पाकिस्तान का एयर डिफेंस क्यों हुआ फेल? 'चाइनीज माल' HQ-9 की असलियत आई सामने!

पाकिस्तान का एयर डिफेंस क्यों हुआ फेल, 'चाइनीज माल' HQ-9 की असलियत आई सामने, भारत के मिसाइल हमलों के सामने क्यों पस्त हुआ HQ-9, 'चाइनीज माल' की चमक बस दिखावे तक,

May 7, 2025 - 05:19
May 7, 2025 - 05:23
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पाकिस्तान का एयर डिफेंस क्यों हुआ फेल? 'चाइनीज माल' HQ-9 की असलियत आई सामने!

पाकिस्तान का एयर डिफेंस क्यों हुआ फेल? 'चाइनीज माल' HQ-9 की असलियत आई सामने!

22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अचानक बढ़ गया। भारत ने इस हमले को बेहद गंभीरता से लेते हुए कड़ा संदेश दिया कि अब आतंकी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पाकिस्तान को अंदेशा था कि भारत सैन्य जवाब दे सकता है। इसी आशंका के चलते पाकिस्तान ने अपनी सीमा पर सेना और वायुसेना की तैनाती बढ़ा दी। कराची और रावलपिंडी जैसे प्रमुख शहरों की सुरक्षा के लिए चीन से मिला HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम भी लगा दिया गया।

लेकिन जब भारत ने सैन्य रणनीति के तहत चुनिंदा ठिकानों पर मिसाइल हमले किए—विशेषकर बहावलपुर जैसे संवेदनशील स्थानों पर—तो पाकिस्तान का यह एयर डिफेंस सिस्टम पूरी तरह फेल हो गया। आइए जानते हैं क्यों…


HQ-9: 'चाइनीज माल' जिसकी असलियत युद्ध में सामने आई

HQ-9 एक लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है, जिसे चीन की CPMIEC कंपनी ने विकसित किया है। पाकिस्तान ने इसे 2021 में अपनी सेना में शामिल किया था। उद्देश्य था भारत के राफेल, सुखोई और ब्रह्मोस जैसी उन्नत प्रणालियों का सामना करना।

लेकिन जब असली परीक्षा की घड़ी आई, तो यह 'चाइनीज माल' भारत की सैन्य तकनीक के आगे टिक नहीं पाया।


भारत के मिसाइल हमलों के सामने क्यों पस्त हुआ HQ-9?

1. तकनीकी कमजोरियाँ

HQ-9 की सबसे बड़ी कमजोरी इसका रडार सिस्टम है। यह भारत के S-400 जैसे मल्टी-AESA रडार जितना उन्नत नहीं है। ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक मिसाइलों को ट्रैक करना तो इसकी सीमा में है, लेकिन उन्हें रोक पाना इसके बस की बात नहीं।

उदाहरण के तौर पर, 9 मार्च 2022 को गलती से भारत से चली एक ब्रह्मोस मिसाइल पाकिस्तान के मियां चन्नू में गिरी थी। उस वक्त भी HQ-9 ने मिसाइल को ट्रैक तो किया था, लेकिन उसे रोकने में पूरी तरह असफल रहा था। और अब 2025 में फिर वही दोहराया गया—लेकिन इस बार इरादा साफ था।

2. भारत का उन्नत S-400 सिस्टम

भारत के पास रूस निर्मित S-400 एयर डिफेंस सिस्टम है, जो न केवल लंबी दूरी की मिसाइलों को रोकने में सक्षम है, बल्कि इसकी तैनाती की गति भी HQ-9 से कई गुना तेज है। S-400 को केवल 5 मिनट में एक्टिवेट किया जा सकता है, जबकि HQ-9 को तैयार होने में 35 मिनट लगते हैं

3. रेंज और गति में पिछड़ता HQ-9

जहां S-400 की मारक क्षमता 400 किलोमीटर तक है, वहीं HQ-9 की रेंज केवल 125 से 200 किलोमीटर तक ही सीमित है। भारत की ब्रह्मोस मिसाइल की रफ्तार HQ-9 के रडार और इंटरसेप्टर की क्षमता से कहीं अधिक है, जिससे यह सिस्टम उन्हें रोक नहीं पाया।


