नफरत भरी टिप्पणियों के केस में कपिल मिश्रा के खिलाफ कार्यवाही पर रोक नहीं, दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला

दिल्ली हाई कोर्ट ने कपिल मिश्रा पर लगे आरोपों के मामले में निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। मिश्रा पर विधानसभा चुनावों के दौरान आपत्तिजनक ट्वीट्स करने के आरोप हैं।

Mar 19, 2025 - 06:42
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नफरत भरी टिप्पणियों के केस में कपिल मिश्रा के खिलाफ कार्यवाही पर रोक नहीं, दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला
नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने 2020 के विधानसभा चुनावों के दौरान कथित रूप से आपत्तिजनक ट्वीट करने के मामले में दिल्ली के मंत्री के खिलाफ निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने से मंगलवार को इनकार कर दिया। हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को अपनी कार्यवाही जारी रखने की छूट दी। कोर्ट ने मिश्रा की याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया, जिन्होंने मामले में दाखिल पुलिस की चार्जशीट पर संज्ञान लेने और उन्हें बतौर आरोपी समन करने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश को यहां चुनौती दी है।

'ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही रोकने की जरूरत नहीं '

जस्टिस रविंद्र डुडेजा ने कहा कि ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही रोकने की कोई जरूरत नहीं है। इस अदालत को ऐसा करने की जरूरत नहीं लग रही है। ट्रायल कोर्ट को मामले में कार्यवाही आगे बढ़ाने की पूरी छूट है। बीजेपी नेता की ओर से पेश वकील ने इसके लिए बहुत जोर दिया और आरोप तय करने की स्थिति में नेता की छवि को गंभीर नुकसान पहुंचने की आशंका जताई। कोर्ट ने पुलिस को चार हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले में अगली सुनवाई के लिए 19 मई की तारीख तय कर दी।मिश्रा ने 22 जून, 2024 को पारित ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिसके जरिए उन्हें जनवरी 2020 में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान अपने बयानों में 'आपत्तिजनक' शब्दों का इस्तेमाल करने और सोशल मीडिया पर 'भड़काऊ' पोस्ट करने के लिए जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपी एक्ट) की धारा 125 के तहत समन किया गया। इसके लिए तीन साल तक की सजा का प्रावधान है। रिवीजन कोर्ट ने 7 मार्च को मजिस्ट्रेट अदालत के साथ पूरी सहमति जताई कि निर्वाचन अधिकारी द्वारा दायर की गई शिकायत जन प्रतिनिधित्व की धारा 125 (चुनाव के संबंध में वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत अपराध का संज्ञान लेने और कार्यवाही करने के लिए पर्याप्त थी। बीजेपी नेता की पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए रिविजन कोर्ट ने कहा था कि चुनाव आयोग की संवैधानिक जिम्मेदारी है कि वह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए उम्मीदवारों को माहौल बिगाड़ने और दूषित करने से बचाने के लिए दंड के जरिए रोके।

बचाव में दावे

मिश्रा की ओर से सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी ने हाई कोर्ट से कहा कि अधिनियम की धारा 125 एक गैर-संज्ञेय अपराध है और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 155 (2) के तहत प्रक्रिया का पालन किए बिना एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि ट्वीट में किसी भी दो समुदायों या समूहों का कोई संदर्भ नहीं था, जैसा कि आरपी एक्ट की धारा 125 के तहत अनिवार्य शर्त है। जेठमलानी ने तर्क दिया, कथित ट्वीट्स का मकसद न तो विभिन्न वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना था और न ही उस अवधि के दौरान ऐसी कोई स्थिति बनाई गई थी।

दिल्ली पुलिस की दलील

दिल्ली पुलिस की ओर से पेश सरकारी वकील ने याचिका का विरोध किया और कहा कि ट्वीट का मकसद दो धार्मिक समुदायों के बीच नफरत को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर दो अदालतों के एक समान राय रही और मिश्रा की दलीलों पर आरोप तय करने की स्टेज पर विचार किया जा सकता है।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,