प्रलय भी नहीं तबाह कर सकता इन बीजों को, जानिए सुरक्षा कवच डूम्सडे वॉल्ट की कहानी

संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में उगाए गए बीजों को आर्कटिक में भेजा गया है, जहां वे अब दुनिया के सबसे सुरक्षित कृषि भंडार स्वालबार्ड ग्लोबल सीड वॉल्ट में संरक्षित किए गए हैं. इस वॉल्ट का मकसद दुनियाभर में पाई जाने वाली अलग अलग फसलों के बीजों को सुरक्षित रखना है ताकि किसी भी आपदा, जलवायु संकट या युद्ध की स्थिति में इन बीजों का इस्तेमाल किया जा सके.

Mar 25, 2025 - 15:58
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प्रलय भी नहीं तबाह कर सकता इन बीजों को, जानिए सुरक्षा कवच डूम्सडे वॉल्ट की कहानी
प्रलय भी नहीं तबाह कर सकता इन बीजों को, जानिए सुरक्षा कवच डूम्सडे वॉल्ट की कहानी

क्या होगा अगर दुनिया में कोई बड़ी तबाही आ जाए? जलवायु परिवर्तन, युद्ध, या प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसलें खत्म हो जाएं? ऐसे संकटों से निपटने के लिए दुनिया के पास एक तरह की ‘जीवन बीमा’ है-स्वालबार्ड ग्लोबल सीड वॉल्ट, जिसे ‘डूम्सडे वॉल्ट’ भी कहा जाता है.

आर्कटिक की बर्फीली पहाड़ियों में मौजूद यह वॉल्ट दुनिया का सबसे सुरक्षित बीज बैंक है, जहां धरती के अलग-अलग हिस्सों से लाए गए लाखों बीजों को सुरक्षित रखा गया है. हाल ही में, पहली बार संयुक्त अरब अमीरात यानी UAE के बीजों को भी यहां भेजा गया है. दुबई के इंटरनेशनल सेंटर फॉर बायोसलाइन एग्रीकल्चर ICBA ने ऐसे बीजों का चयन किया है, जो मुश्किल हालातों में भी उग सकते हैं. नॉर्वे सरकार की ओर से संचालित यह वॉल्ट इंसानों के भविष्य के लिए एक अनमोल खजाना है. अगर कभी खेती को दोबारा शुरू करने की जरूरत पड़ी, तो यहां से सुरक्षित बीजों को निकालकर नई फसलें उगाई जा सकती हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से

पहले जानिए इस वॉल्ट के बारे में

स्वालबार्ड ग्लोबल सीड वॉल्ट उत्तरी ध्रुव के पास नॉर्वे के स्वालबार्ड द्वीपसमूह में स्थित एक अनोखी परियोजना है, जिसे ‘डूम्सडे वॉल्ट’ भी कहा जाता है. इसका मकसद दुनिया भर में पाई जाने वाली विभिन्न फसलों के बीजों को सुरक्षित रखना है ताकि किसी भी आपदा, जलवायु संकट या युद्ध की स्थिति में इन बीजों का इस्तेमाल किया जा सके. यह बर्फ से ढकी पहाड़ियों के भीतर स्थित है, जहां प्राकृतिक रूप से ठंडा तापमान बीजों को सुरक्षित रखने में मदद करता है.

यहां का तापमान -18 डिग्री सेल्सियस के आसपास रखा जाता है, जिससे बीज लंबे समय तक सुरक्षित रह सकते हैं. यहां बीजों को लंबे समय तक संरक्षित करने के लिए काफी ध्यान रखा जाता है. मसलन पहले बीजों को अच्छी तरह सुखाया जाता है ताकि उनमें नमी न रहे. फिर इन्हें एयरटाइट पैकेट्स में पैक कर स्टील कंटेनरों में जमा किया जाता है. हर बीज के साथ उसकी प्रजाति, देश और उसके इस्तेमाल की जानकारी दर्ज की जाती है.

स्वालबार्ड सीड वॉल्ट का इतिहास क्या है?

इस वॉल्ट का निर्माण 2004 में शुरू हुआ और इसे आधिकारिक रूप से 2008 में खोला गया. इसकी स्थापना में नॉर्वे सरकार, क्रॉप ट्रस्ट और नॉर्वेजियन जेनेटिक रिसोर्स सेंटर की महत्वपूर्ण भूमिका रही. इसकी परिकल्पना 1984 में हुई थी, जब वैज्ञानिकों ने यह महसूस किया कि अगर किसी प्राकृतिक आपदा, महामारी या युद्ध की वजह से फसलें नष्ट हो जाती हैं, तो उन्हें कैसे बचाया जा सकता है. इसके बाद वैश्विक स्तर पर बीजों की सुरक्षा को लेकर चर्चा हुई और इस परियोजना पर काम शुरू किया गया. पर सवाल है कि आखिर इसकी जरूरत क्यों महसूस हुई?

सीड वॉल्ट की जरूरत क्यों महसूस हुई?

दुनिया में हजारों तरह की फसलें उगाई जाती हैं और हर फसल की कई किस्में होती हैं. लेकिन जलवायु परिवर्तन, कीटों के प्रकोप, युद्ध और कई दूसरें कारणों से पारंपरिक फसलें धीरे धीरे विलुप्त हो रही हैं. अगर इन बीजों को संरक्षित नहीं किया गया तो भविष्य में खाद्य संकट से सामना करना पड़ सकता है. इसी संकट से बचने के लिए स्वालबॉर्ड वॉल्ट की स्थापना की गई ताकि दुनिया की बीज विविधता को संरक्षित किया जा सके और जब भी जरूरत पड़े, इन्हें संबंधित देशों को लौटाया जा सके.

अब तक कितने बीज जमा हो चुके हैं?

स्वालबार्ड वॉल्ट में किसी भी देश की सरकार, कृषि अनुसंधान संस्थान या सीड बैंक अपने बीज जमा कर सकते हैं. हालांकि, इन बीजों का मालिकाना हक उसी संस्थान के पास रहता है जिसने उन्हें भेजा है. अगर भविष्य में किसी देश को अपने बीजों की जरूरत होती है, तो वह इन्हें वापस ले सकता है. 2024 तक इस वॉल्ट में करीब 13 लाख बीजों के सैंपल जमा किए जा चुके हैं. अब तक 100 से ज्यादा देश अपने बीज यहां सुरक्षित करवा चुके हैं, जिनमें भारत, अमेरिका, चीन, अफ्रीकी देश और कई अन्य शामिल हैं. यहां बीजों को इस तरह संरक्षित किया गया है कि कुछ बीज 100 से 1000 साल तक भी सुरक्षित रह सकते हैं.

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,