तीन तलाक विरोधी कानून से महिलाओं को न्याय

तीन तलाक के डर से महिलाओं को शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना सहनी पड़ती

Apr 5, 2024 - 15:19
Apr 5, 2024 - 15:22
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 तीन तलाक विरोधी कानून से महिलाओं को न्याय

 तीन तलाक विरोधी कानून से महिलाओं को न्याय

तीन तलाक और हलाला जैसी प्रथाओं की वजह से मुस्लिम समाज में महिलाओं की स्थिति दयनीय थी। मजहब की आड़ लेकर उनका उत्पीड़न होता था। तीन तलाक के डर से महिलाओं को शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना सहनी पड़ती थी। केंद्र सरकार ने तीन तलाक पीड़िताओं के दर्द को समझा और तमाम मुस्लिम संगठनों के विरोध के बावजूद 30 जुलाई 2019 को तीन तलाक विरोधी कानून बनाया। इससे मुस्लिम समाज में महिलाओं की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। कानून बनने के बाद जहां तीन तलाक के मामलों में कमी आई हैवहीं महिलाओं का आत्मविश्वास भी बढ़ा है। पुलिस भी तीन तलाक के मामलों में त्वरित कार्रवाई कर रही है। पेश है

 

छह वर्ष में तीन तलाक के 138 मामले दर्ज

सहारनपुर : तीन तलाक विरोधी बनने के बाद जनपद में मुस्लिम महिलाओं को न्याय मिला है। पिछले छह माह में 138 महिलाओं को उनके पतियों ने तीन बार तलाक बोलकर तलाक दे दिया। पीड़िताओं ने परिवार और अन्य के विरोध के चलते कानून की शरण में गई और थानों में केस दर्ज कराया। कुछ महिलाएं कोर्ट में लड़ाई लड़ रही है तो कुछ के मुकदमे की विवेचना चल रही है। 64 मुकदमे अदालत में चल रहे हैं। शहर के मोहल्ला आलिया की रहने वाली आतिया साबरी को उनके पति ने तत्काल तीन तलाक दे दिया थावह सुप्रीम कोर्ट गई और अधिवक्ता मनोज पाठक के माध्यम अर्जी लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने आतिया महिलाओं पर अत्याचार कम हुआ हैवरना पति तीन तलाक देने का डर दिखाकर उनका शोषण करते थे। 30 जुलाई 2019 को तीन तलाक विरोधी कानून बनने के बाद मुस्लिम महिलाओं में जागरूकता आई है। अब हालात यह है कि पुरुष तीन तलाक देने से डरते हैं।

महिला की जिंदगी को बदहाल बना देता था 'तीन तलाक

मेरठ : तीन तलाक के बाद हलाला जैसी कुप्रथा मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी को बदहाल बना देती थी। पाक कुरान के प्रति आस्था के नाम पर महिलाओं में भय का माहौल बन गया था। लंबे समय तक लोग इसका विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। तीन तलाक के डर से महिलाओं को मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना का भी शिकार होना पड़ता था। केंद्र सरकार ने तीन तलाक पीड़िताओं के दर्द को समझा। जुलाई 2019 में तीन तलाक विरोधी कानून बनने के बाद मुस्लिम महिलाओं ने हिम्मत जुटाई और अपने हक के लिए लड़ाई लड़ना शुरू किया। तीन तलाक विरोधी कानून आने पर मेरठ जनपद में अब तक 569 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। हालांकि अभी तक किसी मुकदमे में सजा नहीं हुई है लेकिन पीड़ित महिलाओं को उनके  बच्चों के भरण-पोषण के लिए

खर्च मिलना शुरू हो गया। क्या है तीन तलाक : तीन तलाक इस्लाम में प्रचलित तलाक का एक रूप है। इसके तहत मुस्लिम व्यक्ति तीन बार तलाक कहकर पत्नी से संबंध खत्म कर सकता था। मोबाइलएसएमएसईमेल या सोशल मीडिया के माध्यम से भी

 

