाषा-भूषा, भजन, भवन, भ्रमण और भोजन, अपनी परंपरा में जैसा है वैसा ही चाहिए – डॉ. मोहन भागवत जी appeared first on VSK Bharat.

Oct 6, 2025 - 15:31
 0
हमारी भाषा-भूषा, भजन, भवन, भ्रमण और भोजन, अपनी परंपरा में जैसा है वैसा ही चाहिए – डॉ. मोहन भागवत जी

सतना, महाकौशल।

बाबा मेहर शाह दरबार के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी उपस्थित रहे। उन्होंने बाबा सिंधी कैंप स्थित मेहर शाह दरबार के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि संत सबके गुण को देखते हैं और तिनका मात्र भी जो गुणवान होता है, उसको पर्वत के समान दिखाते हैं। सतना की पुण्य धरा में संत संगम के सूत्रधार संत पुरुषोत्तम दास जी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि संतों की कृपा ही भारत को वैभवशाली बना रही है। गुरु के प्रति श्रद्धा ही व्यक्ति को भगवान से मिलाती है। गुरु के बिना ज्ञान संभव नहीं है। व्यक्ति भौतिकवाद की सुविधा में दौड़ लगा रहा है। भौतिकवाद में सुख की प्राप्ति नहीं होगी। भारत पर सिकंदर ने जब आक्रमण किया, यहां सब कुछ पाया धन, वैभव, भोग। किंतु वापस जाते समय मृत्यु के समय वह रोने लगा, उससे लोगों ने पूछा क्यों रो रहे हैं तो उसने कहा कि अब मैं मर जाऊंगा, लेकिन खाली हाथ ही जाऊंगा। व्यक्ति खाली हाथ आता है और खाली हाथ जाता है। किंतु बुद्धि का सुख उसे भौतिकवाद में लगा देता है।

टूटे हुए दर्पण में आप चेहरा देखेंगे तो आपका चेहरा भी टूटा हुआ दिखाई देगा। इसी तरह हिन्दू समाज भी भ्रमित है और आपस में टूटा हुआ दिखाई दे रहा है। सत्य बात यह है कि हम सब लोग एक हैं और हिन्दू हैं। लेकिन चतुर अंग्रेज हमारे यहां पर आकर आपस में हमको लड़ाकर हम पर राज करते रहे। उसने हमारे हाथ के आध्यात्मिकता के दर्पण को निकाल दिया और हमको भौतिकवाद का दर्पण थमा दिया। वह टूटा दर्पण थमाया, तब से हम अपने आप को अलग मानकर छोटी-छोटी बातों को लेकर झगड़ा करते हैं। हम एक हैं, यह कब हमें दिखाई देगा…. एक अच्छा दर्पण चाहिए और उसमें एक अच्छा रूप दिखना चाहिए। यह गुरु की महिमा है, गुरु हमको अपना स्वरूप दिखाते हैं। अब हमें “अच्छे दर्पण में देखकर एक होने की आवश्यकता है, और जब हम आध्यात्मिक परंपरा वाला दर्पण देखेंगे तो एक दिखेंगे।

समाज को प्रारंभ स्वयं से करना होगा, जितने भी लोग कार्य कर रहे हैं वह सब भारत माता के लिए कार्य कर रहे हैं। आध्यात्मिक सत्य और महापुरुषों के जीवन तक उदाहरण है कि जब तक व्यक्ति त्याग नहीं करेगा तो उसे कुछ भी प्राप्त नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि विविधता में एकता ही देश का श्रृंगार है। अपने घर के चौखट के अंदर और अगर दुनियाभर में संभव हुआ तो दुनियाभर नहीं तो अपने घर चौखट के अंदर भाषा, भूषा, भजन, भवन, भ्रमण और भोजन, ये सब हमारा चाहिए जैसे हमारी परंपरा में है वैसा ही चाहिए।

भाषा का जतन घर में होना चाहिए, घर के अंदर हमारी भाषा होनी चाहिए। हम किसी भाषा के विरोधी नहीं हैं, किंतु अपनी भाषा का ज्ञान, अपनी भाषा में लिखना, अपनी भाषा में बोलना-पढ़ना, यह हमारे लिए गौरव का विषय है। सभी को तीन भाषाएं आनी ही चाहिए। अपनी मातृभाषा, अपनी राष्ट्रभाषा, जिस प्रांत में हम रहते हैं उस राज्य की भाषा। अपनी वेशभूषा, अपना भजन सब के बारे में जानना चाहिए। अपने राम-कृष्ण-बुद्ध के बारे में जानना यह हमारा परम कर्तव्य है। भोजन, नित्य का भजन और भ्रमण में भी हमें स्व का ज्ञान होना चाहिए। अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए धर्म मत छोड़ो, बल्कि अपना अहंकार छोड़ो और ‘स्व’ (आत्म) को पहचानो। अगर हम देश के ‘स्व’ को लेकर चलेंगे तो हमारे सारे ‘स्व’ सध जाएंगे।

धर्म को नहीं छोड़ना ही हमारा गौरव है। राष्ट्र धर्म में स्व का भाव होना चाहिए। संतों के सहयोग के बिना कुछ सम्भव नहीं। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक संत मार्गदर्शन करते आ रहे हैं। जब देश को आवश्यकता लगी, तब संत ही देश की स्वतंत्रता के लिए आगे आए थे और उनके साथ गृहस्थ भी आगे आए थे। राष्ट्र मंदिर को परम वैभव पर ले जाने के लिए कार्य करना चाहिए।

The post हमारी भाषा-भूषा, भजन, भवन, भ्रमण और भोजन, अपनी परंपरा में जैसा है वैसा ही चाहिए – डॉ. मोहन भागवत जी appeared first on VSK Bharat.

UP HAED सामचार हम भारतीय न्यूज़ के साथ स्टोरी लिखते हैं ताकि हर नई और सटीक जानकारी समय पर लोगों तक पहुँचे। हमारा उद्देश्य है कि पाठकों को सरल भाषा में ताज़ा, विश्वसनीय और महत्वपूर्ण समाचार मिलें, जिससे वे जागरूक रहें और समाज में हो रहे बदलावों को समझ सकें।