‘वनवास’ से बिखरते परिवार जुड़े, कइयों की सोच बदली:‘गदर 3’ की तैयारी पर डायरेक्टर अनिल शर्मा बोले- ग्रैंड स्केल पर बनाएंगे

निर्देशक अनिल शर्मा की पिछली फिल्म ‘गदर 2' ने बॉक्स ऑफिस पर कई रिकॉर्ड तोड़े। आगे ‘गदर 3' सहित कई प्रोजेक्ट्स हैं। बीते साल के आखिर में उनकी फिल्म ‘वनवास' आई थी। एक खास बातचीत में उन्होंने ‘वनवास’ को मिले रिस्पॉन्स और अन्य बातों पर चर्चा कीं। गदर-3 के बारे में उन्होंने कहा कि इसे ग्रैंड स्केल पर बनाएंगे। पेश है अनिल शर्मा से हुई बातचीत के कुछ खास अंश.. ‘वनवास’ को मिले रिस्पॉन्स पर क्या कहेंगे। मैंने थिएटर में कभी इतना इमोशनल रिएक्शन अपने जीवन में नहीं देखा। फिल्म की रिलीज के बाद मैंने पिता-पुत्र को गले लगते देखा। परिवारों को एक-दूसरे से लिपटते देखा। मेरे पास थिएटर्स से फिल्म देखकर निकलने कई लोगों के रिएक्शन वीडियो भी आए। रात को 2:02 बजे तक लोगों क फोन आए थे और लोगों ने कहा कि बहुत-बहुत धन्यवाद कि आपने ये फिल्म बनाई है। खासतौर पर बुजुर्ग ऑडियंस और महिलाओं ने कहा कि पहले ऐसी कोई फिल्म क्यों नहीं आई। मैं इस बीच कई शादियों में भी गया तो वहां पूरी की पूरी फैमिली मेरे पास आ गई। उन्होंने कहा कि हमने 200 सीटें बुक की थी और एक साथ पिक्चर देखी थी। ऐसी फिल्म आज के जमाने में कोई नहीं बनाता है। अब जब ये टीवी पर आज यानी कि 8 मार्च को जी सिनेमा पर आ रही है तो मुझे उम्मीद है कि टीवी पर भी इसे अच्छा रिस्पॉन्स मिलेगा। सबको ये पसंद आएगी और घर में एक इमोशनल फेस्टिवल सा माहौल हो जाएगा। बहुत सारे परिवारों में इसे देखने के बाद अपने बुजुर्गों के प्रति बदलाव आए हैं। इसके मैसेज से बिखरते परिवार फिर जुड़े हैं। कई मां-बाप अपने ही घर में वनवास का दर्द सहते हैं। फिल्म का प्रीमियर इसी कड़वी सच्चाई को सामने लाता है। फिल्म में एक सीन है कि अचानक से नाना पाटेकर के किरदार को सब याद आ जाता है? इसमें नाना का किरदार डिमेंशिया से पीड़ित है। ये जो बिमारी होती है न उसमें इंसान के दिमाग में पुरानी चीजें चलती रहती हैं। कभी वो प्रेंजेंट में जीने लगता है तो कभी फिर पास्ट में चला जाता है। यह अजीबोगरीब, टिपिकल बीमारी होती है। इसमें कब क्या याद आएगा, कब क्या खुलासा कर देंगे, यह डॉक्टर को भी नहीं समझ आता है। अचानक कनेक्शन जुड़ते हैं और अचानक टूट जाते हैं। इसमें इंसान के दिमाग से बाकी मेमोरीज तो स्विच होती रहती हैं पर साइकल चलाना, स्विमिंग करना या और बेसिक चीजें इंसान कभी नहीं भूलता है। एक भव्य कहानीकार होने के नाते इस फिल्म को पिछले प्रोजेक्ट्स से अलग कैसे बनाया? मैंने इस फिल्म को बहुत ही भव्य