कानून: मुस्लिम महिला विवाह

इसके बाद महिला को हलाला जैसी कुप्रथा का भी दंश झेलना कैसे बना तीन तलाक विरोधीपर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 लंबी चर्चा और विरोध के बाद 26 जुलाई 2019 को पारित हुआ। अपने फैसले में शीर्ष न्यायालय ने भी यह स्पष्ट कहा कि 'तलाक-ए-बिद्दतइस्लाम का अभिन्न अंग नहीं हैइसलिए इसे अनुच्छेद 25 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण प्राप्त नहीं हो सकता। इसके साथ ही न्यायालय ने शरीयत कानून 1937 की धारा में दी गई एक बार में तीन तलाक की मान्यता को रद कर दिया।

 

                तीन तलाक विरोधी कानून से कम हुआ पीड़िताओं का दर्द

बागपत : तीन तलाक विरोधी कानून बनने से मुस्लिम महिलाओं को अत्याचार से आजादी मिली है। विदेश में बैठकर मोबाइल से काल करके और मैसेज भेजकर तीन तलाक देने के मामले कम हुए हैं। इससे मुस्लिम महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है। बागपत निवासी एक पीड़िता ने बताया कि उसके पति ने अपने स्वजन के साथ मिलकर मारपीट करते हुए तीन तलाक दिया था। उसकी तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आरोपित पति के विरुद्ध कार्रवाई की। तीन तलाक विरोधी कानून बनने से उसको न्याय मिला है। महिला सहायता प्रकोष्ठ की प्रभारी बबीता चौधरी ने बताया कि तीन विरोधी तलाक कानून बनने के बाद जिले में 147 मुकदमे दर्ज हुए हैं। इनमें से 114 मुकदमों में कार्रवाई कर अदालत में आरोपपत्र दाखिल किए जा चुके हैं। 27 मामलों में समझौता हुआ तथा छह मामलों की विवेचना जारी है। सख्त कार्रवाई की वजह से मुस्लिम व्यक्ति तीन तलाक बोलने से डरने लगे हैं।

तीन तलाक के मामले में अभी तक नहीं हुई किसी को सजा एसएसपी डा. विपिन ताडा ने बताया कि तीन तलाक से संबंधित 64 मुकदमे कोर्ट में विचाराधीन हैं। किसी भी मामले में सजा नहीं हुई है। अधिकतम सजा तीन साल तक हो सकती है। सभी विवेचनाधिकारियों को आदेश दिए गए हैंकि महिला संबंधी मुकदमों में जल्द से जल्द चार्जशीट लगाई जाए।

मेरा सभी से आग्रह है कि मतदान प्रक्रिया में अवश्य भाग लें। हमें मतदाता होने पर गर्व करना चाहिए। देश और समाज के विकास के लिए मतदान करना बहुत जरूरी है। जागो भारत के मतदाता तुम हो भारत के भाग्य विधाता तुम अपना नसीब भी बनाओगे यदि सही सरकार बनाने में अपने मत का सही प्रयोग करोगे। चुनाव में हम सभी का कर्तव्य है कि हम इस पर्व में भाग लेकर देश की उन्नति में सहयोग करें

 

मतदान करना हमारा पहली जिम्मेदारी और कर्तव्य हैचुनाव पर्व में युवाओं की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है कि वह न सिर्फ स्वयं मतदान करें बल्कि अन्य लोगों को भी इसके लिए जागरूक करें। जिससे लोकसभा चुनाव में अधिक से अधिक लोग मतदान कर कर्तव्य निभाएं।

 

स्वतंत्र देव सिंह ने किया वूथ अध्यक्षों के साथ संवाद

सरसावा : जल शक्ति एवं बाढ़ मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने बूथ अध्यक्षों के साथ समीक्षा करते हुए सीधा संवाद किया। साथ ही लोकसभा चुनाव में जीत का मंत्र दिया। त्रिदेव कार्यकता सम्मेलन में राहुल गांधी पर हमलावर होते हुए स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि यह लोग पहले ही ठेकों को आवंटित कर देते थे।

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