ऑपरेशन सिंदूर बना बदलते भारत की सैन्य सोच का प्रतीक

“जब शांतिप्रिय भारत शस्त्र उठाता है, तो यह केवल आत्मरक्षा नहीं, न्याय की उद्घोषणा होती है।” आतंकवाद के विरुद्ध भारत की हालिया सैन्य कार्रवाई, जिसे ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया, केवल एक जवाबी हमला नहीं था, यह एक स्पष्ट संदेश था कि भारत अब किसी भी आक्रोश का शिकार बनकर चुप नहीं बैठेगा। यह ऑपरेशन […]

May 13, 2025 - 07:21
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ऑपरेशन सिंदूर बना बदलते भारत की सैन्य सोच का प्रतीक

“जब शांतिप्रिय भारत शस्त्र उठाता है, तो यह केवल आत्मरक्षा नहीं, न्याय की उद्घोषणा होती है।” आतंकवाद के विरुद्ध भारत की हालिया सैन्य कार्रवाई, जिसे ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया, केवल एक जवाबी हमला नहीं था, यह एक स्पष्ट संदेश था कि भारत अब किसी भी आक्रोश का शिकार बनकर चुप नहीं बैठेगा। यह ऑपरेशन उस भारत की तस्वीर है जो अब अपने नागरिकों की रक्षा के लिए केवल कूटनीतिक चैनलों पर निर्भर नहीं रहता, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर दुश्मन के दरवाज़े तक जाकर हिसाब चुकता करता है।

ऑपरेशन सिंदूर एक बेहद संवेदनशील पृष्ठभूमि में अंजाम दिया गया अभियान है

ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि बेहद संवेदनशील और महत्वपूर्ण थी। जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमलों ने एक बार फिर इस मुद्दे को दुनिया के सामने उजागर कर दिया कि पाकिस्तान की सरजमीं पर आज भी आतंक के पालने मौजूद हैं। ये वही ज़मीन है जहां भारत विरोधी ताक़तें पनपती हैं, प्रशिक्षित होती हैं और हमारे नागरिकों पर हमले करती हैं। परंतु इस बार भारत ने सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चिंता व्यक्त करने तक खुद को सीमित नहीं रखा।

सैन्य अभियान का प्रारंभिक उद्देश्य आतंकी ट्रेनिंग सेंटरों को समाप्त करना था

इस सैन्य अभियान का प्रारंभिक उद्देश्य PoJK (पाकिस्तान अधिकृत जम्‍मू-कश्मीर) और पाकिस्तान के भीतरी इलाकों में सक्रिय आतंकी लॉन्च पैड्स और ट्रेनिंग सेंटरों को समाप्त करना था। परंतु जैसे-जैसे ऑपरेशन आगे बढ़ा, इसका दायरा केवल आतंकी ठिकानों तक सीमित नहीं रहा इसने पाकिस्तान की वायुसेना और उसकी रक्षा प्रणाली को भी चुनौती दी। राफेल जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों से सुसज्जित भारतीय वायु सेना ने SCALP और HAMMER जैसी मिसाइलों के जरिए पाकिस्तान के कई एयरबेसों को गंभीर नुकसान पहुंचाया।

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर को पूरी तरह नियंत्रित और लक्षित रखा

खास बात यह रही कि भारत ने इस कार्रवाई को पूरी तरह नियंत्रित और लक्षित रखा। नागरिक क्षेत्रों या अवांछित ठिकानों पर कोई हमला नहीं हुआ। यह दिखाता है कि भारतीय सेना न केवल शक्तिशाली है, बल्कि नैतिक और अनुशासित भी है। पाकिस्तान की एयर डिफेंस प्रणाली, जो खुद को आधुनिक बताती थी, ऑपरेशन सिंदूर के महज़ 23 मिनट के भीतर ध्वस्त हो गई। ‘आकाशतीर’ जैसे भारतीय एंटी-ड्रोन सिस्टम ने पाकिस्तान की ओर से किए गए जवाबी प्रयासों को भी नाकाम कर दिया।

भारत की मोस्ट वांटेड सूची में शामिल कई कुख्यात आतंकवादी सैन्य अभियानों के दौरान मारे गए

इस ऑपरेशन में सिर्फ आतंकी ठिकाने ही नहीं, बल्कि वे प्रमुख नेता और योजनाकार भी निशाने पर थे जो भारत के खिलाफ लंबे समय से साज़िशों का ताना-बाना बुन रहे थे। भारत की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल कई दुर्दांत आतंकी इसी ऑपरेशन में मारे गए। यही नहीं, पाकिस्तान की वायु सेना के कमांड और नियंत्रण ढांचे को भी भारी क्षति पहुंची। भोलारी, बहावलपुर, सियालकोट, रफीकी जैसे एयरबेस इस हमले के केंद्र में रहे।

ऑपरेशन सिंदूर, नवभारत की भू-राजनीतिक चेतावनी का सशक्त प्रतीक है

इस सैन्य कार्रवाई का दूसरा आयाम उससे भी बड़ा था, यह एक नवभारत की भू-राजनीतिक चेतावनी थी। दशकों तक भारत आतंकवाद का शिकार होता रहा, पर अब दुनिया देख रही है कि भारत न केवल आतंकी हमलों को निष्क्रिय कर सकता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी नीति और संप्रभुता के प्रति अडिग भी है। ऑपरेशन सिंदूर के तुरंत बाद न सिर्फ घरेलू राजनीतिक दलों ने सरकार का समर्थन किया, बल्कि अमेरिका, फ्रांस, रूस, जापान, इज़रायल और कई यूरोपीय देशों ने भारत के इस आत्मरक्षात्मक कदम को जायज़ ठहराया।

कश्मीर मुद्दे को अब दुनिया आतंकवाद के दृष्टिकोण से देखने लगी है

भारत की कूटनीतिक सफलता यह रही कि इस ऑपरेशन के बाद ‘कश्मीर मुद्दा’ अब सिर्फ एक सीमा विवाद नहीं रहा, बल्कि दुनिया इसे आतंकवाद के चश्मे से देखने लगी। पाकिस्तान, जो दशकों से कश्मीर को लेकर वैश्विक सहानुभूति बटोरने की कोशिश करता रहा है, अब उसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग पड़ गया है। एक और महत्वपूर्ण पक्ष यह रहा कि यह ऑपरेशन केवल वायुसेना का कारनामा नहीं था। थलसेना, नौसेना और वायुसेना, तीनों ने मिलकर इस मिशन को अंजाम दिया। यह भारत की त्रिसेना सामरिक शक्ति और उनके बीच के समन्वय की मिसाल है।

भारत अब केवल पीड़ा सहने वाला नहीं, बल्कि दृढ़ निर्णय लेने वाला राष्ट्र है

ऑपरेशन सिंदूर, नाम में ही संकेत देता है, यह भारत की उस लाल रेखा का प्रतीक है, जिसे कोई पार करे, तो उसका उत्तर दिया जाएगा, और वो भी पूरे सम्मान, संयम और संकल्प के साथ। यह सिर्फ एक सैन्य प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक विचारधारा थी कि भारत अब केवल सहने वाला राष्ट्र नहीं, बल्कि निर्णय लेने वाला राष्ट्र है। जब हम इस ऑपरेशन की बात करते हैं, तो केवल सैन्य पराक्रम नहीं, उस नई राष्ट्रीय चेतना को भी स्मरण करते हैं जो कहती है “हम शांति चाहते हैं, पर डरते नहीं हैं। और अगर शांति भंग हुई, तो भारत चुप नहीं रहेगा।”

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