तरीके से बनाया। मेरे लिए फिल्म का ग्रैंड होना जरूरी है। हर फिल्ममेकर का अपना तरीका होता है और मैं फिल्मों को बड़े पैमाने पर बनाना पसंद करता हूं। दर्शकों को पूरा अनुभव मिले, यह मेरी प्राथमिकता रहती है। जब मैं फिल्म बनाता हूं, तो उस वक्त सिर्फ यही सोचता हूं कि दर्शकों को क्या अच्छा लगेगा, न कि यह कि इसमें कितना पैसा लग रहा है। जब ‘गदर 2’ सुपरहिट हुई तो मेरे मन में एक विचार आया, दर्शकों को एक ऐसी फिल्म देने का समय आ गया है जो न केवल पारिवारिक हो, बल्कि मौजूदा सामाजिक स्थिति को भी दर्शाए। आज हर घर में किसी न किसी रूप में वनवास देखने को मिलता है। हमारे बुजुर्ग भी एक वनवासी की तरह जीवन जीने को मजबूर हैं। इसी सोच के साथ हमने वनवास बनाने का निर्णय लिया। हालांकि, यह दौर एक्शन फिल्मों का है, लेकिन हमने कुछ नया करने की कोशिश की और एक संवेदनशील विषय पर प्रयोग किया। बेटे उत्कर्ष शर्मा को अपनी छत्रछाया से कब बाहर निकालेंगे? मैं तो चाहता हूं कि वह नई फिल्में करें। बिल्कुल मेरी छत्रछाया से निकल जाएं। मुझे तो वह जिन कहानियों में सही लगे कि उन्हें रखा जा सकता है, मैंने उन्हें ले लिया। ‘वनवास’ की रिलीज’ के बाद भी कम से कम 50 कहानियां सुन चुके होंगे। क्या किसी फिल्म की स्क्रिप्ट पर वो आपसे चर्चा भी करते हैं? नहीं मैं उनसे दूसरी कहानियां नहीं सुनता हूं। मुझे बस पता चलता है कि वह नई कहानियां पढ़ रहे हैं। मैंने उन्हें कह रखा है कि भाई तू अपनी कहानी कर। जो भी कहानी तुम्हें पसंद आ जाए। उसे करने के लिए हामी भर सकते हो। जब फाइनल कर लो सब तब मुझे बताना। वो बिल्कुल मेरे बैनर से बाहर काम करना चाह रहे हैं। कोशिश भी कर रहे हैं। एक-दो फिल्में फाइनल भी हुई हैं, जो बहुत जल्द ही मार्केट में आएंगी। मैं भी उन्हें किसी ऐसी फिल्म में देखना चाहूंगा जो मेरे बैनर सेे नहीं बनी हो। क्या नाना के ‘गदर 3’ में होने की संभावना है? अभी तो स्क्रिप्ट पर काम कर रहा हूं। अभी कुछ कन्फर्म तो नहीं है। मैंने ‘वनवास’ के बाद थोड़ा गैप लिया है। नाना के साथ दोबारा काम तो करेंगे पर यह खुलासा नहीं कर सकता कि कोई अलग फिल्म उनके साथ आएगी या वह ‘गदर 3’ में किसी भूमिका में दिखेंगे। अभी हम कई चीजें प्लान कर रहे हैं। फिलहाल एक गैप ले रहा हूं, फिर कोई फिल्म शुरू करूंगा। क्या कोई प्री-इंडिपेंडेंस वाली कहानी भी बनाना चाहेंगे? मैं सिर्फ यह सोचकर ही फिल्म नहीं बनाता कि ये पीरियड ड्रामा है तो चलो बना लूं। मैं तो ये सोचता हूं कि कहानी अच्छी मिलनी चाहिए। अगर ऐसी कोई कहानी आएगी जो प्री-इंडिपेंडेंस में सेट हो, उसमें प्रेम कहानी भी हो या एक्शन भी