HQ-9 की विफलता के पीछे रणनीतिक चूक भी जिम्मेदार

भारत ने हमलों से पहले रणनीतिक प्लानिंग के तहत पाकिस्तान के रडार नेटवर्क को भ्रमित करने वाली रणनीति अपनाई। इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, सैटेलाइट निगरानी और साइबर इंटरफेरेंस जैसे कई हथियारों का प्रयोग किया गया, जिससे पाकिस्तान की हवाई सुरक्षा प्रणाली भ्रम में पड़ गई।

इससे यह स्पष्ट होता है कि केवल मिसाइल सिस्टम खरीद लेने से कोई देश सुरक्षित नहीं हो जाता—उसे सही रणनीति, तकनीकी क्षमता और विश्वसनीय उपकरणों की जरूरत होती है।


'चाइनीज माल' की चमक बस दिखावे तक

पाकिस्तान का भरोसा चीन के हथियारों पर हमेशा से रहा है। लेकिन बार-बार यह सिद्ध होता रहा है कि चीनी हथियार तकनीकी रूप से कमजोर, धीमे और युद्ध की परिस्थितियों में कम असरदार साबित होते हैं। HQ-9 की विफलता इस बात का ताज़ा प्रमाण है।

जहां भारत ने अपने रक्षा तंत्र में सटीकता, स्पीड और स्ट्रेटजी का संगम दिखाया, वहीं पाकिस्तान केवल 'दिखावटी सुरक्षा' के भरोसे बैठा रहा।


निष्कर्ष: क्या अब पाकिस्तान को सबक मिलेगा?

भारत की हालिया कार्रवाई और HQ-9 की विफलता पाकिस्तान के लिए एक बड़ा सबक है। सिर्फ हथियार खरीदना पर्याप्त नहीं—उनका सही इस्तेमाल, उन्नत तकनीक और रणनीतिक समझ ज़रूरी होती है। वरना दुश्मन मिसाइलें सिर्फ रडार पर दिखती रहेंगी और जमीन पर तबाही मचाती रहेंगी।

पाकिस्तान को अब यह समझने की ज़रूरत है कि 'चाइनीज माल' से ज्यादा, असली युद्ध तकनीक और आत्मनिर्भरता मायने रखती है।

चाइनीज माल' के भरोसे बैठा पाकिस्तान, भारत ने चुन-चुनकर गिराईं मिसाइलें

हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच एक बार फिर यह साबित हो गया कि तकनीक और रणनीति में भारत कितनी बड़ी छलांग लगा चुका है। भारत की ओर से की गई सटीक मिसाइल हमलों ने पाकिस्तान की हवाई सुरक्षा को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया, विशेष रूप से बहावलपुर जैसे संवेदनशील ठिकानों पर। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर क्यों पाकिस्तान का हाई-टेक दिखाया गया HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम भारत की मिसाइलों को रोकने में नाकाम रहा?


तकनीकी कमियों ने खोली पोल

HQ-9 को पाकिस्तान ने बड़े गर्व से अपनी वायु रक्षा प्रणाली में 2021 में शामिल किया था। लेकिन यह सिस्टम भारत की ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक मिसाइलों को रोकने में बुरी तरह विफल रहा।

  • रडार सिस्टम में कमजोरी: HQ-9 का रडार सिस्टम भारत के S-400 जैसी मल्टी-AESA क्षमता नहीं रखता।

  • प्रतिक्रिया समय में देरी: जहां S-400 को केवल 5 मिनट में तैनात किया जा सकता है, वहीं HQ-9 को 35 मिनट लगते हैं।

  • गति और सटीकता: HQ-9 केवल टारगेट ट्रैक कर सकता है, लेकिन उन्हें इंटरसेप्ट नहीं कर पाया — जैसा कि 2022 में मियां चन्नू में ब्रह्मोस गिरने पर देखा गया था।


