स्वतंत्र भारत का पहला लोकसभा चुनाव
भारत के पहले लोकसभा चुनाव पर दुनियाभर की निगाह टिकी थी। सबके मन में यह यह सवाल था कि नया - नया स्वतंत्र हुआ भारत क्या लोकतंत्र की इतनी बड़ी कवायद को सफलतापूर्वक अंजाम दे पाएगा।
अभिषेक पाल, लेखक
स्वतंत्र विचारक
1947 में ब्रिटिश हुकूमत से स्वतंत्र होने के बाद भारत का अपना संविधान भी लागू हो चुका था। जिसके बाद अब चुनाव होना बाकी रह गया था। भारत के पहले लोकसभा चुनाव पर दुनियाभर की निगाह टिकी थी। सबके मन में यह यह सवाल था कि नया - नया स्वतंत्र हुआ भारत क्या लोकतंत्र की इतनी बड़ी कवायद को सफलतापूर्वक अंजाम दे पाएगा।
चुनौतियां इसलिए भी अधिक थीं क्योंकि लोकसभा के साथ - साथ विधानसभा के भी चुनाव कुशलतापूर्वक सम्पन्न कराने थे। सन् 1951 भारत का वह दौर था जब औसतन हर 10 में बमुश्किल 2 लोग भी शिक्षित नहीं थे, ऐसे में सफलतापुर्वक चुनाव कराना टेढ़ी खीर थी। उस समय 21 वर्ष से ऊपर के सभी महिला-पुरुषों को मताधिकार था। घर-घर जाकर 17 करोड़ से ऊपर वोटरों का पंजीकरण कराना ही अपने आप में एक चुनौतीपूर्ण था। इन चुनौतियों से निपटने के लिए सुकुमार सेन के नेतृत्व में चुनाव आयोग द्वारा बड़े पैमाने पर जनजागरुकता अभियान चलाया गया। पोलिंग बूथ पर पार्टियों या स्वतंत्र उम्मीदवारों के चुनाव चिन्ह वाले अलग - अलग बैलट बॅाक्स सखे गए ताकि वोटर अपने मतपत्र को संबंधित बैलट बॅाक्स में आसानी से डाल सकें। लोहे की 2 करोड़ से ज्यादा बैलट बॅाक्स रखे गए और करीब 62 करोड़ बैलट पेपर छापे गए थे। परिवहन के सीमित संसाधन होते हुए बूथों पर बैलट बॅाक्स पहुँचाना एक बहुत बड़ी चुनौती थी। इन चुनौतियों से निजात पाते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन ने चुनाव सकुशलतापूर्वक संपन्न कराया।
चुनाव कार्यक्रम और प्रक्रिया भी जानें
पहला आम चुनाव 25 अक्टूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 तक करीब - करीब 4 महीनों में और 68 चरणों में संपन्न हुआ। उस समय लोकसभा की कुल 489 सीटें थीं लेकिन संसदीय क्षेत्र केवल 401 ही थे। 314 संसदीय क्षेत्र ऐसे थे जहाँ केवल 1-1 प्रतिनिधि चुना जाना था। 86 संसदीय क्षेत्र ऐसे थे जहां एक साथ 2 लोगों को सांसद चुना जाना था। इनमें से एक सामान्य वर्ग से और दूसरा सांसद एससी/एसटी समुदाय से चुना गया। एक संसदीय क्षेत्र नॅार्थ बंगाल तो ऐसा भी रहा, जहाँ से 3 सांसद चुने गए। पहले आम चुनाव में कुल 1874 उम्मीदवरों ने अपना दम दिखाया। जवाहर लाल नहरू की अगुआई में कांग्रेस के अलावा श्रीपाद अमृत डांगे के नेतृत्व में कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, श्यामा प्रसाद मुखर्जी का भारतीय जन संघ जो कि आज का बीजेपी बना , आचार्य नरेंद्र देव, जे.पी. और लोहीया की अगुआई वाली सोशलिस्ट पार्टी, आचार्य कृपलानी के नेतृत्व में किसान मजदूर प्रजा पार्टी समेत कुल 53 छोटे-छोटे दल मैदान में थे।
इस पहले आम चुनाव में कुल 45.7 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की अगुआई में कांग्रेस ने इन चुनावों में एकतरफा जीत हासिल की। फूलपुर लोकसभा सीट से जवाहर लाल नेहरू ने विशाल अंतर से जीत हासिल की। साधारण बहुमत के लिए 245 सीटों की जरूरत थी, लेकिन कांग्रेस ने कुल 489 सीटों में से 364 पर अपना परचम लहराया। दूसरे नंबर पर सीपीआई रही, जिसके खाते में 16 सीटें आईं। 12 सीटों के साथ सोशलिस्ट पार्टी तीसरे स्थान पर रही।किसान मजदूर प्रजा पार्टी ने 9, हिंदू महासभा ने 4 और भारतीय जनसंघ व रिवलूशनरी सोशलिस्ट पार्टी को 3-3 सीटों पर जीत हासिल हुई। पहले आम चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर करीब 45 प्रतिशत रहा। कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा वोट शेयर निर्दलियों का रहा, जिन्हें कुल 16 प्रतिशत वोट मिले। सोशलिस्ट पार्टी को 10.59, सीपीआई को 3.29 और भारतीय जन संघ को 3.06 प्रतिशत वोट मिले। चुनाव बाद जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस की प्रचंड बहुमत वाली सरकार बनी।
कई बड़े दिग्गजों को करना पड़ा हार का सामना
देश के पहले ही आम चुनाव में कई दिग्गजों को हार का मुंह देखना पड़ा। देश के पहले कानून मंत्री डॉक्टर भीमराव आंबेडकर को बॉम्बे (नॉर्थ सेन्ट्रल) सीट पर कभी अपने ही सहयोगी रहे एन. एस. कर्जोलकर के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी। आंबेडकर के अलावा किसान मजदूर प्रजा पार्टी के कद्दावर नेता आचार्य कृपलानी भी चुनाव हार गए।आंबेडकर ने कांग्रेस छोड़कर शेड्यूल कास्ट फेडरेशन का गठन किया था और बॉम्बे (नॉर्थ सेन्ट्रल) की सुरक्षित सीट से ताल ठोका था। उन्हें 1,23,576 वोट मिले और कांग्रेस के कजरोलकर ने 1,38,137 वोट हासिल कर जीत हासिल की। उसके बाद आंबेडकर राज्यसभा के जरिए संसद में पहुंचे। 1954 में जब भंडारा लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव हुए तो आंबेडकर ने यहां भी ताल ठोका लेकिन एक बार फिर उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार से शिकस्त झेलनी पड़ी।
पहले चुनाव में जीते 3 नेता बाद में प्रधानमंत्री बने
देश के पहले आम चुनाव के बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री बने। उनके अलावा 2 ऐसे नेता भी चुनाव जीते जो आगे चलकर भारत के प्रधानमंत्री बने, ये थे- गुलजारी लाल नंदा और लाल बहादुर शास्त्री।
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