हो तो जरूर बनाएंगेे। क्या आप निजी तौर पर फील करते हैं कि ‘गदर 2’ में पहली फिल्म के बजाय मसाला कम रहा? ऐसा तो नहीं फील करता हूं। कम होता तो फिल्म इतनी बड़ी हिट कैसे होती। क्या होता है कि ‘गदर 1’ एक रोमांस ड्रामा थी। वह जिस समय में सेट थी, उन हालात से लोग कनेक्ट हुए थे। बाकी एक्सटेंशन होता है तो हर कहानी की अपना एक रंग होता है। कई लोग तो ये बोलते हैं कि ‘गदर 2’ पहली से बेहतर थी। आगे ‘गदर 3’ को और ग्रैंड स्केल पर लाएंगे। वह दोनों पार्ट से बड़ी हिट होगी, ये विश्वास है। ‘अपने 2’ किन वजहों से इतना डिले हुई है? अभी भी उसकी कहानी पर काम चल रहा है। कुछ चीजें फाइनल नहीं हुई हैं। जब स्क्रिप्ट हो जाएगी तो उस पर भी आगे बढ़ेंगे। जैसे कई बैनर अपने यूनिवर्स बना रहे हैं। वैसे ही क्या सनी देओल स्टारर ‘द हीरो’ का स्पाई यू

Mar 8, 2025 - 07:02
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‘वनवास’ से बिखरते परिवार जुड़े, कइयों की सोच बदली:‘गदर 3’ की तैयारी पर डायरेक्टर अनिल शर्मा बोले- ग्रैंड स्केल पर बनाएंगे
निर्देशक अनिल शर्मा की पिछली फिल्म ‘गदर 2' ने बॉक्स ऑफिस पर कई रिकॉर्ड तोड़े। आगे ‘गदर 3' सहित कई प्रोजेक्ट्स हैं। बीते साल के आखिर में उनकी फिल्म ‘वनवास' आई थी। एक खास बातचीत में उन्होंने ‘वनवास’ को मिले रिस्पॉन्स और अन्य बातों पर चर्चा कीं। गदर-3 के बारे में उन्होंने कहा कि इसे ग्रैंड स्केल पर बनाएंगे। पेश है अनिल शर्मा से हुई बातचीत के कुछ खास अंश.. ‘वनवास’ को मिले रिस्पॉन्स पर क्या कहेंगे। मैंने थिएटर में कभी इतना इमोशनल रिएक्शन अपने जीवन में नहीं देखा। फिल्म की रिलीज के बाद मैंने पिता-पुत्र को गले लगते देखा। परिवारों को एक-दूसरे से लिपटते देखा। मेरे पास थिएटर्स से फिल्म देखकर निकलने कई लोगों के रिएक्शन वीडियो भी आए। रात को 2:02 बजे तक लोगों क फोन आए थे और लोगों ने कहा कि बहुत-बहुत धन्यवाद कि आपने ये फिल्म बनाई है। खासतौर पर बुजुर्ग ऑडियंस और महिलाओं ने कहा कि पहले ऐसी कोई फिल्म क्यों नहीं आई। मैं इस बीच कई शादियों में भी गया तो वहां पूरी की पूरी फैमिली मेरे पास आ गई। उन्होंने कहा कि हमने 200 सीटें बुक की थी और एक साथ पिक्चर देखी थी। ऐसी फिल्म आज के जमाने में कोई नहीं बनाता है। अब जब ये टीवी पर आज यानी कि 8 मार्च को जी सिनेमा पर आ रही है तो मुझे उम्मीद है कि टीवी पर भी इसे अच्छा रिस्पॉन्स मिलेगा। सबको ये पसंद आएगी और घर में एक इमोशनल फेस्टिवल सा माहौल हो जाएगा। बहुत सारे परिवारों में इसे देखने के बाद अपने बुजुर्गों के प्रति बदलाव आए हैं। इसके मैसेज से बिखरते परिवार फिर जुड़े