HQ-9: चीन का 'चाइनीज माल' और पाकिस्तान की गलतफहमी

HQ-9 को चीन की कंपनी CPMIEC ने बनाया है। इसकी रेंज 125 से 200 किलोमीटर बताई जाती है और यह एक साथ 100 टारगेट्स ट्रैक करने की क्षमता रखता है। लेकिन:

  • इसकी इंटरसेप्शन स्पीड मैक 4 (4900 किमी/घंटा) के ऊपर होने के बावजूद, इसकी सटीकता पर भारी सवाल हैं।

  • इसके तीनों वैरिएंट्स की गति और फायरिंग रेंज (12, 41 और 50 किमी) बहुत सीमित है।

  • यह स्पष्ट नहीं है कि यह सिस्टम एक समय में कितने टारगेट्स को नष्ट कर सकता है।


भारत की सैन्य रणनीति ने किया पाकिस्तान को बेबस

भारत ने हाल के हमलों में न केवल अपनी मिसाइल क्षमताओं का प्रदर्शन किया, बल्कि यह भी दिखाया कि उसकी रणनीति कितनी सटीक है।

1. ब्रह्मोस मिसाइल:

दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल (गति 2.8 मैक) है। यह HQ-9 जैसे सिस्टम को चकमा देने और भेदने में सक्षम है।

2. पिनाका और K-9 वज्र:

ये भारत की स्वदेशी तोपें और मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम हैं, जो पाकिस्तान के SH-15 हॉवित्जर से कहीं अधिक उन्नत हैं।

3. S-400 एयर डिफेंस सिस्टम:

रेंज – 400 किलोमीटर। यह भारत को पाकिस्तान के F-16 जैसे विमानों से पहले ही अलर्ट कर देता है। इस कारण पाकिस्तान को अपने विमान ग्वादर जैसी दूर की जगहों पर शिफ्ट करने पड़े।

4. राफेल और सुखोई-30 MKI:

इन लड़ाकू विमानों में लगी मेटियोर, ब्रह्मोस और R-77 जैसी मिसाइलें HQ-9 की रेंज से बाहर रहते हुए भी हमला करने में सक्षम हैं।


पाकिस्तान की चीन पर निर्भरता बनी कमज़ोरी

पाकिस्तान अपनी 95% से अधिक सैन्य जरूरतें चीन से पूरी करता है। HQ-9, PL-15 और SH-15 जैसे चीनी सिस्टमों पर उसका अत्यधिक भरोसा रहा है। लेकिन हाल की घटनाओं से यह साफ हो गया कि ‘चाइनीज माल’ सिर्फ दिखावे तक सीमित है।

  • चीनी हथियारों की गुणवत्ता को लेकर दुनिया में लंबे समय से संदेह रहा है।

  • वास्तविक युद्ध की स्थिति में ये हथियार भारतीय हथियार प्रणालियों के सामने असहाय साबित हुए।


सोशल मीडिया पर क्या बोले लोग?

प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर पाकिस्तान के HQ-9 सिस्टम की असफलता को लेकर चर्चा तेज रही:

  • एक यूजर ने लिखा: "पाकिस्तान का पूरा एयर डिफेंस सिस्टम, जिसमें HQ-9 शामिल है, भारतीय मिसाइलों के सामने विफल रहा।"

  • दूसरे यूजर ने कहा: "चीन ने पाकिस्तान को HQ-9BE और PL-15 जैसे हथियार दिए, लेकिन अगर भारत 9 मिसाइलों से हमला कर सकता है, तो ये सिस्टम किस काम के?"


 रणनीति और तकनीक का भारत के पास श्रेष्ठ मेल

भारत ने यह साफ कर दिया है कि सिर्फ हथियार नहीं, बल्कि उन्हें कब और कैसे उपयोग किया जाए — यही असली ताकत है।
पाकिस्तान ने चाइनीज सिस्टम पर जितना भरोसा दिखाया, वह अब उसके लिए शर्मिंदगी का कारण बन गया है। भविष्य की सैन्य रणनीतियों में केवल 'चमकदार' हथियार नहीं, बल्कि कारगर हथियार ही निर्णायक साबित होंगे।

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