बांग्लादेश में नोटों पर बड़ा बदलाव: मुजीबुर रहमान की जगह अब धार्मिक प्रतीकों को मिलेगी जगह

बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने हाल ही में एक ऐसा निर्णय लिया है, जिसने देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चाओं को जन्म दिया है। नए निर्देशों के अनुसार, बांग्लादेश में छपने वाले नए नोटों पर अब शेख मुजीबुर रहमान की फोटो नहीं होगी। इसके स्थान पर धार्मिक संरचनाओं, बंगाली परंपरा […]

Dec 6, 2024 - 11:06
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बांग्लादेश में नोटों पर बड़ा बदलाव: मुजीबुर रहमान की जगह अब धार्मिक प्रतीकों को मिलेगी जगह

बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने हाल ही में एक ऐसा निर्णय लिया है, जिसने देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चाओं को जन्म दिया है। नए निर्देशों के अनुसार, बांग्लादेश में छपने वाले नए नोटों पर अब शेख मुजीबुर रहमान की फोटो नहीं होगी। इसके स्थान पर धार्मिक संरचनाओं, बंगाली परंपरा के तत्वों और हालिया आंदोलन से प्रेरित भित्तिचित्रों को नोटों पर जगह दी जाएगी।

मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति थे और उन्हें वहां राष्ट्रपिता का दर्जा प्राप्त है। उनकी तस्वीरें लंबे समय से बांग्लादेशी मुद्रा का हिस्सा रही हैं। लेकिन अब मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के आदेश पर इन तस्वीरों को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

सूत्रों के अनुसार, इस निर्णय पर अंतिम मुहर सितंबर 2024 में लगी और नोटों के नए डिज़ाइन भी तैयार कर लिए गए। इनमें धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीकों के साथ-साथ शेख हसीना सरकार के खिलाफ हुए आंदोलन से प्रेरित तस्वीरें शामिल होंगी।

इस कदम को लेकर आलोचकों ने यूनुस सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि यह निर्णय शेख मुजीबुर रहमान की विरासत और उनके योगदान को मिटाने का प्रयास है। आलोचक इसे बांग्लादेश की आजादी के इतिहास को बदलने की कोशिश के रूप में देख रहे हैं।

इससे पहले, अंतरिम सरकार ने मुजीबुर रहमान से जुड़े अन्य प्रतीकों को भी हटाने के कई कदम उठाए हैं। राष्ट्रपति निवास पर लगा उनका चित्र हटा दिया गया है, उनके नाम पर घोषित छुट्टियां खत्म कर दी गई हैं, और कई स्थानों पर लगी उनकी मूर्तियां तोड़ दी गई हैं।

पिछले कुछ महीनों से बांग्लादेश का माहौल बेहद अशांत रहा है। शेख हसीना की सरकार के खिलाफ आंदोलन और हिंसा के बाद उनकी सरकार गिर गई। इसके बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ। हालांकि, नई सरकार बनने के बावजूद हिंसा का दौर थमा नहीं है। हाल के दिनों में हिंदुओं और हिंदू पुजारियों पर बढ़ते हमलों ने भारत सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचा है।

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