देहरादून 'महानगर' तो बना लेकिन सड़कें 'महानगर' के लायक नहीं

मैंने अनुभव किया कि यहां दूसरे राज्यों से पढ़ने वाले बच्चे इसलिए आते हैं क्योंकि उनके माता-पिता को लगता है कि देहरादून अन्य शहरों की तरह असुरक्षित नहीं है यहां क्राइम ना के बराबर है.

Mar 16, 2025 - 18:39
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देहरादून 'महानगर' तो बना लेकिन सड़कें 'महानगर' के लायक नहीं

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून अपनी प्राकृतिक सुंदरता, शांत वातावरण, और स्कूली शिक्षा के लिए प्रसिद्ध है. देहरादून की सड़कों के हालात और सड़क हादसे एक बढ़ती हुई चुनौती बन गए हैं. सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी ने न केवल स्थानीय निवासियों को परेशान किया है, बल्कि बाहर से आने वाले पर्यटकों को भी प्रभावित किया है सबसे ज्यादा देहरादून शहर में लगने वाला ट्रैफिक जाम लोगों के लिए आफत बन गया है. 

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हाल ही में होली से एक दिन पहले 22 साल का एक युवक एक मर्सिडीज़ गाड़ी को इतनी तेज चल रहा था कि उसने 6 लोगों को टक्कर मारी जिसमें चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई और दो गंभीर रूप से घायल हो गए इसके अलावा साल 2024 के नवंबर में देहरादून में हुई एक सड़क दुर्घटना में 6 नौजवान बच्चों की मौत हो गई, तेज गति को इसका कारण बताया गया. उसके बाद लगातार देहरादून में कई ऐसी घटनाएं हुईं जिसने इस बात को सोचने पर मजबूर किया कि शायद देहरादून शहर महानगर तो बन रहा है लेकिन इस शहर की सड़के वाहनों के लिए नहीं बन पाई है. 

देहरादून राजधानी बनने से पहले और राजधानी बनने के बाद मैं बहुत ही करीब से देखा है, यहां की सिंगल लाइन सड़के टू लेन, फोर लेन सड़के बनते हुए देखी है. कभी इस शहर में वाहनों और टू व्हीलर के नाम पर कुछ ही गाड़ियां सड़कों पर दौड़ती थी, लेकिन जैसे ही राज्य का गठन हुआ और देहरादून को राजधानी के रूप में विकसित किया यहां पर आसमान छूती इमारतें ,बड़े-बड़े मॉल, सड़कों के किनारे बाजार और शहर बनता चला गया लेकिन इस शहर में आज भी सड़के उतनी चौड़ी नहीं है, जितनी एक राजधानी के लिए सड़के होनी चाहिए थी.

मैंने अनुभव किया कि यहां दूसरे राज्यों से पढ़ने वाले बच्चे इसलिए आते हैं क्योंकि उनके माता-पिता को लगता है कि देहरादून अन्य शहरों की तरह असुरक्षित नहीं है यहां क्राइम ना के बराबर है. इसके अलावा बड़ी-बड़ी प्राइवेट यूनिवर्सिटी यहां पर खुले जिसमे अन्य शहरों की अपेक्षा बेहद काम सालाना फीस में बच्चा अच्छी शिक्षा हासिल कर सकता है जहां-जहां बड़ी यूनिवर्सिटी आई वहां-वह विकास होता गया लेकिन उसके साथ स्टेटस सिंबल को मेंटेन रखने के लिए माता-पिता ने अपने बच्चों को फोर व्हीलर और महंगे महंगे टू व्हीलर दिए जिसने इस शहर में तेजी से सड़क दुर्घटनाओं को जन्म दिया.

देहरादून शहर में एक पत्रकार के नाते हर दिन मुझे कई किलोमीटर आना-जाना होता है इस दौरान कम उम्र के बच्चे महंगी गाड़ियां और महंगी बाइक ओवर स्पीड करने के साथ-साथ स्टंट मारते हुए दिख जाते हैं. दिन में तो ट्रैफिक होता है कि इस वजह से दुर्घटनाएं नहीं होती लेकिन शाम होते ही देहरादून का राजपुर रोड, मसूरी डायवर्शन, ओल्ड राजपुर रोड, प्रेम नगर, क्लेमेंट टाउन, या फिर रेस कोर्स और बसंत विहार जैसे  इलाकों में शाम से रात तक गाड़ियां हवा में बातें करती हैं. बाइक मानो ऐसी चल रही होती है जैसे फिल्मों में दिखाया जाता है यही वजह है कि देहरादून में सड़क दुर्घटनाओं में इजाफा होता जा रहा है. 

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दूसरा, इस शहर में ट्रैफिक सेंस और सिविक सेंस की बेहद कमी है. देहरादून शहर की सड़क कम चौड़ी है यहां के लोग सड़क के किनारे गाड़ियां खड़ी कर देते हैं. इसके अलावा ज़ेबरा क्रॉसिंग से आगे तक गाड़ी खड़ी की जाती है तो दूसरी तरफ यहां बिना सीट बेल्ट वाहन चलाते हुए फोन पर बात करना और सबसे बड़ी बात मंदिरों में दर्शन करने जाने से पहले अपना वाहन मंदिर के आगे या सड़क के बीच खड़ा कर दिया जाता है, जिससे ट्रैफिक जाम होता है या फिर आपस में गाड़ियां टकरा जाती है . अक्सर मैंने कई बार ट्रैफिक डायरेक्टेड या ट्रैफिक से संबंधित पुलिस कर्मियों को कई ऐसी तस्वीर भेजी है जो या तो रॉन्ग साइड गाड़ी चला रहे होते हैं या फिर सड़कों पर गाड़ी खड़ी कर देते हैं जिससे ट्रैफिक जाम होता है. और एक्सीडेंट की संभावनाएं बढ़ जाती है लेकिन काम ही शिकायतों पर काम हो पता है

तीसरा, देहरादून में वेस्टर्न कल्चर भी बहुत तेजी से बढ़ा है. यहां शाम होते ही होटल पब्स या फिर रेस्टोरेंट में बड़ी-बड़ी पार्टी होना और उसमें शराब का होना, यह भी सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अहम भूमिका निभाता है क्योंकि दिल्ली मुंबई बेंगलुरु या फिर अन्य बड़े महानगरों में जिस तरीके से शाम होते ही पार्टी ऑर्गेनाइज की जाती है. बार-रेस्टोरेंट और पब में युवा जाते हैं और फिर उसके बाद शराब पीकर वाहन तेजी से दौड़ आते हैं. यह भी कारण है सड़क दुर्घटनाओं में इजाफा करने का क्योंकि कई बार शाम को घर आते हुए और या फिर किसी खबर पर जाते हुए अक्सर देखा है कि शराब के नशे में वाहन सड़कों पर दौड़ते हैं शाम से रात को.

अब बात करे तो देहरादून की सड़कें अक्सर खराब हालत में रहती हैं, जिससे यातायात की समस्या बढ़ जाती है। सड़कों पर गड्ढे, दरारें, और अनियमितताएं आम बात हैं। यह न केवल वाहनों को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि यात्रियों को भी असहजता का अनुभव कराता है.

इस लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. 

डिस्क्लेमर: किशोर रावत, एनडीटीवी में बतौर विशेष संवाददाता कार्यरत हैं. 

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,