भारतीय मूल्यों पर आधारित व्यवस्था का निर्माण कर विश्व के समक्ष आदर्श स्थापित करना होगा – अरुण कुमार जी

नागपुर, 06 दिसम्बर। सिम्बायोसिस इंटरनेशनल (डीम्ड यूनिवर्सिटी) के सभागार में आयोजित ‘उत्तिष्ठ भारत’ प्राध्यापक संगोष्ठी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार जी ने कहा कि भारतीय चिन्तन के प्रकाश में ही नए भारत का निर्माण होगा। इसके लिए भारत को आत्म-विस्मृति, आत्महीनता और परानुकरण की प्रवृत्ति से बाहर निकलना होगा। आत्मविश्वास से […] The post भारतीय मूल्यों पर आधारित व्यवस्था का निर्माण कर विश्व के समक्ष आदर्श स्थापित करना होगा – अरुण कुमार जी appeared first on VSK Bharat.

Dec 7, 2025 - 21:05
 0
भारतीय मूल्यों पर आधारित व्यवस्था का निर्माण कर विश्व के समक्ष आदर्श स्थापित करना होगा – अरुण कुमार जी

नागपुर, 06 दिसम्बर। सिम्बायोसिस इंटरनेशनल (डीम्ड यूनिवर्सिटी) के सभागार में आयोजित ‘उत्तिष्ठ भारत’ प्राध्यापक संगोष्ठी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार जी ने कहा कि भारतीय चिन्तन के प्रकाश में ही नए भारत का निर्माण होगा। इसके लिए भारत को आत्म-विस्मृति, आत्महीनता और परानुकरण की प्रवृत्ति से बाहर निकलना होगा। आत्मविश्वास से युक्त, विशुद्ध राष्ट्रभक्ति की भावना, संगठन और अनुशासन तथा आत्मगौरव से युक्त समाज के निर्माण से राष्ट्र का पुनरुत्थान होगा।

इस अवसर पर मंच नागपुर महानगर संचालक राजेश जी लोया उपस्थित थे। सह सरकार्यवाह ने कहा कि संघ शताब्दी वर्ष उत्सव का विषय नहीं है, वरन् यह आत्मावलोकन, आत्म-विश्लेषण और आत्म-सुधार का अवसर है। शताब्दी वर्ष में संघ समाज के प्रत्येक ग्राम, नगर, जिला स्थानों पर जन सम्पर्क कर समाज को देशकार्य के लिए संगठित करेगा। हम संघ बनाने के लिए नहीं, वरन समाज बनाने के लिए निकले हैं। मनुष्य-निर्माण और राष्ट्र का पुनरुत्थान यानी राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण कर समाज को जागरूक व संगठित करना और राष्ट्र को परमवैभव तक ले जाना, यही संघ का लक्ष्य है।

उन्होंने कहा कि संघ के संस्थापक आद्य सरसंघचालक डॉ. हेडगेवार जन्मजात देशभक्त थे। उन्होंने ‘वन्दे मातरम्’ बालपन से ही आत्मसात कर लिया था। देश के स्वतंत्रता संघर्ष में संघ संस्थापक के साथ ही अनेक प्रचारकों ने अपना योगदान दिया, जेल की यातनाओं को भी सहा। डॉ. हेडगेवार जान चुके थे कि भारत के पतन का क्या कारण है। राष्ट्र के पतन के लिए प्रायः मुगलों और अंग्रेजों को दोष दिया जाता है। किन्तु डॉ. हेडगेवार ने कहा कि भारत के पतन का कारण कोई दूसरा नहीं है, हम स्वयं हैं। हममें कमी है। इन कमियों को दूर करना होगा।

अरुण कुमार जी ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द ने कहा था कि आत्मविस्मृति, आत्महीनता और राष्ट्रीय चरित्र के अभाव के कारण भारत पराधीन हुआ। डॉ. हेडगेवार ने संघ की स्थापना कर समाज की मूलभूत कमियों को दूर करने का निश्चय किया। उन्होंने आत्मविस्मृति को दूर करने के लिए आत्म-गौरव से युक्त समाज के निर्माण पर बल दिया। भारत का व्यक्ति उत्तम चरित्र वाला होता है, किन्तु उसमें राष्ट्रीय चरित्र का अभाव है। इसलिए विशुद्ध राष्ट्रभक्ति का भाव जगाकर राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण करना आवश्यक है। परस्पर द्वेष, ईर्ष्या और अहंकार के चलते अपने उद्देश्य को भूल जाते हैं। डॉ. हेडगेवार ने इसलिए संगठन और अनुशासन पर जोर दिया। नित्य लगने वाली शाखा में स्वयंसेवक एक हृदय, एक चित्त, एक मन और समान ध्येय से एकत्रित होते हैं। संघ के इस सहचित्त से कार्यकर्ता अनुशासित होता है और वह समर्पित भाव से समाज व राष्ट्र से एकाकार हो जाता है। परानुकरण से समाज को बाहर निकालने के लिए ‘स्व’ आधारित व्यवस्था की कल्पना की। आज संघ डॉ. हेडगेवार द्वारा बताए गए पाथेय पर चल रहा है।

