मिजोरम सांसद ने म्यांमार से मांगा चिनलैंड तो भड़की जुंटा सेना, क्या भारत का हिस्सा बनेगा ये अहम इलाका? जानें नेहरू कनेक्‍शन

भारत के एक सांसद ने म्यांमार के चिनलैंड काउंसिल से मिलकर उसे भारत में शामिल होने का आह्वान किया है। भारतीय संसद में भी काबाव घाटी को फिर से इंडिया का हिस्सा बनाने का प्रस्ताव रखा है। जुंटा ने इसे द्विपक्षीय संबंधों में बाधा डालने से बचने का अनुरोध किया।

Mar 15, 2025 - 14:46
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मिजोरम सांसद ने म्यांमार से मांगा चिनलैंड तो भड़की जुंटा सेना, क्या भारत का हिस्सा बनेगा ये अहम इलाका? जानें नेहरू कनेक्‍शन
नेपीडा: मिजोरम के सांसद के. वनलालवेना ने हाल ही में भारत की सीमा से लगे उत्तर-पश्चिमी म्यांमार के कुछ हिस्सों पर नियंत्रण रखने वाले संगठन चिनलैंड काउंसिल के नेताओं से मुलाकात की है। उन्होंने चिनलैंड को भारत में शामिल करने के लिए काउंसिल से कहा है। उन्होंने साझा जातीय पहचान का हवाला देते हुए सीमावर्ती क्षेत्रों को भारत में शामिल करने का आह्वान किया। इसने जुंटा कहलाने वाले म्यांमार के सैन्य शासकों को नाराज कर दिया है। जुंटा ने भारतीय सांसद के इस कदम को गैरजरूरी विदेशी हस्तक्षेप बताते हुए उनके कदम की निंदा की है। वहीं भारतीय संसद में कबाव घाटी को वापस लेने की मांग भी उठी है।मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के राज्यसभा सांसद वनलालवेना ने बताया है कि उन्होंने पिछले हफ्ते मिजोरम से म्यांमार का दौरा किया। उन्होंने इसकी जानकारी मिजोरम के राज्यपाल वीके सिंह और असम राइफल्स को भी दी। उन्होंने कहा कि चिनलैंड काउंसिल पिछले छह महीनों से मिजोरम की सीमा से लगे इलाकों को प्रशासित कर रहा है। फिलहाल म्यांमार में कोई आधिकारिक सरकार नहीं है। ऐसे में काउंसिल को इस इलाके को भारत का हिस्सा बनाने पर सोचना चाहिए।

जुंटा ने जताया एतराज

जुंटा शासन के प्रवक्ता ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस तरह के विदेशी हस्तक्षेप की वह निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह से सीमा पार दौरा करना और बयान देना म्यांमार की संप्रभुता को कमजोर करता है। इस तरह की हरकत क्षेत्र में अशांति की वजह बन सकती है। दूसरी ओर भारतीय विदेश मंत्रालय ने मिजोरम सांसद के बयानों से दूरी बनाई है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि केवल केंद्र सरकार ही विदेश नीति पर फैसला ले सकती है।जुंटा प्रवक्ता मेजर जनरल जॉ मिन टुन ने अपने बयान में कहा कि विदेशी नेता स्वार्थ से प्रेरित काम करने से बचें, ऐसे कदम द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने सभी देशों से म्यांमार की संप्रभुता का सम्मान करने का आग्रह किया और उम्मीद जताई कि इस मुद्दे पर आगे ऐसे बयान नहीं आएंगे। बताया गया है कि म्यांमार में भारत के राजदूत से भी जुंटा शासन ने विरोध जताया है।

संसद में घाटी को वापस लेने की मांग

भारत की संसद में एक और अहम मांग उठी है। लोकसभा में कबाव घाटी को म्यांमार से भारत में वापस लाने का प्रस्ताव रखा गया है। मणिपुर के सासंद ने सरकार से कहा है कि 1953 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने बर्मा नेता यू नू के साथ बैठक के बाद 22,000 वर्ग किमी की संसाधन संपन्न कबाव घाटी म्यांमार को उपहार में दे दी थी। यह घाटी 1450 से मणिपुर के अधीन थी। ऐसे में इसे फिर से वापस लिया जाए। हालांकि इस पर सरकार ने अभी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,