दिल लेफ्ट में नहीं सेंटर में, लिवर और फेफड़े भी इधर-उधर… 45 साल बाद खुला शरीर की अनोखी बनावट का राज

झांसी के मेडिकल कॉलेज में हाल ही में दो मरीजों में हेटेरोटैक्सी सिंड्रोम का पता चला है, जिसमें शरीर के आंतरिक अंग अपनी सामान्य जगह पर नहीं थे. अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन से इस दुर्लभ जन्मजात विकृति की पुष्टि हुई. यह सिंड्रोम हृदय रोग, पाचन समस्याओं और फेफड़ों के संक्रमण का खतरा बढ़ाता है.

Aug 2, 2025 - 16:32
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दिल लेफ्ट में नहीं सेंटर में, लिवर और फेफड़े भी इधर-उधर… 45 साल बाद खुला शरीर की अनोखी बनावट का राज
दिल लेफ्ट में नहीं सेंटर में, लिवर और फेफड़े भी इधर-उधर… 45 साल बाद खुला शरीर की अनोखी बनावट का राज

उत्तर प्रदेश में झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हाल ही में दो ऐसे मरीज सामने आए हैं, जिनके शरीर की बनावट ने न सिर्फ डॉक्टरों को चौंका दिया, बल्कि मेडिकल साइंस को भी हैरत में डाल दिया. इन मरीजों के शरीर के आंतरिक अंग न सामान्य जगह पर थे, न सामान्य आकार में थे. डॉक्टरों ने इस दुर्लभ स्थिति का नाम हेटेरोटैक्सी सिंड्रोम है.

डॉक्टरों के मुताबिक, यह एक जन्मजात विकृति है जिसमें शरीर के आंतरिक अंग जैसे दिल, लिवर, फेफड़े, तिल्ली और पित्ताशय अपने सामान्य स्थान से इधर-उधर होते हैं. यह पता तब चला, जब 45 साल की उम्र के एक पुरुष और महिला मरीज को पेट दर्द और अपच की शिकायत लेकर जांच कराने मेडिकल कॉलेज पहुंच थे.

अल्ट्रासाउंड में खुली शरीर के रहस्य की परतें

वरिष्ठ रेडियोलॉजिस्ट डॉ. रचना चौरसिया ने बताया कि जब मरीजों का अल्ट्रासाउंड किया गया तो दिल सीने के बिल्कुल बीचों-बीच मिला, जो कि सामान्य रूप से बाईं ओर होता है. दिल के चारों कक्ष भी सामान्य आकार से अलग, एक जैसे थे. लिवर दोनों ओर फैला हुआ था, पित्ताशय बाईं जगह से हटकर बीच में मिला, और तिल्ली की जगह पर दाईं ओर कई छोटी-छोटी संरचनाएं दिखीं.

ऐसे हुआ बड़ा खुलासा

सीटी स्कैन से यह भी स्पष्ट हुआ कि आंतें सामान्य दिशा में नहीं मुड़ी थीं, एपेंडिक्स मध्य रेखा में मिला और फेफड़ों में भी विसंगतियां देखी गईं. यह सब देखकर डॉक्टरों को शक हुआ कि मामला गंभीर है, और फिर हेटेरोटैक्सी सिंड्रोम का नाम सामने आया.

डॉ. रचना के अनुसार, यह विकृति बेहद दुर्लभ होती है. करीब 25 हजार में से एक मरीज को यह सिंड्रोम होता है. अधिकतर मामलों में यह बचपन में हृदय रोग के लक्षणों के साथ सामने आता है, लेकिन इन दो मरीजों की उम्र यह साबित करती है कि यह दशकों तक बिना किसी लक्षण के भी छिपा रह सकता है. डॉक्टरों ने स्पष्ट किया कि ऐसे मरीजों को बार-बार फेफड़ों में संक्रमण, पाचन से जुड़ी दिक्कतें और हृदय संबंधी रोगों का खतरा सामान्य से कहीं अधिक होता है. इसलिए समय पर जांच और सही निदान बेहद जरूरी है.

बचपन में पहचान से टल सकती हैं जटिलताएं

डॉ. रचना ने कहा कि यदि यह स्थिति बच्चों में शुरुआती अवस्था में पहचान ली जाए, तो इलाज भी संभव है और भविष्य में जटिलताओं से भी बचा जा सकता है. अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन अब इस पहचान का आधुनिक मानक बनते जा रहे हैं. यदि किसी मरीज को लंबे समय से अपच, पेट दर्द या बार-बार फेफड़ों की दिक्कत हो रही है, तो एक बार शरीर की आंतरिक बनावट की जांच जरूर करवा लें. हो सकता है कोई अदृश्य जन्मजात रहस्य छिपा हो.

(रिपोर्ट- विवेक राजौरिया/ झांसी)

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