टेक्सास में पाकिस्तान डे और शरिया सिटी का बवाल : सोशल मीडिया पर भूचाल, लोग बोले- ये क्या हो रहा है?

अमेरिका के टेक्सास में एक रेसॉल्यूशन पारित हुआ और अब इस रेसॉल्यूशन का सोशल मीडिया पर विरोध हो रहा है। इस रेसॉल्यूशन को स्टेट रेप्रिजेंटेटिव डॉ. सुलेमान ललानी ने प्रस्तुत किया और यह इसलिए किया गया क्योंकि वे टेक्सास के पाकिस्तानी नागरिकों के राज्य के सामाजिक, धार्मिक, भाषाई और आर्थिक क्षेत्रों में किये गए योगदानों […]

Apr 4, 2025 - 19:32
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टेक्सास में पाकिस्तान डे और शरिया सिटी का बवाल : सोशल मीडिया पर भूचाल, लोग बोले- ये क्या हो रहा है?

अमेरिका के टेक्सास में एक रेसॉल्यूशन पारित हुआ और अब इस रेसॉल्यूशन का सोशल मीडिया पर विरोध हो रहा है। इस रेसॉल्यूशन को स्टेट रेप्रिजेंटेटिव डॉ. सुलेमान ललानी ने प्रस्तुत किया और यह इसलिए किया गया क्योंकि वे टेक्सास के पाकिस्तानी नागरिकों के राज्य के सामाजिक, धार्मिक, भाषाई और आर्थिक क्षेत्रों में किये गए योगदानों को सम्मानित करने के लिए इस दिन को मनाने का निर्णय लिया गया।

इस अवसर पर टेक्सास में पाकिस्तान के कॉनसुल जनरल आफताब चौधरी भी उपस्थित थे। इस अवसर पर हाउस स्पीकर डस्टिन बरोज़ भी मौजूद थे और पाकिस्तान के कॉनसुल जनरल आफताब चौधरी का इस रेसॉल्यूशन को पारित कराने में सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर कॉनसुल जनरल ने डस्टिन बरो को पाकिस्तान जाने की दावत भी दी कि वे राज्य के प्रतिनिधियों और व्यापारियों के साथ पाकिस्तान आएं, जिससे दोनों ही क्षेत्रों के बीच परस्पर संबंध मजबूत हों।

अब इसे लेकर सोशल मीडिया पर प्रश्न उठ रहे हैं। हंगामा मचा हुआ है। लोग तरह-तरह के प्रश्न पूछ रहे हैं। एक यूजर ने एक्स पर पोस्ट लिखकर पूछा कि टेक्सास ने मुस्लिम माह रमजान और ईद-उल-फ़ितर को मान्यता देते हुए एक रेसोल्यूशन पारित किया था और अब उन्होनें पाकिस्तान डे मनाने का भी फैसला किया है और एक शरिया शहर भी बनाया जा रहा है। यह सब क्या है? यह एक हमला है


फिल्म निर्माता रॉबी स्टारबक ने एक्स पर लिखा कि “क्या कोई मुझे समझा सकता है कि टेक्सास ने 23 मार्च को पाकिस्तान डे मनाने का फैसला क्यों लिया है? उन्होनें डस्टिन बूरो से प्रश्न करते हुए कहा कि क्या आपको जनता ने इसीलिए चुना है कि आप दूसरे देशों के दिन मनाएं!


निवेशक टोनी सेरुगा ने एक्स पर उस शहर का वीडियो साझा किया, जो शहर पूरी तरह से इस्लामिक तरीके से बनाया जा रहा है। उन्होनें प्रश्न किया कि टेक्सास में आखिर हो क्या रहा है? आप लोग अपना राज्य खोने की कगार पर हैं। पहले मुस्लिम शहर और अब टेक्सास ने 23 मार्च को पाकिस्तान डे मनाने का फैसला किया है।

क्या मुझे कोई बता सकता है कि क्यों?


टेक्सास में मुस्लिमों के लिए एक अलग शहर बन रहा है, जिसका नाम एपिक सिटी है। इसे लेकर काफी समय से लोगों में गुस्सा था। लोग टेक्सास में अनियंत्रित अप्रवासन का भी मुद्दा उठा रहे हैं और यह कह रहे हैं कि इस सीमा तक बाहरी लोग यहाँ पर आ गए हैं कि हम अमेरिका के दिल टेक्सास में एक पाकिस्तान डे मना रहे हैं।

हालांकि टेक्सास में बस रही इस्लामिक शहर Epic City को लेकर अब जो समाचार आ रहे हैं, उनके अनुसार इस प्रोजेक्ट को शायद अनुमति न दी जाए क्योंकि गवर्नर ने ईस्ट प्लैनो इस्लामिक सेंटर द्वारा विकसित की जा रही एपिक सिटी परियोजना में आपराधिक जांच शुरू कर दी है। यह शहर 400 एकड़ की जमीन पर बनने जा रहा था।

फॉक्स न्यूज़ के अनुसार गवर्नर ने कहा कि उनके पास यह शिकायत आई थी कि उस शहर में बिना कानूनी अधिकार के एक कब्रिस्तान भी बनेगा।“ इसके अनुसार उल्लंघनों में निवेशकों को धोखा देना, बिल्डिंग परमिट न लेना और संभावित निष्पक्ष आवास उल्लंघनों भी शामिल थे।


इस एपिक सिटी को लेकर वहाँ की जनता ने आवाज उठाई थी और अदालत में जाकर इस शहर के बारे में विरोध किया था। इस शहर के नाम पर जो धर्म के आधार पर उल्लंघन हो रहा है, उसे भी खुलकर कहा था। एमी मेक ने एक महिला का वीडियो साझा किया था। महिला कह रही थी कि

“”हम यहाँ ग्वाटेमाला कैथोलिक परिसर बनाने नहीं आए थे। हम यहीं घुलमिल गए। हम अमेरिकी बन गए। एपिक ऐसा शहर क्यों बना रहा है जहाँ सब कुछ इस्लामिक है – स्कूल, मस्जिद, फिटनेस सेंटर, यहाँ तक कि मेडिकल क्लिनिक भी? यह विविधता नहीं है। यह वैचारिक अधिग्रहण है। यह अमेरिकी लोगों के लिए ठीक नहीं है।”


एपिक सिटी को लेकर किया गया विरोध सफल हुआ है और ऐसा भी कहा जा रहा है कि जो इसका मुख्य डेवलपर है, उसकी सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल से एपिक सिटी के प्रमोशन का वीडियो नहीं दिख रहा है। इस एपिक सिटी को लेकर जज भी विरोध में आ गए थे।

इस शहर को लेकर एक वीडियो साझा करते हुए एक यूजर ने लिखा था कि एपिक सिटी का यासिर कादिर साफ कह रहा है कि इस्लाम संविधान का लाभ तभी तक उठाएगा जब तक वह उसे नष्ट नहीं कर देता। एपिक सिटी का शरिया एक व्यापक कानूनी-राजनीतिक व्यवस्था है – जो मूल रूप से पश्चिमी सभ्यता के विपरीत है।


इस वीडियो में दिख रहा है कि कैसे एक अलग इस्लामिक शहर का विरोध करने वालों को इस्लामोफोबिक कहा जा रहा है। जबकि लोगों का प्रश्न यही है कि क्या अलग मजहब के आधार पर एक पूरा का पूरा शहर बसाया जा सकता है, और वह भी एक लोकतान्त्रिक देश में?

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