निशिकांत दुबे: बीजेपी के वो ‘अटैकिंग डिफेंडर’, जो विपक्ष पर वार और पार्टी की ढाल बनते हैं, इस बार कुछ ज्यादा आगे निकल गए?

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे अक्सर विवादों में रहते हैं। हाल ही में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पर टिप्पणी करके विवाद खड़ा कर दिया, जिसके बाद पार्टी ने उनसे किनारा कर लिया। दुबे पहले भी कई बार विपक्षी नेताओं पर हमलावर रहे हैं और पार्टी का बचाव करते नजर आए हैं।

Apr 21, 2025 - 09:02
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निशिकांत दुबे: बीजेपी के वो ‘अटैकिंग डिफेंडर’, जो विपक्ष पर वार और पार्टी की ढाल बनते हैं, इस बार कुछ ज्यादा आगे निकल गए?
नई दिल्लीः किसी पार्टी के लिए इससे अच्छा क्या होगा कि उसका नेता ऐसा हो, जो विपक्ष पर हमलावर हो और मौका आने पर पार्टी को बचाने में सबसे आगे भी। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ऐसे ही अटैकिंग डिफेंडर कहे जा सकते हैं। वह मुश्किल समय में पार्टी का ढाल बनते हैं तो विपक्ष को आड़े हाथ लेने का कोई मौका भी नहीं चुकते हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना पर बयान देकर इस बार कुछ ज्यादा ही आगे निकल गए। दुबे ने शनिवार को सीधे । उन्होंने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना पर देश में सिविल वॉर के लिए लिए ज़िम्मेदार ठहराया। हालांकि इसके तुरंत बाद बीजेपी ने दुबे के बयान से खुद को अलग कर लिया। पार्टी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने दुबे को ऐसी बातें करने से बचने की चेतावनी भी दी। वहीं, निशिकांत दुबे ने कहा कि वो पार्टी के अनुशासित सिपाही हैं और पार्टी जो कहेगी वही करेंगे। हालांकि, इससे पहले झारखंड से सांसद ने कहा था कि उन्होंने पार्टी से इस बारे में बात नहीं की है।मगर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और पार्टी के संचार प्रमुख जयराम रमेश ने रविवार को कहा कि नड्डा की बातों का कोई मतलब नहीं है। यह सिर्फ डैमेज कंट्रोल है। दुबे के बयानों पर, जिन्हें बीजेपी के राज्यसभा सांसद और उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने भी दोहराया, जयराम रमेश ने कहा कि ये सांसद नफरत फैलाने वाले भाषण देने में माहिर हैं। उन्होंने कहा कि इन सांसदों को अक्सर समुदायों, संस्थानों और व्यक्तियों पर अटैक करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

कॉरपोरेट नौकरी के बाद बीजेपी जॉइन की

देवघर में जन्मे और जनसंघ के नेता के भतीजे दुबे शुरुआत में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। कॉरपोरेट जगत में कुछ समय बिताने के बाद 56 साल के दुबे ने 2009 में राजनीति में कदम रखा। तब से वह झारखंड के गोड्डा से लगातार चौथी बार लोकसभा सदस्य चुने गए हैं।

बीजेपी की पहली पसंद

बहरहाल, कांग्रेस को नड्डा के 'डैमेज कंट्रोल' में कोई दम नहीं दिख रहा है। कांग्रेस पूछ रही है कि बीजेपी सांसदों द्वारा न्यायपालिका पर हमला करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी चुप क्यों हैं। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से लेकर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक, दुबे अक्सर विपक्षी नेताओं पर निशाना साधने में सबसे आगे रहे हैं। पिछले कुछ सालों में, दुबे बीजेपी की पहली पसंद रहे हैं। वह बड़ी बहसों की शुरुआत करते हैं या विपक्ष पर हमला करते हैं। 2023 में महिला आरक्षण विधेयक पर बहस के दौरान उन्हें अचानक मुख्य वक्ता के तौर पर चुना गया। सबको उम्मीद थी कि बीजेपी अपनी किसी महिला सांसद को आगे करेगी।

...जब बीजेपी के ढाल बने

उसी महीने, जब बीजेपी अपने के बारे में की गई अपमानजनक टिप्पणियों से हुए नुकसान को कम करने की कोशिश कर रही थी, तब दुबे फिर से पार्टी का बचाव करते हुए आगे आए। उन्होंने कई ऐसे मौके बताए जब विपक्षी नेताओं ने 'अनुचित टिप्पणियां' की थीं। उन्होंने मांग की कि 'सदन के अन्य सदस्यों द्वारा चंद्रयान 3 मिशन पर चर्चा के दौरान की गई बातों की जांच के लिए एक समिति' बनाई जाए। इसी चर्चा के दौरान बिधूड़ी ने अपमानजनक बातें कही थीं।दुबे ने यह कहकर अपने पार्टी सहयोगी का बचाव किया कि उन्हें उकसाया गया था। कुछ महीने पहले भी दुबे ने पर निशाना साधा था। बीजेपी सांसद ने कहा था कि कांग्रेस के नेता 2017 में डोकलाम संकट के दौरान एक विदेशी शक्ति के प्रतिनिधियों से बात कर रहे थे। उनका इशारा चीन की ओर था। पहले तो दुबे के बयान को हटा दिया गया, लेकिन बाद में उसे फिर से शामिल कर लिया गया। कांग्रेस ने कहा कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ और यह एक 'असाधारण घटना' है।

राहुल गांधी के खिलाफ मोर्चा खोला

इस साल फरवरी में, दुबे ने राहुल गांधी के खिलाफ मोर्चा खोला। राहुल गांधी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब देते हुए एक विवाद खड़ा कर दिया था। दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन की कार्यवाही शुरू करने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि गांधी ने 'शर्मनाक तरीके से ऐतिहासिक और वास्तविक तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा' और 'हमारे देश का मज़ाक उड़ाने और हमारे गणतंत्र की प्रतिष्ठा को कम करने की कोशिश' की। राहुल गांधी ने, केंद्र सरकार की विदेश नीति पर बात करते हुए कहा था कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर को 'तीन या चार बार' अमेरिका भेजा गया था ताकि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश में आमंत्रित करे।

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