बौद्धिक-शारीरिक रूप से राष्ट्र को समृद्ध करने वाली शिक्षा की आवश्यकता – राज्यपाल हरिभाऊ बागडे

जयपुर। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि राष्ट्र को बौद्धिक और शारीरिक रूप में सुदृढ़ करना आज के दौर की सर्वाधिक आवश्यकता है। विद्या भारती के शिक्षण संस्थान देश में इसी के लिए कार्य करते हैं। एलन मस्क के कहे की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका को भी आज भारतीय इंजीनियरों की आवश्यकता […] The post बौद्धिक-शारीरिक रूप से राष्ट्र को समृद्ध करने वाली शिक्षा की आवश्यकता – राज्यपाल हरिभाऊ बागडे appeared first on VSK Bharat.

Jul 8, 2025 - 17:30
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बौद्धिक-शारीरिक रूप से राष्ट्र को समृद्ध करने वाली शिक्षा की आवश्यकता – राज्यपाल हरिभाऊ बागडे

जयपुर। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि राष्ट्र को बौद्धिक और शारीरिक रूप में सुदृढ़ करना आज के दौर की सर्वाधिक आवश्यकता है। विद्या भारती के शिक्षण संस्थान देश में इसी के लिए कार्य करते हैं। एलन मस्क के कहे की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका को भी आज भारतीय इंजीनियरों की आवश्यकता है।

राज्यपाल शनिवार को राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित विद्या भारती के प्रतिभा सम्मान समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत ने ही जीरो की संख्या विश्व को दी। इसी से आगे की गिनती प्रारंभ हुई। शिवकर बापूजी तलपड़े ने 1895 में भारत में पहला हवाई जहाज उड़ाया था, पर विमान उड़ाने का श्रेय राइट बंधुओं को मिला।

राज्यपाल ने विनोबा भावे के कथन की चर्चा करते हुए कहा कि जिस दिन देश में आजादी के बाद झंडा बदला गया, उसी दिन देश की शिक्षा नीति में बदलाव होना चाहिए था। शिक्षा का भारतीयकरण होना चाहिए था। मैकॉले ने भारत में पश्चिमी शिक्षा पद्धति का प्रसार कर काले अंग्रेज तैयार किए। यह ऐसे हैं जो अपनी गौरवमय परंपरा से विमुख हैं।

राज्यपाल ने कहा कि जितने गुरुकुल कभी भारत में थे, उतने इंग्लैंड में विद्यालय नहीं थे। गुरुकुल में सर्वांगीण विकास की शिक्षा दी जाती थी। गुरुकुल में 16 भाषाएं सिखाई जाती थीं। आज तो तीसरी भाषा का भी विरोध किया जा रहा है। उन्होंने “पूत सिखावे पालने” कहावत की चर्चा करते हुए कहा कि राजस्थान में तो पालने में ही बच्चों को सिखाना प्रारंभ कर दिया जाता है। बच्चों की बौद्धिक क्षमता बढ़ाना ही शिक्षाविदों का प्रमुख कार्य होना चाहिए। उन्होंने जर्मनी की चर्चा करते हुए कहा कि वहां प्राथमिक शिक्षा में सबसे अधिक वेतन मिलता है। शिक्षा की नींव प्राथमिक शिक्षा से ही तैयार होती है।

समारोह में मुख्य वक्ता शिवप्रसाद ने कहा कि विद्या भारती संस्कार निर्माण के लिए देशभर में कार्य करती है। यह सामान्यजन के लिए सामान्यजन द्वारा संचालित किया जाता है। राष्ट्र प्रथम की सोच से कार्य करने की सीख विद्या भारती देती है।

मुख्य अतिथि योगी रमण नाथ महाराज जी ने कहा कि शिक्षा में आइक्यू की दौड़ में इक्यू की अवहेलना की जा रही है। इसी से समाज में भावनात्मक संवेदनशीलता का तेजी से अभाव हो रहा है। माइंड सेटअप बदलने से ही शिक्षा नीति की सफलता संभव होगी।

जसवंत खत्री ने कहा कि सफलता सार्थकता के साथ जुड़ेगी, तभी वह महत्वपूर्ण होगी। पुलिस आयुक्तालय के अतिरिक्त आयुक्त कुंवर राष्ट्रदीप ने नई पीढ़ी से लक्ष्य को सर्वोपरि रखते हुए कार्य करने का आग्रह किया।

राज्यपाल ने प्रारंभ में विद्या भारती के प्रतिभावान विद्यार्थियों को पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया। उन्होंने संस्कार राजस्थान के स्मृति अंक “जयदेव पाठक” का लोकार्पण भी किया। विद्या भारती के अध्यक्ष परमेंद्र दशोरा ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

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