क्या 73 साल के फ्रास्वां बायरू थाम पाएंगे फ्रांस में डगमगाती राजनीति! 3 महीने में दूसरे प्रधानमंत्री बनेंगे बायरू

नए प्रधानमंत्री के रूप में फ्रांस्वा बायरू के सामने भी चुनौतियां कम नहीं होंगी लेकिन उनके लंबे राजनीतिक अनुभव को देखते हुए, राष्ट्रपति मैक्रों मानते हैं कि वे देश को अस्थिरता के दौर से उबार लेंगे। जैसा पहले बताया, फ्रांस की नेशनल असेंबली में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिलने के कारण उस […]

Dec 15, 2024 - 12:13
 0  14
क्या 73 साल के फ्रास्वां बायरू थाम पाएंगे फ्रांस में डगमगाती राजनीति! 3 महीने में दूसरे प्रधानमंत्री बनेंगे बायरू

नए प्रधानमंत्री के रूप में फ्रांस्वा बायरू के सामने भी चुनौतियां कम नहीं होंगी लेकिन उनके लंबे राजनीतिक अनुभव को देखते हुए, राष्ट्रपति मैक्रों मानते हैं कि वे देश को अस्थिरता के दौर से उबार लेंगे। जैसा पहले बताया, फ्रांस की नेशनल असेंबली में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिलने के कारण उस देश में अभूतपूर्व राजनीतिक असमंजसता पैदा हुई है।


फ्रांस में ​गत आम चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत न मिलने और वामपंथी दलों के गठबंधन को सत्ता में आने देने से रोकने के चलते राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों के सामने एक के बाद एक चुनौती आ रही है। देश को चलाने के लिए मजबूत सरकार बनाने के लिए उन्होंने पहले बार्नियर को प्रधानमंत्री बनाया था। लेकिन गत सप्ताह बार्नियर और उनकी सरकार को ​अविश्वास प्रस्ताव में पराजित होने के बाद इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद अब मैक्रों ने बायरू पर अपना भरोसा जताया है।

नए प्रधानमंत्री के रूप में फ्रांस्वा बायरू के सामने भी चुनौतियां कम नहीं होंगी लेकिन उनके लंबे राजनीतिक अनुभव को देखते हुए, राष्ट्रपति मैक्रों मानते हैं कि वे देश को अस्थिरता के दौर से उबार लेंगे। जैसा पहले बताया, फ्रांस की नेशनल असेंबली में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिलने के कारण उस देश में अभूतपूर्व राजनीतिक असमंजसता पैदा हुई है। जहां वामपंथी गठबंधन खुद को सरकार बनाने का जायज हकदार मान रहा है तो वहीं

राष्ट्रपति मैक्रों नहीं चाहते कि चुनावों के दौरान हिंसक प्रदर्शन करने वाले इस गठबंधन को सत्ता के आसपास भी फटकने दिया जाए। नए नामित प्रधानमंत्री बायरू के जल्दी अपनी सरकार का गठन करने की उम्मीद है। इसके लिए उन्होंने विभिन्न दलों के वरिष्ठ नेताओं के चर्चा करनी शुरू भी कर दी है।

गत सप्ताह बार्नियर (बाएं) और उनकी सरकार को ​अविश्वास प्रस्ताव में पराजित होने के बाद इस्तीफा देना पड़ा

मैक्रों ने जब कल फ्रांस्वा बायरू का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए सामने रखा तो सहयोगी दलों को बायरू का अनुभव देखते हुए एक तसल्ली सी महसूस हुई। लेकिन संसद में आंकड़े सत्तारूझ गठबंधन के पक्ष में उतने न होने से संसद में उनका सबका भरोसा जीतना एक टेढ़ी खीर साबित हो सकता है।

फ्रांस में पहले माना जा रहा था ​कि बार्नियर संसद में अविश्वास प्रस्ताव की परीक्षा झेल जाएंगे और उनकी सरकार बनी रहेगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। गत सप्ताह प्रस्तुत किए गए दक्षिणपंथी और वामपंथी दलों के साझा अविश्वास प्रस्ताव में उन्हें असफलता का मुंह देखना पड़ा था औश्र इस्तीफा देना पड़ा था।

तीन महीने के अंतराल में फ्रांस को दूसरा प्रधानमंत्री मिलने जा रहा है, यह स्थिति उस देश के राजनीतिक हालात के बारे में काफी कुछ साफ कर देती है। वामपंथी गठबंधन अदालत तक में मैक्रों के फैसले का चुनौती देने की बात कर चुका है।

मध्यमार्गी गठबंधन को राष्ट्रपति मैक्रों का भरोसा प्राप्त है, यही वजह है कि उसके प्रमुख सहयोगी 73 साल के बायरू को फ्रांस की राजनीति में दसियों साल का अनुभव होने की वजह से महत्वपूर्ण पद के लिए चुना गया है।

