प्रत्यारोपित हाथों से फिर रंग भर सकेंगे राजकुमार
गंगाराम अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डा. निखिल झुनझुनवाला ने दोनों हाथों के प्रत्यारोपण को उत्तर भारत का पहला मामला होने का दावा किया है।
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पेंटर राजकुमार को अस्पताल से गुरुवार को मिलेगी छुट्टी, पेंटर को ब्रेन डेड महिला के दोनों हाथ किए गए हैं प्रत्यारोपित
रेल हादसे में दोनों हाथ गंवाने वाले दिल्ली निवासी एक पेंटर को ब्रेन डेड महिला के हाथ प्रत्यारोपित कर नया जीवन दिया गया। 45 वर्षीय पेंटर राजकुमार के दोनों हाथों का गंगाराम अस्पताल में 19 जनवरी को सफल प्रत्यारोपण किया गया। नए हाथों के रूप में इस तोहफे से राजकुमार फिर से तुलिका उठाकर अपने भविष्य को आकार दे सकेंगे।
राजकुमार ने कहा है कि अब फिर से कुछ महीने बाद अपने हाथों से काम शुरू कर सकेंगे। हाथों के हुनर से उनकी आजीविका चलती थी और इनको गंवाने के बाद जीवन बेकार-सा लगने लगा था, लेकिन अब वे फिर से अपने काम पर लौट सकेंगे।
गंगाराम अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डा. निखिल झुनझुनवाला ने दोनों हाथों के प्रत्यारोपण को उत्तर भारत का पहला मामला होने का दावा किया है। अक्टूबर 2020 में पेंटर राजकुमार नांगलोई रेलवे ट्रैक के पास अपनी साइकिल से गुजर रहे थे, तभी साइकिल का संतुलन बिगड़ा और वह रेलवे ट्रैक पर गिर पड़े। उसी वक्त वहां से ट्रेन गुजरी और राजकुमार के दोनों हाथ कट गए। आनन-फानन उन्हें दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती किया गया और इलाज के बाद उनके आर्टिफिशियल हाथ लगा दिए गए। हालांकि, ये हाथ ठीक से काम नहीं कर पा रहे थे। जिंदगी की नई राहत ने उनके दरवाजे पर फिर से दस्तक दी, जब सर गंगाराम अस्पताल को हाथों के प्रत्यारोपण के लिए अनुमति मिली।
इस साल जनवरी में दिल्ली के कालकाजी इलाके में रहने वाली एक स्कूल की सेवानिवृत्त प्राचार्य को ब्रेन डेड घोषित किया गया और उनके परिवार ने उनके सभी अंगों को दान करने का फैसला किया। उनके हाथों को राजकुमार के लिए सुरक्षित किया गया। राजकुमार को अस्पताल बुलाया गया और डोनर से मैचिंग की गई। फिर एक साथ दो सर्जरी की गई। एक जगह से हाथ निकाले गए और राजकुमार के हड्डियों, रक्तवाहनियों, मांसपेशियों और त्वचा से जोड़ा गया। डा. निखिल ने बताया कि यह बेहद जटिल सर्जरी थी। सर्जरी में कुल 12 घंटे लगे।
दिल्ली में हुई इस सर्जरी को गंगाराम अस्पताल में प्लास्टिक सर्जरी के प्रमुख डा. महेश मंगल और हैंड माइक्रो सर्जरी के डा. निखिल झुनझुनवाला समेत 20 विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम ने अंजाम दिया। मरीज का 70 से 80 प्रतिशत तक हाथों का साधारण मूवमेंट लौट सकता है, लेकिन इसमें छह से सात महीने लगेंगे। उन्हें पेंटर का काम शुरू करने में उन्हें डेढ़ वर्ष का समय लगेगा। राजकुमार को गुरुवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। डा. महेश मंगल ने बताया कि दक्षिण भारत के अस्पतालों में ऐसी 20 सर्जरी हो चुकी है।
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