समाज में गढ़े गए गलत नैरेटिव को समूल नष्ट करना बहुत बड़ी जिम्मेदारी – सुरेश सोनी जी

नई दिल्ली। प्रज्ञा प्रवाह प्रतिष्ठान एवं किताबवाले के तत्त्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में स्व. रंगा हरि जी की अनुवादित पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। संजय वर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया। साथ ही अनुवाद आयाम की शुरुआत से लेकर अब तक की यात्रा एवं अनुभवों को साझा किया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की […] The post समाज में गढ़े गए गलत नैरेटिव को समूल नष्ट करना बहुत बड़ी जिम्मेदारी – सुरेश सोनी जी appeared first on VSK Bharat.

Jul 3, 2025 - 18:59
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समाज में गढ़े गए गलत नैरेटिव को समूल नष्ट करना बहुत बड़ी जिम्मेदारी – सुरेश सोनी जी

नई दिल्ली। प्रज्ञा प्रवाह प्रतिष्ठान एवं किताबवाले के तत्त्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में स्व. रंगा हरि जी की अनुवादित पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। संजय वर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया। साथ ही अनुवाद आयाम की शुरुआत से लेकर अब तक की यात्रा एवं अनुभवों को साझा किया।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य सुरेश सोनी जी ने कहा कि रंगा हरि जी का लेखन बहुत व्यापक है। अध्ययन की कोई सीमा नहीं होती, स्वयं स्वाध्याय करना और फिर प्रवचन करना, रंगा हरि जी के व्यक्तित्व पर यह बात सटीक लगती है कि बहता पानी और रमता जोगी कभी बैठता नहीं है, उनकी सदैव जिज्ञासु रहने वाली प्रवृत्ति थी। सदा सरल ह्रदय रहे, स्वभाव में प्रौढ़ता नहीं आने दी, उनकी वैचारिक गहनता एवं विश्लेषणात्मक दृष्टि के परिणाम स्वरूप अद्भुत कृतियां बनीं। महाभारत एक विशाल सागर है, भारतीय संस्कृति में निहित जो दो ग्रन्थ हैं, उस प्रवाह को समग्रता के साथ हमारे सामने रखते हैं। आज की दुनिया में मौजूद सभी पात्र महाभारत में मौजूद हैं। रामायण मनोवृत्तियों पर आधारित है, मनोवैज्ञानिक दृष्टि पर आधारित महाभारत है। एक पात्र के रूप में राम संविधान के प्राणी हैं, कृष्ण संविधान के निर्माता हैं। महाभारत में युद्व के अंदर जब तक भीष्म सेनापति रहे युद्ध के नियमों का पालन हुआ, धर्म का पालन हुआ। द्रोण के बाद अधर्म शुरू हुआ, युद्ध में धार्मिक वृत्ति वाले पहले मरे, अधर्म का पोषण करने वाले बाद में। नवीन अध्येताओं के लिए युद्ध नीति की विशेषताएं और विश्लेषण महत्वपूर्ण है। इन तथ्यों को समाज के समक्ष उजागर करें।

रामायण में सर्वसामान्य समूह को एक उद्देश्य देने का काम राम ने किया और रावण की सत्ता का विध्वंस किया। यह हम सबको दिशा देने के लिए एक महत्वपूर्ण तथ्य है। समाज में बहुत से गलत नैरेटिव गढ़े गए हैं जो बहुत गहरे हैं, उन्हें समूल नष्ट करने की जिम्मेदारी बहुत बड़ी और महत्वपूर्ण है।

प्रज्ञा प्रवाह प्रतिष्ठान के अध्यक्ष प्रो. ब्रज किशोर कुठियाला ने प्रज्ञा प्रवाह प्रतिष्ठान के उद्देश्य एवं दृष्टिकोण का परिचय देते हुए बताया कि यह एक मंच है, थिंक टैंक्स का नेटवर्क है, उदात्त हिन्दुत्व का प्रतिपादक है, भारतीयता के तत्वों को आस्था के रूप में अपने जीवन में धारण करने का प्रेरणा स्रोत है। यह इस वैश्विक दृष्टि का नेतृत्व करता है, सत्य की खोज पर आधारित है। हमारी भाषाओं में बौद्धिकता और ज्ञान की एकात्मकता झलकती है, ज्ञान का प्रवाह अन्य भाषा के लोगों तक हो सके, इसके लिए अनुवाद का कार्य शुरू किया गया।

रंगा हरि एक मौलिक चिंतक हैं एवं संत हैं। उन्होंने नारद, द्रौपदी जैसे पात्रों को नई दृष्टि से प्रस्तुत किया है। बौद्धिक जगत में विमर्श को एक नई दिशा देने में यह पुस्तकें महत्वपूर्ण हैं।

जेएनयू की कुलपति प्रो. शांतिश्री पंडित ने कहा कि रंगा हरि निरंतर प्रवाहित होने वाली ज्ञान राशि है, द्रौपदी पर लिखी पुस्तक अत्यंत रोचक है, पुस्तक में महाभारत के तथ्यों को उनके मौलिक स्वरूप में प्रस्तुत किया गया है, यह एक गतिशील ज्ञानकोश है, यह एक कालातीत रचना है, अमर कृति है, द्रौपदी पर आधारित पुस्तक भविष्य में एक उत्कृष्ट रचना साबित होगी। धार्मिक संस्कृति और अब्राहमिक संस्कृति में बहुत अन्तर है, सीता और द्रौपदी जैसे पात्रों का भारतीय मानस में बड़ा स्थान है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री आशीष सूद ने कहा कि आज हम ऐसे प्रकाश स्तंभ को नमन कर रहे हैं, जिन्होंने उत्तर से दक्षिण को जोड़ने का काम किया, कहानियां बदलती है, सच्चाई नहीं बदलती। उनकी रचनाओं में भारतीय चिंतन धारा का अदभुत स्वरूप देखने को मिलता है, ग्रंथों के जरिए अपने मूल्यों को प्रतिस्थापित किया जाता है, हम दिल्ली सरकार के स्कूलों में साइंस ऑफ लिविंग विषय को पाठ्यक्रम के रूप लाने वाले हैं।

हेमवंती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश सिंह जी को सम्मनित किया गया। कार्यक्रम के अंत में पुस्तकों के प्रकाशक किताबवाले मैनेजिंग डायरेक्टर प्रशांत जैन ने आभार व्यक्त किया।

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