भगवान बुद्ध के पवित्र पिपरहवा अवशेष भारत लौटे

नई दिल्ली। भारत सरकार और गोदरेज औद्योगिक समूह के बीच अनुकरणीय सार्वजनिक-निजी साझेदारी के माध्यम से भगवान बुद्ध के पवित्र पिपरहवा अवशेषों की भारत में वास्तविक निवास स्थान पर ऐतिहासिक वापसी हुई है। ब्रिटिश सिविल इंजीनियर विलियम क्लैक्सटन पेप्पे द्वारा 1898 में उत्तर प्रदेश के पिपरहवा में खोजे गए अवशेषों को भगवान बुद्ध के पार्थिव […] The post भगवान बुद्ध के पवित्र पिपरहवा अवशेष भारत लौटे appeared first on VSK Bharat.

Aug 1, 2025 - 16:53
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नई दिल्ली। भारत सरकार और गोदरेज औद्योगिक समूह के बीच अनुकरणीय सार्वजनिक-निजी साझेदारी के माध्यम से भगवान बुद्ध के पवित्र पिपरहवा अवशेषों की भारत में वास्तविक निवास स्थान पर ऐतिहासिक वापसी हुई है।

ब्रिटिश सिविल इंजीनियर विलियम क्लैक्सटन पेप्पे द्वारा 1898 में उत्तर प्रदेश के पिपरहवा में खोजे गए अवशेषों को भगवान बुद्ध के पार्थिव अवशेषों से जुड़ा माना जाता है। तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास भगवान बुद्ध के अनुयायियों द्वारा प्रतिष्‍ठापित अवशेष लंबे समय से वैश्विक बौद्ध समुदाय के लिए अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व रखते हैं और भारत के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक खोजों में से एक हैं।

मई 2025 में हांगकांग में नीलामी के लिए रखे गए इन पवित्र अवशेषों को संस्कृति मंत्रालय द्वारा निर्णायक हस्तक्षेप के माध्यम से सफलतापूर्वक सुरक्षित कर लिया गया, जो भारत की सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित करने के उद्देश्य से सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

केंद्रीय संस्कृति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा – पिपरहवा अवशेषों की वापसी प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व की बात है। यह हमारी खोई हुई विरासत को वापस लाने का सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण है।

गोदरेज औद्योगिक समूह की कार्यकारी उपाध्यक्ष पिरोजशा गोदरेज ने कहा – हम इस ऐतिहासिक क्षण में योगदान देकर अत्यंत गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। पिपरहवा अवशेष केवल कलाकृतियां नहीं हैं – वे शांति, करुणा और मानवता की साझा विरासत के कालातीत प्रतीक हैं। “भारत सरकार के साथ हमारी साझेदारी भावी पीढ़ियों के लिए सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।”

यह सफल देश-प्रत्यावर्तन सांस्कृतिक कूटनीति व सहयोग में एक मानक स्थापित करता है। यह दर्शाता है कि किस प्रकार सार्वजनिक संस्थाओं और निजी उद्यमों के बीच रणनीतिक साझेदारी से वैश्विक विरासत की रक्षा व संरक्षण कर सकती है।

पवित्र पिपरहवा अवशेषों का एक विशेष समारोह के दौरान औपचारिक रूप से अनावरण किया जाएगा। उन्हें सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए रखा जाएगा, जिससे नागरिक तथा वैश्विक आगंतुक दुर्लभ कलाकृतियों को देख सकेंगे और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकेंगे।

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