संभल में मंदिर के पास कुएं से निकली खंडित मूर्ति, सोमवार को जलाभिषेक करने पहुंचे थे श्रद्धालु

‘मस्जिद है या शिवाला, सच बता ही देंगे, पूंछेगी जब अदालत पत्थर गवाही देंगे’, मशहूर शायर मनोज मुंतशिर की कविता की ये लाइन बार-बार मुस्लिम कट्टरपंथियों के आतंक और उनके द्वारा सनातन आस्था के प्रतीक मंदिरों और मूर्तियों को तोड़ने की घटनाओं की तरफ इशारा करते हैं। ज्ञानवापी के बाद अब संभल में भी पत्थर […]

Dec 16, 2024 - 15:09
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संभल में मंदिर के पास कुएं से निकली खंडित मूर्ति, सोमवार को जलाभिषेक करने पहुंचे थे श्रद्धालु

‘मस्जिद है या शिवाला, सच बता ही देंगे, पूंछेगी जब अदालत पत्थर गवाही देंगे’, मशहूर शायर मनोज मुंतशिर की कविता की ये लाइन बार-बार मुस्लिम कट्टरपंथियों के आतंक और उनके द्वारा सनातन आस्था के प्रतीक मंदिरों और मूर्तियों को तोड़ने की घटनाओं की तरफ इशारा करते हैं। ज्ञानवापी के बाद अब संभल में भी पत्थर गवाही दे रहे हैं। संभल में बंद पड़ा मंदिर मिलने के बाद पाटे जा चुके कुएं की खुदाई से एक खंडित मूर्ति बरामद हुई है।

रिपोर्ट के अनुसार, इस कुएं का इस्तेमाल पहले मंदिर के कार्यों के लिए किया जाता था, लेकिन बाद में जब कट्टरपंथियों ने मंदिर को बंद किया तो धीरे-धीरे इस कुएं के अस्तित्व को भी समाप्त कर दिया गया। अब मंदिर के मिलने के बाद कुएं की भी खुदाई की जा रही है। अभी तक केवल 10-15 फीट की खुदाई की गई है, जिसमें से ये खंडित मूर्ति मिली है। बताया जा रहा है कि ये माता पार्वती की मूर्ति है।

क्या है पूरा मामला

गौरतलब है कि हाल ही में उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 46 वर्षों से बंद पड़े एक प्राचीन मंदिर को प्रशासन ने दोबारा खोलकर ऐतिहासिक कार्रवाई की। मंदिर, जो 1978 के बाद से बंद था, हिंसा प्रभावित खग्गू सराय इलाके में स्थित है। प्रशासन ने इस बंद मंदिर को खोलकर इसकी सफाई कराई और शिवलिंग समेत अन्य मूर्तियों को साफ किया। इसके साथ ही मंदिर परिसर से अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें पुलिसकर्मी मंदिर की घंटी बजाते और शिवलिंग की सफाई करते नजर आ रहे हैं।

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मंदिर के इतिहास पर नजर

नगर हिंदू सभा के संरक्षक विष्णु शरण रस्तोगी ने बताया कि 1978 में मंदिर को बंद कर दिया गया था। उन्होंने कहा, “हम खग्गू सराय इलाके में रहते थे। 1978 में यहां हिंसा हुई और हम अपने घर को बेचकर दूसरी जगह चले गए। यह भगवान शिव का मंदिर है, लेकिन पुजारी यहां रहने से डरते थे। उस समय 15-20 परिवार इस इलाके को छोड़कर चले गए थे। मंदिर की देखभाल नहीं हो सकी और इसे बंद कर दिया गया। 46 साल बाद इसे फिर से खोला गया।”

खुदाई में मिला प्राचीन कुआं

मंदिर परिसर के पास की गई खुदाई के दौरान प्रशासन को एक प्राचीन कुएं का पता चला। एडिशनल एसपी श्रीश चंद्र ने बताया, “हमें जानकारी मिली थी कि मंदिर के पास एक प्राचीन कुआं है। खुदाई करने पर कुआं पाया गया है। इसके संरक्षण की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी।” इसी कुएं से ये खंडित मूर्ति मिली है।

 

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