हैं। कई मां-बाप अपने ही घर में वनवास का दर्द सहते हैं। फिल्म का प्रीमियर इसी कड़वी सच्चाई को सामने लाता है। फिल्म में एक सीन है कि अचानक से नाना पाटेकर के किरदार को सब याद आ जाता है? इसमें नाना का किरदार डिमेंशिया से पीड़ित है। ये जो बिमारी होती है न उसमें इंसान के दिमाग में पुरानी चीजें चलती रहती हैं। कभी वो प्रेंजेंट में जीने लगता है तो कभी फिर पास्ट में चला जाता है। यह अजीबोगरीब, टिपिकल बीमारी होती है। इसमें कब क्या याद आएगा, कब क्या खुलासा कर देंगे, यह डॉक्टर को भी नहीं समझ आता है। अचानक कनेक्शन जुड़ते हैं और अचानक टूट जाते हैं। इसमें इंसान के दिमाग से बाकी मेमोरीज तो स्विच होती रहती हैं पर साइकल चलाना, स्विमिंग करना या और बेसिक चीजें इंसान कभी नहीं भूलता है। एक भव्य कहानीकार होने के नाते इस फिल्म को पिछले प्रोजेक्ट्स से अलग कैसे बनाया? मैंने इस फिल्म को बहुत ही भव्य तरीके से बनाया। मेरे लिए फिल्म का ग्रैंड होना जरूरी है। हर फिल्ममेकर का अपना तरीका होता है और मैं फिल्मों को बड़े पैमाने पर बनाना पसंद करता हूं। दर्शकों को पूरा अनुभव मिले, यह मेरी प्राथमिकता रहती है। जब मैं फिल्म बनाता हूं, तो उस वक्त सिर्फ यही सोचता हूं कि दर्शकों को क्या अच्छा लगेगा, न कि यह कि इसमें कितना पैसा लग रहा है। जब ‘गदर 2’ सुपरहिट हुई तो मेरे मन में एक विचार आया, दर्शकों को एक ऐसी फिल्म देने का समय आ गया है जो न केवल पारिवारिक हो, बल्कि मौजूदा सामाजिक स्थिति को भी दर्शाए। आज हर घर में किसी न किसी रूप में वनवास देखने को मिलता है। हमारे बुजुर्ग भी एक वनवासी की तरह जीवन जीने को मजबूर हैं। इसी सोच के साथ हमने वनवास बनाने का निर्णय लिया। हालांकि, यह दौर एक्शन फिल्मों का है, लेकिन हमने कुछ नया करने की कोशिश की और एक संवेदनशील विषय पर प्रयोग किया। बेटे उत्कर्ष शर्मा को अपनी छत्रछाया से कब बाहर निकालेंगे? मैं तो चाहता हूं कि वह नई फिल्में करें। बिल्कुल मेरी छत्रछाया से निकल जाएं। मुझे तो वह जिन कहानियों में सही लगे कि उन्हें रखा जा सकता है, मैंने उन्हें ले लिया। ‘वनवास’ की रिलीज’ के बाद भी कम से कम 50 कहानियां सुन चुके होंगे। क्या किसी फिल्म की स्क्रिप्ट पर वो आपसे चर्चा भी करते हैं? नहीं मैं उनसे दूसरी कहानियां नहीं सुनता हूं। मुझे बस पता चलता है कि वह नई कहानियां पढ़ रहे हैं। मैंने उन्हें कह रखा है कि भाई तू अपनी कहानी कर। जो भी कहानी तुम्हें पसंद आ जाए। उसे करने के लिए हामी भर सकते हो। जब फाइनल कर लो सब तब मुझे बताना। वो बिल्कुल मेरे बैनर से बाहर काम करना चाह रहे हैं। कोशिश भी कर रहे हैं। एक-दो