संगीत ना केवल चर, बल्कि अचर जगत की संवेदनाओं को भी प्रभावित करता है

जन्माष्टमी, 16 अगस्त 2025 (भाद्रपद कृष्णा अष्टमी, विक्रम संवत – 2082) जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जयपुर प्रांत प्रचारक बाबूलाल जी ने कहा कि ‘संगीत ना केवल चर, बल्कि अचर जगत की संवेदनाओं को भी प्रभावित करता है। जगदीश चंद्र बसु को केस्टोग्राफ से पता चला कि किसी वनस्पति के पास भी कोई वादन करते हैं […] The post संगीत ना केवल चर, बल्कि अचर जगत की संवेदनाओं को भी प्रभावित करता है appeared first on VSK Bharat.

Aug 19, 2025 - 11:18
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संगीत ना केवल चर, बल्कि अचर जगत की संवेदनाओं को भी प्रभावित करता है

जन्माष्टमी, 16 अगस्त 2025 (भाद्रपद कृष्णा अष्टमी, विक्रम संवत – 2082)

जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जयपुर प्रांत प्रचारक बाबूलाल जी ने कहा कि ‘संगीत ना केवल चर, बल्कि अचर जगत की संवेदनाओं को भी प्रभावित करता है। जगदीश चंद्र बसु को केस्टोग्राफ से पता चला कि किसी वनस्पति के पास भी कोई वादन करते हैं तो वह भी उत्साह प्रकट करता है, भारतीय संगीत परंपरा में अगर वर्षा नहीं होती है तो उसके लिए संगीत है, रोग ठीक नहीं होता है उसके लिए भी संगीत है, हमारे यहां सुख में भी संगीत बजता है और दुख में भी संगीत बजता है अर्थात जन्म और मरण दोनों पर गीत वादन भारतीय संस्कृति की परंपरा है। संघ में संगीत यानी घोष विभाग ने ऐसी स्वदेशी रचनाओं का निर्माण किया है, जिनका उपयोग आज भारतीय सेना भी कर रही है’।

वे प्रांत घोष दिवस के अवसर पर ऋषि गालव भाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम “नाद गोविंदम्” के अवसर पर स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर तोपखाना संघ स्थान से, पांच बत्ती, एम आई रोड, अजमेरी गेट, न्यू गेट होते हुए रामनिवास बाग स्थित अल्बर्ट हॉल तक घोष पथ संचलन निकाला। अल्बर्ट हॉल पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रसिद्ध संगीतज्ञ व सात्विक वीणा के जनक पंडित सलिल विश्वमोहन भट्ट, जयपुर के ऋषि गालव इकाई के भाग संघचालक अशोक जैन मंच पर उपस्थित रहे।

कार्यक्रम की तैयारी हेतु सात नगरों में नगरशः साप्ताहिक घोष केंद्रों पर अभ्यास की सक्रियता बनी। निरंतर चले अभ्यास क्रम में अनेकों नवीन घोष वादकों का निर्माण हुआ। सामूहिक अभ्यास की दृष्टि से भाग पर सभी नगरों का तीन बार सामूहिक अभ्यास रखा गया, जिसमें नवीन रचनाओं के वादन अभ्यास के साथ संचलन, समता एवं व्यूह निर्माण का अभ्यास भी स्वयंसेवकों ने किया। प्रकट कार्यक्रम में संघ दृष्टि से जयपुर विभाग के ऋषि गालव जिले के सात घोष केन्द्रों से कुल 91 घोष वादक स्वयंसेवकों ने भाग लिया।

 

 

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