फ्रांस की राजनीति के विश्लेषक भी मानते हैं कि अनुभवी बायरू शायद राजनीतिक उथलपुथल को संभाल सकते हैं। नेशनल असेंबली में उनकी सरकार शायद विश्वास मत जीत लेगी। गत सप्ताह राष्ट्रपति मैक्रों ने साफ जता दिया था कि 2027 में उनके इस कार्यकाल की समाप्ति तक वे पद पर बने रहने वाले हैं। राष्ट्रपति कार्यालय ने भी आधिकारिक बयान जारी कर दिया है कि बायरू को जिम्मेदारी दी गई है कि वे नई सरकार का गठन करें।

लेकिन बायरू को इसके लिए विभिन्न दलों से बात करके मंत्रियों के नाम तय करने की जरूरत होगी। उनके लिए यह काम आसान नहीं होगा। मध्यमार्गी गठबंधन का संसद में बहुमत न होने की वजह से बायरू को बहुत संतुलन बैठाने की जरूरत पड़ेगी। उन्हें अपनी सरकार के लिए मंत्रियों के नाम तय करने के लिए दक्षिणपंथी और वामपंथी, दोनों धड़ों से बात करने की जरूरत पड़ने वाली है।

माना जा रहा है कि रूढ़ीवादी सांसदों के बायरू सरकार में शामिल हो सकते हैं। पिछले दिनों यूरोपीय संसद में पैसे के गबन को लेकर चली जांच के बाद बायरू तमाम आरोपों से बरी भी हो चुके हैं। वैसे बायरू 1993—1997 में फ्रांस के शिक्षा मंत्री के नाते खासे लोकप्रिय हुए थे। 2002, 2007 तथा 2012 में कवे राष्ट्रपति पद की दौड़ में भी शामिल रहे थे।

What's Your Reaction?

like

dislike

wow

sad

Bharatiyanews हमारा अपना समाचार आप सब के लिए| इन सभी विषये के आप ब्लॉग समाचार पढ़े भारत में ऑनलाइन पैसे कैसे कमाए, 2025 में ब्लॉग कैसे शुरू करें, घर पर तेजी से वजन कैसे कम करें, फोन पर रिज्यूमे कैसे बनाएं, आसानी से सरकारी नौकरी कैसे पाएं, घर पर बिरयानी कैसे पकाएं, भारत में शेयर बाजार में निवेश कैसे करें, अंग्रेजी बोलने के कौशल को कैसे सुधारें, YouTube चैनल कैसे बनाएं, ध्यान कैसे ठीक से करें, स्क्रैच से कोडिंग कैसे सीखें, हर महीने पैसे कैसे बचाएं, इंस्टाग्राम फॉलोअर्स कैसे बढ़ाएं, प्राकृतिक रूप से चमकती त्वचा कैसे पाएं, YouTube वीडियो कैसे डाउनलोड करें, पासपोर्ट के लिए ऑनलाइन आवेदन कैसे करें, यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कैसे करें, गुस्से को तुरंत कैसे नियंत्रित करें, तनाव और चिंता को कैसे कम करें, ऑनलाइन बैंक खाता कैसे खोलें, फ्रीलांसिंग करियर कैसे शुरू करें, बिना जिम के फिट कैसे रहें, रील्स को वायरल कैसे करें, पेटीएम अकाउंट कैसे बनाएं, ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन कैसे करें, ऑनलाइन पीएफ बैलेंस कैसे चेक करें, प्राकृतिक रूप से डार्क सर्कल कैसे हटाएं, भारत में छात्रवृत्ति कैसे प्राप्त करें, कम समय में अमीर कैसे बनें, घर पर डालगोना कॉफी कैसे बनाएं, डीयू में एडमिशन कैसे लें, आधार को पैन कार्ड से कैसे लिंक करें, इंस्टाग्राम से पैसे कैसे कमाएं, घर पर मोबाइल फोन कैसे रिपेयर करें, भारत में जीएसटी के लिए पंजीकरण कैसे करें, वेबसाइट को मुफ्त कैसे बनाएं, एसएससी सीजीएल परीक्षा कैसे पास करें, वोटर आईडी के लिए ऑनलाइन आवेदन कैसे करें, प्राकृतिक रूप से लंबाई कैसे बढ़ाएं, हिंदी में निबंध कैसे लिखें, मोबाइल नंबर के मालिक की जांच कैसे करें, पिंपल्स से जल्दी कैसे छुटकारा पाएं, घर पर योग कैसे करें, बॉलीवुड में अभिनेता कैसे बनें, ऑनलाइन ट्रेन टिकट कैसे बुक करें, हिंदी में चैटजीपीटी का उपयोग कैसे करें, यूपीआई से पैसे कैसे ट्रांसफर करें, इंस्टाग्राम अकाउंट को हमेशा के लिए कैसे डिलीट करें, मुफ्त में डिजिटल मार्केटिंग कैसे सीखें, भारत में छोटा व्यवसाय कैसे शुरू करें,