इस जेल में आकर बनने लगती है कैदियों की सेहत, कमजोर से बन जाते हैं बॉडीबिल्डर, जानें कैसे

हल्द्वानी जेल में डाइट चार्ट फिक्स है. जेल प्रशासन के अनुसार कैदियों को रोज सुबह बिस्किट और चाय दी जाती है. दोपहर में दाल, चावल, सब्जी और रोटी दी जाती है. इसके बाद रात में भी यही दोपहर की तरह खाना दिया जाता है.

Mar 21, 2025 - 07:09
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इस जेल में आकर बनने लगती है कैदियों की सेहत, कमजोर से बन जाते हैं बॉडीबिल्डर, जानें कैसे
इस जेल में आकर बनने लगती है कैदियों की सेहत, कमजोर से बन जाते हैं बॉडीबिल्डर, जानें कैसे

उत्तराखंड में एक ऐसी जेल है जहां पर कैदियों की सेहत का अच्छे से ख्याल रखा जाता है. राज्य जेल प्रशासन इसके लिए हर महीने लाखों खर्च करता है. उत्तराखंड की हल्द्वानी जेल में बंद कैदियों में पौष्टिक और संतुलित भोजन दिया जाता है. हल्द्वानी जेल में कमजोरी कैदी भी तंदुरुस्त हो जाते हैं. आंकड़ों के मुताबिक, साल में करीब 40 हजार रुपये एक बंदी पर खर्च होते हैं.

हल्द्वानी जेल प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक, इस वक्त जेल में 1156 कैदी बंद हैं. इसमें से 1110 पुरुष और 46 महिलाएं हैं. ऐसे में हर कैदी की भोजन व्यवस्था पर प्रतिदिन 110 रुपये खर्च आता है. वहीं हल्द्वानी जेल प्रशासन 1156 बंदियों पर प्रतिमाह 35 लाख रुपये से अधिक खर्च करता है. सलाखों के पीछे पहुंच रहे कुपोषित आरोपी भी जेल का खाना खाकर सेहतमंद हो रहे हैं.

क्या दिया जाता है खाना?

जेल प्रशासन के अनुसार कैदियों को रोज सुबह बिस्किट और चाय दी जाती है. दोपहर में दाल, चावल, सब्जी और रोटी परोसी जाती है. इसके बाद रात में भी यही दोपहर की तरह खाना दिया जाता है. हर महीने मेडिकल टीम उनका जेल के अंदर ही परीक्षण भी करती है. इसी तरह थाने के लॉकअप में बंद आरोपियों या अपराधियों को खुराक के तौर पर भी भत्ता दिया जाता है.

जेल में डाइट चार्ट है फिक्स

हल्द्वानी उप कारागार का कहना है कि जेल में डाइट चार्ट फिक्स है. हालांकि कभी कभी व्यंजनों में कुछ बदलाव भी किया जाता है, लेकिन ये कैदियों की सेहत को देखते हुए होता है. हल्द्वानी जेल की स्थापना 1903 में हुई थी. ऐसे में अब ये 100 साल से ज़्यादा पुरानी हो चुकी है. इस जेल में अंग्रेजों के खिलाफ रहने वाले सुल्ताना डाकू को भी बंद किया गया था. हल्द्वानी जेल के एक हिस्से को पर्यटकों के लिए भी तैयार किया गया है. आने वाले गेस्ट को यहां कैदियों के कपड़े और जेल की किचन का खाना दिया जाता है.

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,