मायावती भीतर-बाहर की किस चुनौती से परेशान हैं? चिंता और असुरक्षा की भावना का कारण समझिए

Mayawati News: मायावती ने पिछले दिनों जिस तरह से अपनी राजनीतिक लाइन में बदलाव किया है, उसको लेकर चर्चा का बाजार गरमा गया है। वह पहले से आक्रामक दिख रही हैं। बहुजन समाज को संबोधित करते हुए अपनी सरकार के कार्यों को गिना रही है। परिवार से ऊपर पार्टी के होने की बात कर रही हैं। इसने राजनीतिक हलचल तेज की है।

Mar 19, 2025 - 07:05
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मायावती भीतर-बाहर की किस चुनौती से परेशान हैं? चिंता और असुरक्षा की भावना का कारण समझिए
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में अर्श से फर्श का दौर देख रही बहुजन समाज पार्टी का नेतृत्व हमेशा तेवर में ही दिखा है। 2007 की जीत के बाद लगातार मिली रही हार के बाद भी नीति और निर्णय की गति एक-सी रही है। लेकिन पिछले कुछ महीनों में पहली बार बसपा के भीतर इतनी हलचल देखने को मिल रही है। बसपा प्रमुख के निर्णयों एवं बयानों में चिंता और ‘असुरक्षा’ की लकीरें साफ झलकने लगी हैं। ऐसे में सियासी गलियारों में यह सवाल घूमने लगा है कि आखिर भीतर-बाहर की किस चुनौती से बसपा नेतृत्व परेशान दिख रहा है।आम तौर पर मीडिया से परहेज करने वाली बसपा प्रमुख इन दिनों सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म X, बयान, प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए पार्टी के भीतर के सवालों व बाहर के खतरों के लेकर लगातार मुखर हैं। उन्होंने सोमवार को बयान जारी कर पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं को बसपा सरकार में हुए काम नई पीढ़ी को बताने और उन्हें मूवमेंट के लिए तैयार करने की सलाह दी है। वहीं, दलितों की रहनुमाई का दावा करने वाले दूसरे दलों से सावधान रहने को कहा है। मायावती का यह बयान हाल में चंद्रशेखर आजाद की अगुआई वाली आजाद समाज पार्टी के प्रदर्शन के बाद आया है।

नए चेहरों के उभार से बढ़ी चिंता!

होली के ठीक पहले आजाद समाज पार्टी(कांशीराम) ने प्रदेशव्यापी प्रदर्शन किया। इसका बहुत व्यापक असर भले ही न दिखा हो लेकिन राजधानी से लेकर अन्य जिलों तक जिस तरह से प्रशासन ने उनके प्रदर्शन को गंभीरता से लेते हुए उसे रोकने की तैयारी की, उसका संदेश जरूर व्यापक गया। पार्टी अपने कोर वोटरों में यह संदेश देती दिखी है कि अब उसे और उसके मुद्दों को गंभीरता से लिया जाने लगा है।पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में जहां बसपा का खाता नहीं खुला, वहीं आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर अपने दम पर नगीना से सांसद बन गए। दलित वोटरों में खासकर युवाओं में उनकी पैठ बढ़ी है। ऐसे में मायावती की दलित व उपेक्षित वर्ग के छोटे दलों को लेकर दी जा रही ताकीद को इन पार्टियों की सक्रियता से ही जोड़ा जा रहा है।

पार्टी के भीतर भी असमंजस

एक दौर था जब बसपा में दिग्गज दिखने वाले चेहरे पार्टी छोड़ने के बाद सियासत में ‘पैदल’ नजर आते थे। क्योंकि, पार्टी के वोट बैंक पर इसका कोई असर ही नहीं पड़ता था। इसलिए, बसपा व उसके नेतृत्व के चेहरे पर इनके आने-जाने से कोई शिकन नहीं आती थी। लेकिन पिछले एक दशक में यह ट्रेंड भी बदल गया है। लोकसभा में शून्य व विधानसभा में एक पर पहुंची बसपा का वोट बैंक भी आधा हो चुका है। पार्टी के कोर दलित वोट में लगभग हर दल सेंध लगा पाने में सफल हो गया है।सूत्रों का कहना है कि परिणाम और उसके बाद जमीनी सक्रियता की कमी से पार्टी के भीतर भी असमंजस व बेचैनी के हालात हैं। हाल में ‘अपरिपक्व’ बताकर हटाए गए आकाश आनंद के सार्वजनिक मंचों से दिए गए पुराने बयान इसका इशारा हैं। पार्टी के भीतर किए-गए उलटफेर को भी भीतर पनप रहे खतरों की धार कुंद करने के तौर पर ही देखा जा रहा है।

परिवार पर सफाई से बनेगी बात?

बसपा प्रमुख ने सोमवार को जोर देकर कहा कि भाई-बहन एवं अन्य रिश्ते-नाते मेरे लिए केवल बहुजन समाज का ही एक अंग है, इसके सिवाय कुछ नहीं। पार्टी के हित में बहुजन समाज के जो लोग भी पूरी ईमानदारी व निष्ठा से काम करते हैं, उन्हें पार्टी में आगे बढ़ने का मौका जरूर दिया जाएगा। मायावती की इस सफाई को संभावनाओं के अभाव में दूसरे दलों की ओर देख रहे लोगों को साधने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है। पार्टी के सक्रिय नेता-कार्यकर्ता सपा, भाजपा या कांग्रेस सहित दूसरे दलों की ओर रुख करने लगे हैं। इसके अलावा जिसका पार्टी के भीतर थोड़ा विस्तार होता दिखा, वह कार्रवाई की भेंट चढ़ गया। गर्दिश के दौर में यह सख्ती जमीन नहीं हिला दे इसिलए, नेतृत्व को अब यह कहना पड़ रहा है कि वह सबकी भागीदारी के लिए तैयार है। बिना किसी ठोस रणनीति, जमीनी सक्रियता और संवाद के बिना विस्तार तो दूर बची पूंजी बचाने का संकट बसपा के सामने खड़ा है। ऐसे में उम्मीदें एवं असर दोनों बनाए रखने की मायावती की चुनौती और बढ़ गई है।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,