राम मंदिर में छत से पानी टपकने के तथ्य दिए : चम्पत राय

त्तर भारत में केवल पत्थरों से नागर शैली में मंदिर निर्माण कार्य हो रहा है। स्वामी नारायण परंपरा के मंदिर भी इसी शैली में बने हैं।

Jun 26, 2024 - 15:31
Jun 26, 2024 - 15:35
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राम  मंदिर में  छत से पानी टपकने  के तथ्य दिए  : चम्पत राय

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में वर्षाकाल के दौरान छत से पानी टपकने के तथ्य

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में वर्षाकाल के दौरान छत से पानी टपकने की अफवाहें निराधार हैं। गर्भगृह में किसी भी प्रकार का पानी प्रवेश नहीं कर रहा है। मंदिर के प्रथम तल पर बिजली, वाटरप्रूफिंग और फ्लोरिंग का कार्य चल रहा है, जिससे कुछ जंक्शन बॉक्स से पानी भूतल पर जा रहा था, लेकिन यह समस्या शीघ्र हल हो जाएगी। मंदिर परिसर में बरसात के पानी की निकासी के लिए अच्छे प्रबंध किए गए हैं, जिससे जलभराव की कोई संभावना नहीं है। मंदिर निर्माण कार्य L&T और टाटा की देखरेख में हो रहा है, जिसमें कोई कमी नहीं है।

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  1. गर्भगृह सुरक्षा: गर्भगृह में जहाँ भगवान रामलला विराजमान हैं, वहाँ कोई भी पानी की बूंद छत से नहीं टपकी है और न ही कहीं से पानी गर्भगृह में प्रवेश किया है।

  2. गूढ़मण्डप की स्थिति: गर्भगृह के आगे पूर्व दिशा में स्थित गूढ़मण्डप की छत का कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है। यह मंडप अस्थायी रूप से प्रथम तल पर ढका गया है और दर्शन के लिए उपलब्ध है। द्वितीय तल पर पिलर निर्माण कार्य चल रहा है।

  3. सीढ़ियों की छत: रंग मंडप एवं गूढ़ मंडप के बीच उपरी तल पर जाने वाली सीढ़ियों की छत भी द्वितीय तल की छत के ऊपर जाकर ढँकेगी, जिसका कार्य प्रगति पर है।

  4. बिजली और कंड्युट कार्य: मंदिर की छत पर बिजली के कंड्युट और जंक्शन बॉक्स का कार्य हो रहा है। चूंकि प्रथम तल पर यह कार्य प्रगति पर है, इसलिए जंक्शन बॉक्स में पानी प्रवेश कर कंड्युट के सहारे भूतल पर गिरा, जिससे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि छत से पानी टपक रहा है। यह कार्य शीघ्र पूरा होने पर यह समस्या समाप्त हो जाएगी।

  5. जल निकासी का प्रबंधन: मंदिर और परकोटा परिसर में बरसात के पानी की निकासी का उत्तम प्रबंध किया गया है, जिससे जलभराव की स्थिति नहीं होगी। परिसर में रिचार्ज पिट्स का निर्माण भी किया जा रहा है।

  6. निर्माण की गुणवत्ता: मंदिर और परकोटा निर्माण कार्य L&T और टाटा के इंजीनियरों के साथ अनुभवी शिल्पकारों की देखरेख में हो रहा है, जिससे गुणवत्ता में कोई कमी नहीं है।

  7. निर्माण शैली: उत्तर भारत में केवल पत्थरों से नागर शैली में मंदिर निर्माण कार्य हो रहा है। स्वामी नारायण परंपरा के मंदिर भी इसी शैली में बने हैं।

  8. दर्शन व्यवस्था: प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रतिदिन एक लाख से एक लाख पन्द्रह हजार भक्त रामलला के दर्शन कर रहे हैं। दर्शन का समय प्रातः ६.३० बजे से रात्रि ९.३० बजे तक है। किसी भी भक्त को अधिकतम एक घंटे का समय दर्शन के लिए मिलता है। मंदिर में मोबाइल ले जाना प्रतिबंधित है।

महामंत्री श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र, चम्पत राय द्वारा जारी दिनांक: २६ जून २०२४

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार