हिंदू समाज के खिलाफ गहरी साजिश है जातिगत जनगणना सनातन धर्म को समाप्त करने का षड्यंत्र है जातिगत जनगणना
सनातन धर्म को समाप्त करने का षड्यंत्र है जातिगत जनगणना
हिंदू समाज के खिलाफ गहरी साजिश है जातिगत जनगणना
सनातन धर्म को समाप्त करने का षड्यंत्र है जातिगत जनगणना
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जातिगत जनगणना: आपका दृष्टिकोण है कि जातिगत जनगणना एक साजिश है और इसका उद्देश्य सनातन धर्म को समाप्त करना है। आप इसे हिन्दू समाज के खिलाफ देख रहे हैं और इसे संघर्षकारी बता रहे हैं।
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नीतीश कुमार और आई,एन.डी,आई.ए. गठबंधन: आपका दृष्टिकोण है कि नीतीश कुमार और आई,एन.डी,आई.ए. गठबंधन जातिगत जनगणना को राजनीतिक स्टंट के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं और भाजपा को हराने का प्रयास कर रहे हैं।
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भाजपा का हिन्दूत्व और सनातन धर्म: आपके अनुसार, भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार सनातन धर्म और हिन्दूत्व के अनुरूप कार्य कर रही हैं और इसे प्रमोट कर रही हैं।
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अल्पसंख्यक और धर्म: आप इस बारे में चिंता कर रहे हैं कि अल्पसंख्यकों के हक को कम किया जा रहा है और क्या यह धार्मिक अनुष्ठान के खिलाफ है।
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योगी आदित्यनाथ का दृष्टिकोण: आपने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के धर्म के प्रति उनके समर्थन को उजागर किया है और धर्मिक एकता की महत्वपूर्ण भूमिका बताई है।
यह विचार आपके द्वारा उठाए गए प्रमुख बिंदु हैं, और आपके भाषण में इन बिंदुओं को विस्तार से विवरण दिया गया है। आपके द्वारा उठाए गए मुद्दे आधारित दृष्टिकोण को स्पष्टता से प्रस्तुत किया गया है।
भविष्य की राजनीति में जातिगत जनगणना की इस रिपोर्ट से सर्वाधिक लाभ भारतीय जनता पार्टी को ही होने वाला है । जातिगत सर्वे के बाद आई,एन.डी,आई.ए. गठबंधन द्वारा जिसकी जितनी संख्या उतनी उसकी हिस्सेदारी का नारा बुलंद किया जा रहा है। ये नारा जितना जोर पकड़ेगा सवर्ण व ऐसी जातियां जिनकी आबादी कम होती जा रही हैं वे सभी अपने आपको असुरक्षित महसूस करेंगे और भाजपा की और आएँगी। वहीं पिछड़ी व कमजोर जातियां को लुभाने के लिए लालू यादव नीतिश कुमार या आई,एन.डी,आई.ए. गठबंधन के पास कुछ नहीं रह गया हैअतः बिहार का यह पूरा का पूरा कमजोर वर्ग भी अब भाजपा के पास ही जायेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं पिछड़ा वर्ग से आने के कारण ओबीसी समाज व दलितों के मध्य एक मजबूत व लोकप्रिय चेहरा हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अभी हाल ही में विश्वकर्मा योजना लागू की ही जिसका लाभ समाज के अत्यंत पिछड़ा वर्ग को ही मिलने जा रहा है।
जातिगत आंकड़ों के साथ बिहार सरकार को सभी जातियों का आर्थिक सर्वे भी प्रस्तुत करना चाहिए था । बिहार सरकार को अब यह जवाब भी देना ही चाहिए कि आखिरकार सिर्फ मुसलमानों की संख्या इतनी तीव्रता से क्यों बढ़ रही है। विगत पांच वर्षो में जितनी आतंकवादी घटनाएं हुई हैं इसमें बिहार के मुसलमानों का लिंक ही सामने आया है। क्या बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्या के कारण ही यह वृद्धि हुई है?बिहार जैसे संसाधन सीमित राज्य पर ये बोझ अतिपिछड़ा और दलित के अधिकारों का हनन है। बिहार में 30 वर्षे से पिछड़ा वर्ग के ही मुख्यमंत्री रहे हैं संभव है कि इस बार भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व किसी अति पिछड़े नेता को आगे लाकर मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में प्रस्तुत कर दे।
यह भी ध्यान रहे यह वही बिहार है जहां पीएफआई जैसे संगठनों ने 2047 में भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने की साजिश रची और सनातन धर्म के प्रति नफरत से भरा आई,एन.डी,आई.ए. गठबंधन के घटक दल इन संगठनों को संरक्षण देते रहे हैं।
एक बार पूर्व प्रधनंत्री वी पी सिंह मंडल रिपोर्ट लेकर आये थे आज वह इतिहास के पन्ने से ही गायब हो गये है वहीं अति पिछड़ों को आरक्षण दिलाने की बात करने वाले कर्पूदी ठाकुर जी की सकरार ही गिर गयी थी और अब लालू यादव ओैर नीतिश की जोड़ी सहित पूरे आई,एन.डी,आई.ए. गठबंधन का और भी बुरा हश्र होने जा रहा है क्योंकि जन सामान्य अब पहले से कहीं अधिक जागरुक है ।
प्रेषक - मृत्युंजय दीक्षित
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