बांग्लादेश में हिन्दुओं पर कहर : पुलिस ने लाठीचार्ज कर ‘ग्रेनेड’ दागे, अब तक 1 की मौत, कई घायल

नई दिल्ली । बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ पुलिस ने दमनकारी कार्रवाई की है। इस्कॉन के महंत चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी के बाद चटगांव में प्रदर्शन कर रहे समर्थकों पर पुलिस ने पहले तो लाठीचार्ज किया और फिर साउंड ग्रेनेड दागे। पुलिस की इस हिंसक कार्रवाई में एक व्यक्ति की मौत हो […]

Nov 27, 2024 - 06:14
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बांग्लादेश में हिन्दुओं पर कहर : पुलिस ने लाठीचार्ज कर ‘ग्रेनेड’ दागे, अब तक 1 की मौत, कई घायल
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नई दिल्ली । बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ पुलिस ने दमनकारी कार्रवाई की है। इस्कॉन के महंत चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी के बाद चटगांव में प्रदर्शन कर रहे समर्थकों पर पुलिस ने पहले तो लाठीचार्ज किया और फिर साउंड ग्रेनेड दागे। पुलिस की इस हिंसक कार्रवाई में एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हो गए।

बता दें कि हिन्दू धर्माचार्य चिन्मय कृष्ण दास पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के अपमान और देशद्रोह का आरोप लगाया गया है। आज इसी आरोप में वहां की अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया, जिसके बाद उनके समर्थकों ने अपना विरोध जताना शुरू कर दिया। इसके बाद पुलिस ने ये दमनकारी कार्रवाई की

पुलिस की कार्रवाई पर सवाल

चटगांव पुलिस के अतिरिक्त उपायुक्त मोफिजुर रहमान ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने कानून-व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश की, जिसके कारण पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। लेकिन पुलिस की इस दमनकारी कार्रवाई में एक व्यक्ति की मौत और कई लोगों के घायल होने की खबर ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

क्या है मामले की पृष्ठभूमि

31 अक्टूबर को चटगांव के कोतवाली थाने में चिन्मय कृष्ण दास और 18 अन्य लोगों के देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था। यह मामला चांदगांव मोहल्ला वार्ड के बीएनपी नेता फिरोज खान ने दायर किया था। जिसके बाद चिन्मय कृष्ण दास को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। वहीं चिन्मय कृष्ण के वकील स्वरूप कांति नाथ ने बताया कि महानगर सत्र न्यायालय में उनकी जमानत के लिए अपील की गई है, जिसकी सुनवाई बुधवार को होगी।

बांग्लादेश में बढ़ रहा अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार

यह घटना बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ बढ़ते हमलों का एक और उदाहरण है। हालांकि इस्कॉन और अन्य हिन्दुत्त्वनिष्ठ संगठनों ने बांग्लादेश सरकार से मामले की निष्पक्ष जांच और हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है। वहीं इस घटना ने बांग्लादेश सरकार की मानवाधिकार नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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