जो योगी ने कहा वही हुआ, सीपीसीबी ने नई रिपोर्ट में कहा- महाकुंभ के दौरान पानी की गुणवत्ता स्नान के लिए उपयुक्त थी

प्रयागराज महाकुंभ मेला 2025 के दौरान गंगा-यमुना जल की गुणवत्ता को लेकर विवाद हुआ। सीपीसीबी की नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि महाकुंभ के दौरान पानी स्नान योग्य था। योगी आदित्यनाथ ने सीपीसीबी की रिपोर्ट के खिलाफ यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट पेश की और दावा किया था कि संगम का जल नहाने और आचमन योग्य है।

Mar 10, 2025 - 10:15
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जो योगी ने कहा वही हुआ, सीपीसीबी ने नई रिपोर्ट में कहा- महाकुंभ के दौरान पानी की गुणवत्ता स्नान के लिए उपयुक्त थी
नई दिल्ली/प्रयागराज: उत्तर प्रदेश में के दौरान गंगा-यमुना नदी के जल की गुणवत्ता को लेकर काफी विवाद रहा। इसकी शुरुआत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में दाखिल एक रिपोर्ट से हुई, जिसमें साफ कहा गया कि गंगा और यमुना नदी का जल नहाने योग्य नहीं है। इस रिपोर्ट के सामने आते ही हड़कंप मच गया। विपक्षी दलों ने योगी सरकार पर हमले तेज कर दिए। उधर योगी आदित्यनाथ ने इस संबंध में खुद मोर्चा संभाला और सीपीसीबी की रिपोर्ट के काउंटर में यूपी प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट विधानसभा में पेश की। इसमें दावा किया गया कि संगम का पानी न सिर्फ नहाने योग्य है, बल्कि उसमें आचमन भी किया जा सकता है। मामले में तमाम सियासी बयान आते रहे। इस बीच महाकुंभ का सकुशल समापन भी हो गया। अब इसी मामले में सीपीसीबी की नई रिपोर्ट चर्चा में आ गई है। इस रिपोर्ट में कहीं न कहीं वही बात सामने आई है, जो योगी आदित्यनाथ कह रहे थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि महाकुंभ के दौरान पानी की गुणवत्ता स्नान के लिए उपयुक्त थी। सीपीसीबी की नई रिपोर्ट में कहा गया कि सांख्यिकीय विश्लेषण के अनुसार प्रयागराज में हाल ही में संपन्न महाकुंभ के दौरान पानी की गुणवत्ता स्नान के लिए उपयुक्त थी। सांख्यिकीय विश्लेषण इसलिए आवश्यक था क्योंकि एक ही स्थान से अलग-अलग तिथियों और एक ही दिन में अलग-अलग स्थानों से एकत्र किए गए नमूनों में ‘‘आंकड़ों की भिन्नता’’ थी, जिसके कारण ये ‘‘नदी क्षेत्र में समग्र नदी जल की गुणवत्ता’’ को प्रतिबिंबित नहीं करते थे।सीपीसीबी की 28 फरवरी की तारीख वाली इस रिपोर्ट को 7 मार्च को एनजीटी की वेबसाइट पर अपलोड किया गया। बोर्ड ने 12 जनवरी से लेकर अब तक हर हफ्ते 2 बार, जिसमें महास्नान भी शामिल हैं, गंगा नदी पर 5 स्थानों तथा यमुना नदी पर दो स्थानों पर जल निगरानी की।रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘विभिन्न तिथियों पर एक ही स्थान से लिए गए नमूनों के लिए विभिन्न मापदंडों जैसे पीएच, घुलित ऑक्सीजन (डीओ), जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) और फीकल कोलीफॉर्म काउंट (एफसी) के परिमाण में अहम बदलाव देखे गए है। एक ही दिन एकत्र किए गए नमूनों के लिए उपर्युक्त मापदंडों के परिमाण भी अलग-अलग स्थानों पर भिन्न होते हैं।’’रिपोर्ट के मुताबिक जल में ऑक्सीजन की मात्रा या डीओ, जल में कार्बनिक पदार्थों को खंडित करने के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा को मापता बीओडी, तथा सीवेज संदूषण का सूचक एफसी जल की गुणवत्ता के प्रमुख संकेतक हैं। एक विशेषज्ञ समिति ने ‘‘आंकड़ों में परिवर्तनशीलता’’ के मुद्दे की जांच की और कहा, ‘‘आंकड़ा एक विशिष्ट स्थान और समय पर जल गुणवत्ता का तत्कालिक स्थिति को दर्शाता है और यह ऊपरी धारा में मानवजनित गतिविधियों (मानव क्रियाकलापों), प्रवाह की दर, नमूने की गहराई, नमूने का समय, नदी की धारा और धाराओं का मिश्रण, नमूना स्थान और ऐसे कई अन्य कारकों के आधार पर काफी भिन्न हो सकता है।’’रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘परिणामस्वरूप, ये मान उस सटीक समय और स्थान पर जल गुणवत्ता मापदंडों को दर्शाते हैं, जहां से ये जल नमूने एकत्र किए गए थे तथा ये नदी की समग्र विशेषताओं को पूरी तरह से प्रदर्शित नहीं कर सकते हैं, इसलिए जरूरी नहीं है कि ये नदी के पूरे क्षेत्र में समग्र जल गुणवत्ता को प्रदर्शित करें।’’रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि परिवर्तनशीलता के कारण, प्रमुख मापदंडों के लिए विभिन्न निगरानी स्थानों के जल गुणवत्ता डेटा का सांख्यिकीय विश्लेषण 12 जनवरी से 22 फरवरी तक ‘‘सामूहिक स्नान’’ के 10 स्थानों पर किया गया और 20 दौर की निगरानी की गई।’’रिपोर्ट में कहा गया है कि, ‘‘यह प्रस्तुत किया गया है कि उपर्युक्त सांख्यिकीय विश्लेषण के अनुसार, निगरानी किए गए खंडों के लिए पीएच, डीओ, बीओडी और एफसी का औसत परिमाण (आंकड़ों की केंद्रीय प्रवृत्ति) संबंधित मानदंडों/अनुमेय सीमाओं के भीतर है।’’ एफसी का औसत परिमाण 1,400 था, जबकि स्वीकार्य सीमा 2,500 यूनिट प्रति 100 मिली है, जबकि डीओ पांच मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक के निर्धारित मानक के मुकाबले 8.7 था, तथा बीओडी 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम या उसके बराबर की निर्धारित सीमा के मुकाबले 2.56 था।सीपीसीबी ने इससे पहले 17 फरवरी को एक रिपोर्ट में एनजीटी को सूचित किया कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में विभिन्न स्थानों पर फीकल कोलीफॉर्म का स्तर स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता के अनुरूप नहीं था। एनजीटी इस मामले की अगली सुनवाई सात अप्रैल को करेगी।इससे पहले उत्तर प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि फेकल बैक्टीरिया की रिपोर्ट करते हुए महाकुंभ को बदनाम करने की साजिश रची गई। यह करोड़ों लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि संगम का जल स्नान और आचमन लायक है। इस दौरान योगी आदित्यनाथ ने यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से दी गई पूरी टेस्टिंग रिपोर्ट को रखा। योगी ने कहा कि संगम के पानी की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। संगम और उसके आसपास के सभी पाइप और नालों को टेप कर दिया गया है और पानी को शुद्ध करने के बाद ही छोड़ा जा रहा है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए लगातार निगरानी कर रहा है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार संगम के पास BOD की मात्रा 3 से कम है और घुलित ऑक्सीजन 8-9 के आसपास है। इसका मतलब है कि संगम का पानी न केवल नहाने के लिए, बल्कि आचमन के लिए भी उपयुक्त है। उन्होंने कहा कि फेकल कोलीफॉर्म बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे सीवेज लीकेज और जानवरों का मल, लेकिन प्रयागराज में फेकल कोलीफॉर्म की मात्रा मानकों के अनुसार 2,500 एमपीएन प्रति 100 एमएल से कम है। इसका मतलब है कि झूठा अभियान केवल महाकुंभ को बदनाम करने के लिए है। इससे पहले सीपीसीपी की ओर से दी गई रिपोर्ट में कहा गया कि फेकल कोलीफॉर्मकी स्वीकार्य सीमा 2500 यूनिट प्रति 100 एमएल है। सीपीसीपी ने तीन फरवरी को एक रिपोर्ट दाखिल की थी, जिसमें कुछ गैर अनुपालन और उल्लंघनों की ओर इशारा किया गया था।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,