शेख हसीना को सजा, क्या बांग्लादेश वापसी का रास्ता बंद कर रहे हैं यूनुस?

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अदालत की अवमानना के मामले में छह महीने की जेल की सजा सुनाई गई है. यह सजा उनके खिलाफ दर्ज कई मामलों में से पहली है. जानकारों का कहना है कि यह केवल शुरुआत है. अभी कई और मामले उनके खिलाफ लंबित हैं और उन मामलों की सुनवाई चल रही है.

Jul 2, 2025 - 17:42
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शेख हसीना को सजा,  क्या बांग्लादेश वापसी का रास्ता बंद कर रहे हैं यूनुस?
शेख हसीना को सजा,  क्या बांग्लादेश वापसी का रास्ता बंद कर रहे हैं यूनुस?

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीन को बुधवार को अदालत की अवमानना ​​के एक मामले में छह महीने जेल की सजा सुनाई गई. यह फैसला अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-1 (आईसीटी) की तीन सदस्यीय पीठ द्वारा सुनाया गया, जिसका नेतृत्व अध्यक्ष न्यायमूर्ति मोहम्मद गुलाम मुर्तजा मजूमदार ने किया. बांग्लादेश में हिंसक छात्र आंदोलन के दौरान पिछले साल अगस्त में शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद देश छोड़कर भागने के लिए बाध्य हुई थीं.

प्रधानमंत्री पद से हटने और देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश में उनके और उनके समर्थकों के खिलाफ सैंकड़ों मामले देश के विभिन्न इलाकों में दर्ज किये गये हैं. यह सजा बांग्लादेश के अपदस्थ प्रधानमंत्री और अवामी लीग के प्रमुख शेख हसीना के खिलाफ पहली कानूनी कार्रवाई है. बांग्लादेश मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि यह फिलहाल केवल शुरुआत है. अभी शेख हसीना के खिलाफ और भी कई मामले लंबित हैं और उनके फैसले भी आने बाकी हैं.

यह सजा शेख हसीना की कथित टिप्पणियों के कारण सुनाई गई है, जो न्यायाधिकरण की गरिमा और अधिकार को कमजोर करने वाली मानी गई है. न्यायाधिकरण की स्थापना मूल रूप से शेख हसीना की सरकार द्वारा 2008 में देश के 1971 के मुक्ति संग्राम और उसके बाद युद्ध अपराधों के आरोपी व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने के लिए की गई थी.

छात्र आंदोलन के बाद हसीना ने छोड़ा था बांग्लादेश

हालांकि, पिछले वर्ष छात्र विद्रोह के बाद जब वह ढाका से भाग गईं, तो मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में कई संशोधन किए और नई समितियों, न्यायाधीशों की पीठ और मुख्य अभियोजक की नियुक्ति भी की.

बांग्लादेश मामलों के विशेषज्ञ पार्थ मुखोपाध्याय का कहना है कि देश छोड़ने के बाद शेख हसीना और उनके समर्थकों के खिलाफ बांग्लादेश के लगभग हर जिले में केस दर्ज किये गये हैं. इनमें नरसंहार और लेकर मानवता के खिलाफ अपराध जैसे मामले हैं. बुधवार को शेख हसीना के खिलाफ केवल एक मामले में सुनवाई हुई है, लेकिन अभी अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में हिंसक छात्र आंदोलन के दौरान हुए मामले की सुनवाई चल रही है और उनके फैसले आने बाकी हैं.

शेख हसीना की बांग्लादेश वापसी पर रोड़ा

उनका कहना है कि बांग्लादेश के राजनीतिक इतिहास को देखें तो यह कोई बड़ी बात नहीं हैं. इसके पहले जब शेख हसीना प्रधानमंत्री थीं, तो बीएनपी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के खिलाफ कई मामले दायर किये गये थे, बीमार रहने के बावजूद वह उस समय बंदी थीं. उनके पुत्र और बीएनपी के नेता तारिक रहमान पिछले 17 सालों से लंदन में निर्वासन की जिंदगी बिता रहे हैं.

पार्थ मुखोपाध्याय का कहना है किउनके खिलाफ बांग्लादेश में कई मामले लंबित हैं और उनके खिलाफ सजा भी सुनाई गई है. हाल में यूनुस के लंदन दौरान के दौरान दोनों के बीच बैठक भी हुई थी. उसके बाद बांग्लादेश में चुनाव की तारीख रमजान से पहले करने की बात कही गयी थी. लेकिन अभी भी उनके खिलाफ लंबित मामले वापस नहीं लिए गये हैं. ऐसे में उनकी बांग्लादेश वापसी पर भी रोक लगी हुई है. खुद वर्तमान में अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के खिलाफ बांग्लादेश में कई मामले लंबित थे. अंतरिम सरकार के प्रमुख बनने के बाद वे मामले वापस लिए गए.

तारिक रहमान की तरह वापसी होगी मुश्किल

पार्थ मुखोपाध्याय का कहना है कि वर्तमान यूनुस सरकार शेख हसीना की स्थिति भी तारिक रहमान की तरह करने की तैयारी कर रही है, ताकि उनकी वापसी आसान नहीं हो. बांग्लादेश में पहले ही शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग पर बैन लगा दिया है. ऐसे में उनकी पार्टी चुनाव नहीं लड़ सकती है, लेकिन शेख हसीना सोशल मीडिया पर यूनुस सरकार के खिलाफ मुखर है और वह कोई नई पार्टी बनाकर चुनाव में नहीं उतरे यूनुस सरकार की इस पर नजर है. ऐसे में शेख हसीना की बांग्लादेश वापसी के हर रास्ते बंद करने की तैयारी यूनुस सरकार कर रही है.

अवामी लीग ने मुकदमा को बताया दिखावटी

दूसरी ओर, कोर्ट की सजा पर अपदस्थ नेता की प्रतिबंधित पार्टी अवामी लीग ने लंदन में जारी एक बयान में इसे “दिखावटी मुकदमा” बताया और कहा कि आरोपी ने “आरोपों से स्पष्ट रूप से इनकार किया है. ”

पार्टी ने कहा, “यूनुस शासन ने न्यायपालिका में जनता के विश्वास को पूरी तरह खत्म कर दिया है, जुलाई-अगस्त में पीड़ितों को न्याय से वंचित किया और विपक्ष को खत्म करने के लिए न्यायपालिका के दुरुपयोग को वैध बनाया, अवामी लीग से जुड़े होने के कारण नागरिकों की न्यायेतर हत्याओं सहित चल रहे नरसंहार को वैध बनाने और भड़काने की तो बात ही छोड़िए – ये सभी दमनकारी कदम हैं जो मानवाधिकारों के सार्वभौमिक कोड का उल्लंघन करते हैं. हालांकि हम निष्पक्ष सुनवाई के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं, लेकिन हम बार-बार मौजूदा सुनवाई प्रक्रिया में अविश्वास व्यक्त करते हैं. “

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