आज सांस्कृतिक- शैक्षणिक उत्थान की आवश्यकता – राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े

‘राष्ट्रोत्थान’ ग्रंथ विमोचन समारोह जयपुर, 11 अगस्त। राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ जी बागड़े ने कहा कि भारतीय कला-संस्कृति की जो ताकत है वो हम भूल गए। आज हमें सांस्कृतिक- शैक्षणिक उत्थान की आवश्यकता है। राज्यपाल बागड़े सोमवार को पाथेय कण संस्थान में आयोजित ‘राष्ट्रोत्थान’ ग्रंथ के विमोचन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा […] The post आज सांस्कृतिक- शैक्षणिक उत्थान की आवश्यकता – राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े appeared first on VSK Bharat.

Aug 11, 2025 - 19:33
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आज सांस्कृतिक- शैक्षणिक उत्थान की आवश्यकता – राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े

‘राष्ट्रोत्थान’ ग्रंथ विमोचन समारोह

जयपुर, 11 अगस्त।

राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ जी बागड़े ने कहा कि भारतीय कला-संस्कृति की जो ताकत है वो हम भूल गए। आज हमें सांस्कृतिक- शैक्षणिक उत्थान की आवश्यकता है। राज्यपाल बागड़े सोमवार को पाथेय कण संस्थान में आयोजित ‘राष्ट्रोत्थान’ ग्रंथ के विमोचन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रारंभ में हमें बोलते थे कि हम प्रसिद्धि पराङ्मुख हैं और इसका हमने वर्षों पालन किया। आज देश जो उत्थान देख रहा है, वर्षों से उसकी प्रक्रिया चल रही है। हम बचपन से गाते थे, बनेंगे हिन्द के योगी, धरेंगे ध्यान भारत का। हम सभी स्वयंसेवकों के मन में सदैव वही भाव रहता है। जहां-जहां स्वयंसेवकों को राष्ट्र सेवा का अवसर मिला, चाहे कार्य छोटा हो या बड़ा, उन्होंने प्रामाणिकता के साथ किया।

उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवकों की प्रामाणिकता ही थी कि पंडित नेहरू जी ने 1963 में संचलन के लिए आमंत्रित किया। 1965 में शास्त्री जी ने भी जहां आवश्यकता पड़ी, वहां संघ के स्वयंसेवकों का राष्ट्र के लिए उपयोग किया। भारत की ताकत पूरी दुनिया में बढ़ रही है, हम कहते हैं ताकत बढ़ानी है, परंतु ये ताकत हमको किसी को धमकाने या डराने के लिए नहीं बढ़ानी, ये ताकत हमको स्व-रक्षा के लिए बढ़ानी है।

ज्येष्ठ विचारकर रमेश पतंगे ने कहा कि संघ ने शताब्दी वर्ष में 5 क्षेत्रों – स्व का बोध, कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, नागरिक कर्तव्य और पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने का प्रण किया है। संविधान की कम समझ के कारण सभी लोग अधिकारों की बात करते हैं, परंतु अपना विचार अधिकारों के साथ कर्तव्यों की बात करता है। कर्तव्य का जागरण समाज में करने की आवश्यकता है, इसके लिए नागरिक कर्तव्यों का पालन है।

उन्होंने कहा कि संघ की शक्ति सभी को महसूस हो, ऐसी स्थिति अभी है। परंतु बुरी घटनाओं को हम रोक सकें, ऐसी शक्ति हमको विकसित करनी है। अभी आसुरी शक्तियां एकत्रित होकर झूठे नैरेटिव देश में चला रही हैं। अमेरिका जैसा देश भारत को महाशक्ति बनने से रोकने के लिए कदम उठा रहा है। एक मन, एक विचार, एक संकल्प से खड़े रहकर हमको इन सबसे लड़ना है, ऐसा साहस ईश्वर हमको प्रदान करे।

राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ राजस्थान क्षेत्र संघचालक डॉ. रमेशचन्द्र अग्रवाल ने कहा कि संघ की 100 वर्ष की यात्रा पुरुषार्थ, परिश्रम से परिपूर्ण व गौरवशाली रही है। वे लोग जो भारत को इंडिया बनाए रखना चाहते हैं। कितने ही लोगों ने संघ को समाप्त करने का प्रयास किया है, परंतु समाज के स्नेह, ईश्वरीय अनुकंपा व स्वयंसेवकों के परिश्रम के कारण संघ को यह वर्तमान अवस्था प्राप्त हुई है। अब विभिन्न संस्थाओं, प्रकल्पों के माध्यम से आमजन संघ से जुड़ने को लालायित है। स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर हम अग्रसर हो रहे हैं। आज जैसा स्वरूप संघ का दिखाई देता है, उसका बीजारोपण 100 वर्ष पूर्व डॉ. हेडगेवार जी ने किया था। समाज के जिस क्षेत्र में आवश्यकता थी, उस क्षेत्र में जाकर स्वयंसेवकों ने कार्य किया है। जिसके कारण आज समाज में परिवर्तन हमें दिखाई देता है। जिन पंच परिवर्तनों की बात संघ कर रहा है, वे सभी स्वयं से प्रारंभ कर समाज आचरण का भाग बनें। राष्ट्रोत्थान ग्रंथ उसके संदर्भ ग्रंथ के रूप में उपयोगी होगा, ऐसा मेरा मानना है।

समारोह में राज्यपाल ने ‘राष्ट्रोत्थान’ ग्रंथ विमोचन का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने पाथेय भवन में वरिष्ठ प्रचारक माणक जी के नाम पर कक्ष का उद्धाटन भी किया।

 

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