लखनऊ में 186 साल से जारी है नवाबी रिवायत, रमजान भर गरीबों को कराई जाती है इफ्तारी

लखनऊ में 186 साल पुरानी रमजान के महीने में गरीबों को खाना खिलाने की परंपरा अब भी जारी है। इसे अवध के तीसरे राजा मोहम्मद अली शाह ने शुरू किया था। रोजाना छोटे इमामबाड़ा की रसोई में खाना पकाया जाता है और लगभग 600 गरीबों को बांटा जाता है।

Mar 17, 2025 - 08:42
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लखनऊ में 186 साल से जारी है नवाबी रिवायत, रमजान भर गरीबों को कराई जाती है इफ्तारी
नामरा जुबैर, लखनऊ: लखनऊ में 186 साल पुरानी परंपरा आज भी ज़िंदा है। रमज़ान के पवित्र महीने में गरीबों को खाना खिलाया जाता है। अवध के तीसरे नवाब, मुहम्मद अली शाह ने 1839 में इसकी शुरुआत की थी। हुसैनाबाद एंड अलाइड ट्रस्ट (HAT) हर साल इस परंपरा को निभाता है। HAT कई नवाबी स्मारकों की देखभाल करता है। छोटा और बड़ा इमामबाड़ा भी इसमें शामिल हैं। HAT के असिस्टेंट ऑफिस सुपरिटेंडेंट हबीबुल हसन ने बताया, 'मुहम्मद अली शाह ने 1839 में हुसैनाबाद एंडोमेंट डीड बनाई थी। इसका मकसद गरीबों को खाना खिलाना था। रसोई का खर्च HAT की संपत्तियों से आने वाली आय से चलता है।' परंपरा के अनुसार, रमज़ान में छोटा इमामबाड़ा की रसोई में रोजाना खाना पकाया जाता है। करीब 600 गरीब लोगों को इफ्तार के लिए खाना बांटा जाता है। इसके अलावा, HAT के तहत आने वाली 13 मस्जिदों में मग़रिब (शाम) की नमाज़ पढ़ने आने वाले लगभग 1,600 लोगों के लिए भी इफ्तार तैयार किया जाता है।छोटा इमामबाड़ा बावर्ची खाना के हेड कुक मुर्तुज़ा हुसैन ने बताया, 'परंपरा के अनुसार, तीन दिन दाल और तंदूरी रोटी बनती है। अगले तीन दिन 'तले हुए आलू का सालन' रोटी के साथ बनता है। यह क्रम पूरे रमज़ान चलता रहता है।' उन्होंने आगे बताया, 'करीब 20 कर्मचारी खाना बनाने और उसे गरीबों में बांटने का काम करते हैं। गरीब लोग तय समय पर अपने बर्तन लेकर आते हैं।' HAT के अंतर्गत आने वाली मस्जिदों में बड़ा इमामबाड़ा मस्जिद, छोटा इमामबाड़ा मस्जिद, कर्बला मस्जिद, कैपिटल मस्जिद और काज़मैन मस्जिद शामिल हैं। इफ्तार में गुझिया, चना, समोसा, ब्रेड बटर, पकोड़े, सुहाल और एक फल (अक्सर केला) होता है।छोटा इमामबाड़ा के इंचार्ज कमर अब्बास ने कहा, 'अगर कभी बहुत ज़्यादा भीड़ हो जाए और खाना कम पड़ जाए, तो तुरंत और खाना बनाकर परोसा जाता है, लेकिन किसी को खाली हाथ नहीं भेजा जाता।'

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,