फिल्में फाइनल भी हुई हैं, जो बहुत जल्द ही मार्केट में आएंगी। मैं भी उन्हें किसी ऐसी फिल्म में देखना चाहूंगा जो मेरे बैनर सेे नहीं बनी हो। क्या नाना के ‘गदर 3’ में होने की संभावना है? अभी तो स्क्रिप्ट पर काम कर रहा हूं। अभी कुछ कन्फर्म तो नहीं है। मैंने ‘वनवास’ के बाद थोड़ा गैप लिया है। नाना के साथ दोबारा काम तो करेंगे पर यह खुलासा नहीं कर सकता कि कोई अलग फिल्म उनके साथ आएगी या वह ‘गदर 3’ में किसी भूमिका में दिखेंगे। अभी हम कई चीजें प्लान कर रहे हैं। फिलहाल एक गैप ले रहा हूं, फिर कोई फिल्म शुरू करूंगा। क्या कोई प्री-इंडिपेंडेंस वाली कहानी भी बनाना चाहेंगे? मैं सिर्फ यह सोचकर ही फिल्म नहीं बनाता कि ये पीरियड ड्रामा है तो चलो बना लूं। मैं तो ये सोचता हूं कि कहानी अच्छी मिलनी चाहिए। अगर ऐसी कोई कहानी आएगी जो प्री-इंडिपेंडेंस में सेट हो, उसमें प्रेम कहानी भी हो या एक्शन भी हो तो जरूर बनाएंगेे। क्या आप निजी तौर पर फील करते हैं कि ‘गदर 2’ में पहली फिल्म के बजाय मसाला कम रहा? ऐसा तो नहीं फील करता हूं। कम होता तो फिल्म इतनी बड़ी हिट कैसे होती। क्या होता है कि ‘गदर 1’ एक रोमांस ड्रामा थी। वह जिस समय में सेट थी, उन हालात से लोग कनेक्ट हुए थे। बाकी एक्सटेंशन होता है तो हर कहानी की अपना एक रंग होता है। कई लोग तो ये बोलते हैं कि ‘गदर 2’ पहली से बेहतर थी। आगे ‘गदर 3’ को और ग्रैंड स्केल पर लाएंगे। वह दोनों पार्ट से बड़ी हिट होगी, ये विश्वास है। ‘अपने 2’ किन वजहों से इतना डिले हुई है? अभी भी उसकी कहानी पर काम चल रहा है। कुछ चीजें फाइनल नहीं हुई हैं। जब स्क्रिप्ट हो जाएगी तो उस पर भी आगे बढ़ेंगे। जैसे कई बैनर अपने यूनिवर्स बना रहे हैं। वैसे ही क्या सनी देओल स्टारर ‘द हीरो’ का स्पाई यूनिवर्स नहीं बन सकता? हम इस पर भी सोच रहे हैं। देखेंगे आगे क्या करते हैं। विचार सारे चल रहे हैं, लेकिन क्या होता है ना कि जब हमने ये फिल्मों बनाई थी तब हमने ऐसा सोच के नहीं बनाई थी। इनके पार्ट 2 बनाएंगे। कहानियां हमने वहीं खत्म कर दी थीं। हालांकि आजकल मेकर्स फिल्म बनाते हैं तो कहानी एक ऐसे पॉइंट पर छोड़ देते हैं जहां से कुछ नया डेवलप किया जा सके। हमने जब फिल्में बनाई थीं तो सोचा नहीं कि ऐसा दौर भी आएगा। ऐसी स्थिति में नई कहानी बनाना उसके आगे बड़ा मुश्किल हो जाता है। आसान नहीं रहता है कैरेक्टर की जर्नी को आगे ले जाना। अब तो दौर ही आ गया है फ्रेंचाइज फिल्मों को। एक-दो नहीं चार पार्ट तक मेकर्स अपना प्रोजेक्ट ले जा रहे हैं। ये दौर भी एक दिन चला जाएगा।

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