राजस्थान: इस्लामिक कन्वर्जन का अड्डा बने मदरसे, यहां 3000 गैर मुस्लिम बच्चे, हिन्दू युवती को बना दिया सकीना

राजस्थान में मुस्लिम कट्टरपंथियों की नई साजिश सामने आई है, जहां शिक्षा के नाम पर गैर हिन्दू बच्चों को मुस्लिम बनाने की साजिश रची जा रही है। इसी साजिश की शिकार बन गई एक हिन्दू युवती। जहां बैरवा समुदाय से आने वाली हिन्दू युवती के पिता ने पढ़ने के लिए उसका नाम एक मदरसे में […]

Nov 23, 2024 - 13:55
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राजस्थान: इस्लामिक कन्वर्जन का अड्डा बने मदरसे, यहां 3000 गैर मुस्लिम बच्चे, हिन्दू युवती को बना दिया सकीना
Rajasthan madarsa Islamic conversion

राजस्थान में मुस्लिम कट्टरपंथियों की नई साजिश सामने आई है, जहां शिक्षा के नाम पर गैर हिन्दू बच्चों को मुस्लिम बनाने की साजिश रची जा रही है। इसी साजिश की शिकार बन गई एक हिन्दू युवती। जहां बैरवा समुदाय से आने वाली हिन्दू युवती के पिता ने पढ़ने के लिए उसका नाम एक मदरसे में लिखाया तो वहां साजिश के तहत उसे मुस्लिम नाम सकीना दे दिया गया। अब हिन्दू अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों ने खुलासा किया है कि प्रदेश के मदरसों में मुफ्त शिक्षा के नाम पर गैर हिन्दुओं को मुस्लिम बनाने का काम किया जाता है।

क्या है पूरा मामला

मामला कुछ यूं है कि कोटा के रहने वाले सकीना के पिता लेखराज एक दिहाड़ी मजदूर हैं। चूंकि गरीब है तो मुफ्त शिक्षा मिलती देख वो भी उसकी ओर आकर्षित हो गए। इसी के तहत उन्होंने अपनी बेटी को कोटा के अनंतपुरा स्थित दारुल उलूम तहरीक -ए-हिंद मदरसे में दाखिला दिला दिया। उन्होंने सोचा कि बेटी शिक्षित हो जाएगी। लेकिन उनके पैरों तले जमीन तब खिसक गई, जब उनकी बेटी को मदरसे में इस्लामी नाम सकीना दे दिया गया। हिन्दू संगठनों की ओर से खुलासा किया गया है कि सकीना उन 6 बच्चों में से एक है, जिन्हें गैर मुस्लिम होने के बाद भी इस्लाम में परिवर्तित कर दिया गया।

RTI से चौंकाने वाला खुलासा

इस बीच राजस्थान हाई कोर्ट के वकील सुजीत स्वामी ने आरटीआई से प्राप्त सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मिली के हवाले से खुलासा किया कि प्रदेशभर के मदरसों में 3000 से अधिक गैर मुस्लिम विद्यार्थी हैं। सुजीत ने मदरसा बोर्ड से आरटीआई के जरिए जानकारी मांगी थी। इसी के निष्कर्षों के हवाले से उन्होंने दावा किया कि शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के लिए प्रदेश के मदरसों में 1600 लड़कों और 1456 लड़कियों समेत 3056 गैर मुस्लिम विद्यार्थी हैं। इसमें भी सबसे अधिक कोटा के मदरसों में 340, टोंक में 308 और चित्तौड़गढ़ में 213 गैर मुस्लिम छात्र हैं।

हैरत की बात ये है कि इन मदरसों में केवल 261 ही गैर मुस्लिम शिक्षक हैं, बाकी सब मुस्लिम हैं। खास बात ये भी है कि इन संस्थानों में एक भी महिला शिक्षिका नहीं है। सवाल ये उठाया जा रहा है कि अगर सरकारी स्कूल हैं, तो मदरसों में इतने बच्चे पहुंचे कैसे?

 

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