UP लखीमपुर : हस्तशिल्प के हुनर से पहचान बना रहीं थारू महिलाएं

थारू ट्राइबल क्राफ्ट के वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोजेक्ट में चयन से लगे हुनर को पंख, डलिया, बास्केट, गिफ्ट बास्केट, लेडीज पर्स, टोपी, जूट की चप्पलें बना रहीं,

Apr 15, 2024 - 07:53
Apr 15, 2024 - 08:14
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UP लखीमपुर : हस्तशिल्प के हुनर से पहचान बना रहीं थारू महिलाएं
डलिया, बास्केट, गिफ्ट बास्केट, लेडीज पर्स, टोपी, जूट की चप्पलें बना रहीं

हस्तशिल्प के हुनर से पहचान बना रहीं थारू महिलाएं

थारू ट्राइबल क्राफ्ट के वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोजेक्ट में चयन से लगे हुनर को पंख

UP लखीमपुर: दुधवा टाइगर रिजर्व के जंगलों में बसी थारू जनजाति की महिलाओं की जिंदगी सरकार की ओडीओपी योजना से बदल रही है। जंगल, जमीन से हटकर थारू जनजाति के लोग हस्तशिल्प कला से अपनी पहचान बनाए हैं। सरकार ने थारू ट्राइबल क्राफ्ट को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोजेक्ट में चयनित किया, जिससे थारू हस्तशिल्प के इस हुनर को पंख लगे।

खुद को महाराणा प्रताप के वंशज कहने वाले आदिवासी थारू जनजाति के लोग यहां पचास हजार की तादाद में भारत-नेपाल सीमा से सटे इलाकों में रहते हैं। यह जनजाति पूरी तरीके से कृषि पर निर्भर है, इसके साथ ही उसके पास हस्तशिल्प का भी एक हुनर है, जो घर-घर में में पाया जाता है।

प्रदेश सरकार है, की ओडीओपी योजना के तहत  इनका चयन किया गया। महिलाएं हस्तशिल्प में पहले से सिद्धहस्त थीं, लेकिन ओडीओपी से उन्हें बाजार बिकने वाली सामग्री कैसी होती इसकी ट्रेनिंग दी गई। उन्हें कुछ डिजाइन बताए गए और कुछ सरल तरीके भी बताए गए। जो हाथ पहले सिर्फ डलिया बनाते थे, अब लांड्री बास्केट, पूजा बास्केट, गिफ्ट बास्केट, डिजाइनर लेडीज पर्स, टोपी, जूट की चप्पले आदि अनेक आकर्षक उत्पाद बनाने लगे।

लखनऊ से लेकर दिल्ली गोवा तक बज चुका डंका
तत्कालीन डीएम किजल सिंह ने थारुओं के इस कला को प्रोत्साहन देने के मकसद से उचित बाजार दिलाने का प्रयास किया था। दिल्ली, लखनऊ में अवध शिल्प ग्राम में प्रदर्शनी में थारू उत्पादों का भी स्टाल लगाया था। थारू महिला आरती राना और पूजा राना ने प्रदर्शनी में पहुंचे सीएम योगी को जूट से बनी हैट भी पहनाई थी। तत्कालीन डीएम किंजल के प्रयास से गोवा महोत्सव में भी दारू हस्तशित्य को अलग पहचान मिली, लेकिन किजल सिंह के तबादले के बाद यह सब फिर पुराने ढर्रे पर आ गया।

ट्राइफेड के जरिए हो रही ऑनलाइन खरीदारी
सीडीओ अनिल कुमार सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत गठित महिला समूहों में से वारू महिलाओं द्वारा तैयार किए गए उत्पादों की ऑनलाइन खरीदारी भी हो रही है। भारत सरकार की संस्था ट्राइफेड ने अपनी वेबसाइट के माध्यम से थारू हस्तशिल्प उत्पादों की मार्केटिंग कर रही है। इन उत्पादों को वेबसाइड पर डाला गया है, जिसे लोग पूरी दुनिया में देखते हैं और पसंद आने पर आर्डर करते हैं। इससे थारू महिलाओं को अपने उत्पादों की बिक्री करने के लिए बाहर जाने की भी जरूरत नहीं है।

डलिया, बास्केट, गिफ्ट बास्केट, लेडीज पर्स, टोपी, जूट की चप्पलें बना रहीं

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