स्व-त्रयी से स्व-तंत्र की ओर

अरुण कुमार जी ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने स्वतंत्रता संघर्ष के लिए स्व-त्रयी का लक्ष्य अपने सामने रखा था – स्वराज्य, स्वधर्म और स्वदेशी। हम स्वाधीन हुए, किन्तु स्व-तंत्र की स्थापना आवश्यक है। ‘स्व’ अपने जीवन का सूत्र बनना चाहिए। तभी समाज में परिवर्तन होगा। समाज में परिवर्तन की इच्छा पैदा होनी चाहिए। उसके लिए कार्य करना होगा। निरन्तर कार्य करना होगा। परिवर्तन बीज से वृक्ष बन जाने की यात्रा है। बीज से वृक्ष, फूल-फल और पुनः बीज का निर्माण यह एक चक्रीय परिवर्तन है। यह परिवर्तन भाषणों, आंदोलनों और सत्ता से नहीं आता। परिवर्तन के लिए सत्ता अनुकूलता या प्रतिकूलता की स्थिति अवश्य लाती है, किन्तु परिस्थितियों को कोस कर हम परिवर्तन नहीं ला सकते। इसलिए हम जहाँ हैं, वहाँ परिवर्तन करें। हमारा आचरण आदर्श हो, तभी परिवर्तन होगा। ऐसे अनेक उदाहरणों का राष्ट्रव्यापी होना आवश्यक है।

हम सभी को राष्ट्र के पुनरुत्थान के कार्य में जुट जाना है। हमारे कार्य की प्रेरणा क्या है? स्वामी विवेकानन्द कहते हैं कि आध्यात्मिक अधिष्ठान पर ही समृद्ध और सुखी समाज का निर्माण होगा। यह आध्यात्मिकता अपने कार्य से प्रगट हो। स्वांत सुखाय और सर्वजन हिताय, यही हमारे कार्य की प्रेरणा होनी चाहिए। कार्य करते समय हम कार्य में पूर्णतः तल्लीन हो जाएं। कोई अक्षर की साधना कर रहा है तो उसकी साधना ऐसी हो कि उसे अक्षर ब्रह्म मिल जाए। कोई नाद की साधना कर रहा है तो उस साधना में वह ऐसे निमग्न हो जाए कि उसे नादब्रह्म मिल जाए। कार्य के प्रति ऐसी श्रद्धा और निष्ठा हममें होनी चाहिए।

पंच परिवर्तन

सह सरकार्यवाह जी ने कहा कि हमारा राष्ट्र ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का मंत्रदाता है। किन्तु समाज में अभी भी भेदभाव है। व्यक्ति के जीवन में किसी भी तरह के भेद का भाव नहीं आना चाहिए। समाज के सभी जाति और वर्ग के लोग हमारे अपने मित्र होने चाहिए। हमारे काम के क्षेत्र में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए। ‘समरसता से युक्त आचरण’ हम सभी का हो। परिवार व्यवस्था अब टूटने लगी है। तीन पीढ़ियाँ आज एकसाथ नहीं रहतीं। कुल परम्परा को टिकाए रखना अत्यन्त आवश्यक है। ‘स्व’ बोध से ओतप्रोत समाज द्वारा ही भारत की परिवार व्यवस्था समृद्ध होगी। पर्यावरणपूरक हमारी जीवनशैली हो। जल का सदुपयोग हो। प्लास्टिक का उपयोग कम करें।

उन्होंने कहा कि कुछ महान लोगों से देश महान नहीं बनता, बल्कि जिस देश के लोग महान होते हैं, वह देश महान बनता है। भगिनी निवेदिता को किसी ने पूछा कि कोई देश महान कब बनता है? भगिनी ने उत्तर दिया था – Civic sense अर्थात नागरिक बोध से। इसलिए देश का प्रत्येक नागरिक अपने नागरिक कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्ध हो, इसके लिए हमें प्रयत्न करना होगा। आज विश्व ने कम्युनिज्म, ईसाइयत और इस्लामिक शासन को देख लिया है। पूरे विश्व में आज अराजकता, संघर्ष और मानवीय मूल्यों के प्रति अनास्था और अविश्वास बना है। ऐसे में सम्पूर्ण विश्व भारत की ओर आशा से देख रहा है। इसलिए भारतीय मूल्यों पर अपनी व्यवस्था का निर्माण करना होगा। विश्व के सामने एक राष्ट्र के रूप में अपना आदर्श स्थापित करना होगा। सज्जन-शक्ति को मिलकर भारत को परम वैभवशाली बनाना है।

The post भारतीय मूल्यों पर आधारित व्यवस्था का निर्माण कर विश्व के समक्ष आदर्श स्थापित करना होगा – अरुण कुमार जी appeared first on VSK Bharat.

UP HAED सामचार हम भारतीय न्यूज़ के साथ स्टोरी लिखते हैं ताकि हर नई और सटीक जानकारी समय पर लोगों तक पहुँचे। हमारा उद्देश्य है कि पाठकों को सरल भाषा में ताज़ा, विश्वसनीय और महत्वपूर्ण समाचार मिलें, जिससे वे जागरूक रहें और समाज में हो रहे बदलावों को समझ सकें।