फाइटर 2.0 बताया नाम, अजीब हरकतें... 18 घंटे खेलता था पबजी, अब अस्पताल में भर्ती, रहिए सावधान

Baghpat PUBG Addiction Case: बागपत में पबजी खेलने के कारण किशोर की मानसिक स्थिति खराब होने का मामला सामने आया है। बच्चे को 18-18 घंटे तक पबजी गेम खेलना लड़के को भारी पड़ गया। किशोर अपना नाम तक गेम वाली आईडी का बताने लगा। मामले ने लोगों को परेशान किया है।

May 12, 2025 - 13:22
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फाइटर 2.0 बताया नाम, अजीब हरकतें... 18 घंटे खेलता था पबजी, अब अस्पताल में भर्ती, रहिए सावधान
बागपत: के बागपत से मोबाइल गेम के कारण बढ़ी दिक्कत का मामला सामने आया है। बागपत जनपद के टीकरी कस्बे में ऑनलाइन गेमिंग की लत ने एक किशोर की मानसिक स्थिति को गंभीर रूप से बीमार कर दिया। किशोर दिनभर में करीब 18 घंटे तक मोबाइल पर पबजी गेम खेलता था। अत्यधिक गेमिंग के चलते वह अपनी पहचान भूलकर खुद को पबजी गेम का खिलाड़ी और कोड नंबर बताने लगा। मानसिक स्थिति में बदलाव देख परिजन उसे जिला अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने पबजी को मानसिक असंतुलन का कारण बताया। के टीकरी कस्बे में रहने वाले एक राजमिस्त्री ने बताया कि उसके तीन बेटों में सबसे बड़ा बेटा पिछले कई महीनों से पबजी की लत में डूबा था। शुरुआत में परिवार ने उसकी गतिविधियों को सामान्य माना, लेकिन जब वह अजीब हरकतें करने लगा। वह घर में पबजी के पात्रों जैसी बातें और हरकतें करने लगा। इससे परिजनों को चिंता बढ़ गई। किशोर ने खाना-पीना और बातचीत करना भी बंद कर दिया था।

जिला अस्पताल लेकर पहुंचे परिजन

बेटे की देख परिजन उसे एंबुलेंस से जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। वहां सामान्य जांच के दौरान किशोर ने डॉक्टरों को अपना नाम 'फाइटर 2.0' बताया और अस्पताल में भी पबजी के खिलाड़ियों जैसी हरकतें करने लगा। उसकी मानसिक स्थिति देख डॉक्टर हैरान रह गए और उसे तत्काल मनोचिकित्सक के पास भेजा गया। किशोर का इलाज शुरू कर दिया गया है।

ऑनलाइन गेमिंग है खतरनाक

किशोर की मानसिक स्थिति के मामले ने ऑनलाइन गेमिंग के खतरों पर एक बार फिर से ध्यान आकर्षित किया है। जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक का कहना है कि अभिभावक आजकल अपने कार्यों में व्यस्त रहते हैं और बच्चों को व्यस्त रखने के लिए मोबाइल थमा देते हैं। यह आदत धीरे-धीरे लत में बदल जाती है, जिसका गंभीर प्रभाव बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है।मनोचिकित्सकों का कहना है कि पबजी और फायर फाइटर जैसे गेम बच्चों के व्यवहार पर सीधा असर डालते हैं। ऐसे बच्चे वास्तविकता से कटकर गेम की दुनिया में जीने लगते हैं। अभिभावकों से अपील की कि वे बच्चों पर निगरानी रखें और उन्हें मोबाइल से दूर रखें। साथ ही किशोरों को भी समझाएं कि लंबे समय तक मोबाइल गेमिंग मानसिक संतुलन को बिगाड़ सकती है।

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