दुनिया का 7वां सबसे बड़ा भंडार, फिर भी इसे बढ़ाने में जुटा है भारत, क्‍यों?

वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के बीच सोने की कीमतों में तेजी आई है और दुनिया भर के सेंट्रल बैंक इसे सुरक्षित निवेश मान रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी 2024-25 में 57.5 टन सोना खरीदा, जिससे पिछले पांच सालों में उसके सोने के भंडार में 35% की बढ़ोतरी हुई है।

Apr 30, 2025 - 20:43
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दुनिया का 7वां सबसे बड़ा भंडार, फिर भी इसे बढ़ाने में जुटा है भारत, क्‍यों?
नई दिल्‍ली: सोने की कीमतों में हाल के कुछ समय में जोरदार तेजी आई है। सिर्फ लोग ही नहीं, दुनिया भर के सेंट्रल बैंक भी सोने को अहमियत दे रहे हैं। वे इसे मुश्किल समय में सुरक्षित निवेश मान रहे हैं। अमेरिका की व्यापार नीतियों के कारण दुनिया की अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मची है। भू-राजनीतिक तनाव बढ़ा है। इस वजह से सोने के दाम आसमान छू रहे हैं। यही कारण है कि दुनिया भर के सेंट्रल बैंक सोना खरीद रहे हैं। भारत का केंद्रीय बैंक आरबीआई भी इसमें पीछे नहीं है। उसने पिछले कुछ सालों में सोने की खरीदारी बढ़ा दी है। 2024-25 में (आरबीआई) ने 57.5 टन सोना खरीदा। पिछले पांच सालों में आरबीआई के पास 35% बढ़ गया है। भारत अब दुनिया में सोने के भंडार के मामले में सातवें नंबर पर है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी 2021 में 6.86% थी, जो अब बढ़कर 11.35% हो गई है। डॉलर की अस्थिरता को देखते हुए आरबीआई सोने को सुरक्षित विकल्प मान रहा है।आरबीआई ज्यादा सोना क्यों खरीद रहा है? एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसकी सबसे बड़ी वजह डॉलर की अस्थिरता है। बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस कहते हैं, 'डॉलर हाल के वर्षों में बहुत अस्थिर रहा है और सोना एक ज्यादा स्थिर विकल्प है।'

डॉलर की कीमत में उतार-चढ़ाव

डॉलर अभी भी दुनिया की सबसे बड़ी रिजर्व करेंसी है। लेकिन, इसकी कीमत में उतार-चढ़ाव और अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में बढ़ोतरी ने सेंट्रल बैंकों के लिए खतरा बढ़ा दिया है। इसलिए, कई बैंक अपने पोर्टफोलियो में सोने की मात्रा बढ़ा रहे हैं। EY इंडिया के चीफ पॉलिसी एडवाइजर डीके श्रीवास्तव का कहना है, 'जनवरी 2025 में डॉलर इंडेक्स लगभग 110 था, जो अब 100 से नीचे आ गया है। लिहाजा, आरबीआई के लिए सोने की हिस्सेदारी बढ़ाना समझदारी भरा फैसला है।'सितंबर 2022 से आरबीआई ने 214 टन सोना वापस भारत मंगवा लिया है। यह दिखाता है कि वह के बीच घरेलू स्टोरेज को बढ़ावा दे रहा है। L&T के ग्रुप चीफ इकोनॉमिस्ट सच्चिदानंद शुक्ला का कहना है, 'यह कदम भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करता है और सोने को एक स्थिर संपत्ति के रूप में दिखाता है।' बढ़ने से भारत को रुपये को ग्लोबल ट्रेड में बढ़ावा देने और UPI जैसे प्लेटफॉर्म को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस्तेमाल करने में मदद मिल सकती है। श्रीवास्तव आगे कहते हैं, 'जैसे-जैसे कच्चे तेल की कीमतें गिरेंगी और डॉलर पर निर्भरता कम होगी, भारत को ज्यादा ट्रेड और RBI से ज्यादा मुनाफा होगा।'

मजबूत रहेंगी सोने की कीमतें

एक्सपर्ट्स का मानना है कि सोने की कीमतें मजबूत रहेंगी। यही वजह है कि आरबीआई समेत कई सेंट्रल बैंक सोने में निवेश बढ़ाएंगे। इससे लंबे समय में वित्तीय स्थिरता बनी रहेगी।भारत ने सोने के भंडार के मामले में तेजी से तरक्की की है। 2015 में भारत 10वें नंबर पर था, लेकिन अब सातवें नंबर पर पहुंच गया है। वित्‍त वर्ष 2019-20 में भारत के पास 653 टन सोना था, जो मार्च 2025 तक बढ़कर 880 टन हो गया। यह 35% की बढ़ोतरी है। आरबीआई का यह कदम रुपये को मजबूत करने और भारत को आर्थिक रूप से सुरक्षित रखने में मदद करेगा। सोने को हमेशा से ही एक सुरक्षित निवेश माना जाता रहा है। मुश्किल समय में यह अर्थव्यवस्था को सहारा देता है। इसी वजह से आरबीआई का सोने पर ध्यान देना अच्छा संकेत है।
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