उत्तर प्रदेश और बिहार में सीवरेज परियोजनाओं के लिए एनएमसीजी ने दी 900 करोड़ रुपये से अधिक की मंजूरी

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) ने आज बुधवार को अपनी 61वीं कार्यकारी समिति की बैठक में गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों की सफाई के लिए 900 करोड़ से अधिक लागत की कई अहम परियोजनाओं को मंजूरी दी। बैठक की अध्यक्षता एनएमसीजी के महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल ने की। इन परियोजनाओं का उद्देश्य गंगा नदी […]

Apr 9, 2025 - 20:17
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उत्तर प्रदेश और बिहार में सीवरेज परियोजनाओं के लिए एनएमसीजी ने दी 900 करोड़ रुपये से अधिक की मंजूरी

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) ने आज बुधवार को अपनी 61वीं कार्यकारी समिति की बैठक में गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों की सफाई के लिए 900 करोड़ से अधिक लागत की कई अहम परियोजनाओं को मंजूरी दी। बैठक की अध्यक्षता एनएमसीजी के महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल ने की। इन परियोजनाओं का उद्देश्य गंगा नदी की सेहत सुधारना, गंदे पानी को ठीक से प्रबंधित करना और शहरों में स्वच्छता व्यवस्था को बेहतर बनाना है।

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद शहर में रामगंगा नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए 409.93 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी मिली है। इसके तहत 15 एमएलडी और 65 एमएलडी क्षमता के दो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाएंगे और पांच बड़े नालों को डायवर्ट कर नदी में सीधा गंदा पानी गिरने से रोका जाएगा। वहीं बिहार के आरा शहर में 328.29 करोड़ की परियोजना को हरी झंडी दी गई है। इसमें 47 एमएलडी क्षमता का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और 19.5 किलोमीटर लंबा सीवर नेटवर्क बनाया जाएगा। इस योजना को ‘हाइब्रिड एन्‍युटी मॉडल’ के तहत 15 साल तक चलाया जाएगा ताकि लंबे समय तक गंदे पानी की समस्या का हल हो सके।

कानपुर शहर में भी 138.11 करोड़ रुपये की लागत से 14 नालों को ट्रीटमेंट प्लांट की ओर मोड़ने की योजना को मंजूरी दी गई है। इससे शहर की जल निकासी और सफाई व्यवस्था में काफी सुधार आएगा। इसके अलावा पश्चिम बंगाल के पुजाली नगरपालिका में 5.96 करोड़ रुपये की लागत से एक फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (FSTP) बनाया जाएगा जिससे शहरी स्वच्छता बेहतर होगी।

दिल्ली में यमुना नदी की सफाई के लिए प्राकृतिक तरीके अपनाने वाली एक परियोजना को भी मंजूरी मिली है। शाहदरा ड्रेन में 5 एमएलडी क्षमता वाले CAMUS-SBT प्लांट लगाए जाएंगे जो पानी को प्राकृतिक तरीके से साफ करेंगे और राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) के मानकों को पूरा करेंगे। एक अन्य परियोजना के तहत भारत-नीदरलैंड जल साझेदारी के तहत ‘IND-RIVERS’ नामक एक शोध केंद्र IIT दिल्ली में बनेगा। यह केंद्र शहरी नदियों के लिए शोध और समाधान तैयार करेगा।

वहीं गंगा बेसिन में पारंपरिक लकड़ी की नाव बनाने की विधियों के दस्तावेजीकरण के लिए भी एक परियोजना को मंजूरी दी गई है। दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के जैव विविधता पार्कों को गंगा मिशन के लिए ज्ञान और कौशल विकास केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए 8.64 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।

एनएमसीजी के मुताबिक, ये सभी परियोजनाएं नमामि गंगे मिशन को मजबूती देंगी और गंगा सहित अन्य नदियों को स्वच्छ व संरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाएंगी।

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