Rajiv Gandhi Birth Anniversary: टेक्नोलॉजी से टेलीकॉम क्रांति तक, पूर्व PM राजीव गांधी ने देश को क्या-क्या दिया?

Rajiv Gandhi Birth Anniversary: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी देश के ऐसे प्रधानमंत्री रहे जो देश कोआधुनिकता की ओर लेकर गए. तकनीक से लेकर टेलीकाॅम क्रांति और पंचायती राज से लेकर ई-गवर्नेंस तक बड़ा परिवर्तन लेकर आए. उनकी बर्थ एनिवर्सिरी पर पढ़ें वो भारत में कितना बदलाव लेकर आए और देश को क्या-क्या दिया.

Aug 20, 2025 - 09:12
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Rajiv Gandhi Birth Anniversary: टेक्नोलॉजी से टेलीकॉम क्रांति तक, पूर्व PM राजीव गांधी ने देश को क्या-क्या दिया?
Rajiv Gandhi Birth Anniversary: टेक्नोलॉजी से टेलीकॉम क्रांति तक, पूर्व PM राजीव गांधी ने देश को क्या-क्या दिया?

Rajiv Gandhi Birth Anniversary: देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का नाम जब भी सामने आता है तो देश के लिए किए गए उनके योगदान भी एक-एक कर सामने आ जाते हैं. सिर्फ और सिर्फ पांच साल के एक कार्यकाल में जिस तरीके से राजीव ने पीएम के रूप में इनोवेशन पर जोर दिया, नींव तैयार की, उनके बाद के सभी प्रधानमंत्रियों ने उनकी जगाई अलख पर सबने काम किया. आज आईटी, टेलिकॉम समेत कई अन्य क्षेत्रों में भारत तेजी से आगे बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है, उसमें उस प्रधानमंत्री की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता. 20 अगस्त को राजीव गांधी की जयंती पर उनके योगदान को देश के हर नागरिक को जानना चाहिए.

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी साल 1984 से 1989 के बीच देश का नेतृत्व करते हुए तकनीक-प्रधान आधुनिकता, प्रशासनिक सुधार और विकेंद्रीकरण की दिशा में कई नींव रखीं. उन्हें भारत के आधुनिकीकरण के अगुवा के रूप में भी याद किया जाता है.

सूचना प्रौद्योगिकी और कंप्यूटिंग का प्रसार

राजीव गांधी ने कंप्यूटिंग और माइक्रो प्रोसेसर आधारित तकनीक को पॉलिसी लेवल पर स्वीकार किया. मंजूरी दी. उन्होंने आयात-उन्मुख बाधाओं में क्रमिक ढील, कम टैरिफ और घरेलू निर्माण को प्रोत्साहन देकर आईटी, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर उद्योग के लिए वातावरण तैयार किया.

उनके प्रयासों के बाद ही विश्वविद्यालयों व तकनीकी संस्थानों में कंप्यूटर शिक्षा, प्रोग्रामिंग लैब, और डेटा प्रोसेसिंग पाठ्यक्रमों को बढ़ावा मिला, जिससे बाद में आईटी सेवाओं के निर्यात का मजबूत आधार बना और आज भी भारत इस क्षेत्र में अग्रणी भूमिका अदा कर रहा है. तकनीक की इस तरक्की का असर बैंक, बीमा कंपनियों, डाकघर से लेकर हर सरकारी दफ्तर में किसी न किसी रूप में हम सब देख रहे हैं.

Rajiv Gandhi Birth Anniversary Technology

राजीव गांधी के प्रयासों से ही शिक्षण संस्थानों में कंप्यूटर शिक्षा की शुरुआत हुई, डेस्कटॉप से शुरू हुआ सफर लैपटॉप तक पहुंच गयाा.

टेलीकॉम क्रांति की आधारशिला

राजीव के पीएम बनने के समय भारत के शहरों में भी टेलीफोन सपना हुआ करता था. बुकिंग के वर्षों बाद भी टेलीफोन लग जाए तो मोहल्ले में मिठाई बंटती थी. क्योंकि आसानी से नहीं मिलता था फोन का कनेक्शन. लेकिन शपथ लेने के बाद धीरे-धीरे उन्होंने ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों तक टेलीफोन कनेक्टिविटी पहुंचाने के लिए सस्ती और स्वदेशी स्विचिंग तकनीकों पर जोर दिया गया.

सी-डॉट (C-DOT) जैसे संस्थान को प्रोत्साहन देकर इलेक्ट्रॉनिक स्विच, डिजिटल एक्सचेंज और लंबी दूरी के संचार नेटवर्क के विकास की गति बढ़ाई. पीएम के रूप में राजीव गांधी के इस शुरुआती प्रयोग और निवेश ने बाद में दूरसंचार उछाल की जमीन तैयार की. आज इस क्षेत्र की तरक्की किसी से छिपी नहीं है.

Rajiv Gandhi Birth Anniversary Telecom

पूर्व प्रधानमंत्री ने टेलीकॉम सेक्टर में क्रांति की आधारशिला रखी.

पंचायती राज और विक्रेंदीकरण

पीएम के रूप में राजीव गांधी ने स्थानीय स्वशासन को सशक्त बनाने के लिए ग्राम पंचायतों और शहरी निकायों को अधिक अधिकार, वित्तीय स्वायत्तता और प्रतिनिधित्व देने की राजनीतिक इच्छा-शक्ति दिखाई गई. 73वें और 74वें संवैधानिक संशोधनों की वैचारिक व नीतिगत तैयारी इसी दौर में परिपक्व हुई, जिसका उद्देश्य लास्ट-माइल गवर्नेंस सुनिश्चित करना, निर्णय प्रक्रिया को स्थानीय जरूरतों के करीब लाना, और विकास योजनाओं में नागरिक भागीदारी बढ़ाना था. आज ग्राम पंचायतों और स्थानीय निकायों का जो स्वरूप हमारे सामने है, उसमें इन संशोधनों का बड़ा योगदान है.

शिक्षा और साक्षरता पर फोकस

राजीव गांधी का विजन ही था कि विज्ञान और तकनीकी शिक्षा आगे बढ़ी. शैक्षिक संस्थानों में कंप्यूटर शिक्षा, और व्यावसायिक प्रशिक्षण की दिशा में पाठ्यक्रम-स्तर पर सुधार हुए. परिणामस्वरूप निजी कॉलेज खुलने लगे. स्कूलों और कॉलेजों में आधुनिक प्रयोगशालाएं, ऑडियो-विजुअल शिक्षण साधन, और कौशल-आधारित शिक्षा पर जोर दिया गया, ताकि युवा पीढ़ी नई अर्थव्यवस्था की जरूरतों के अनुरूप तैयार हो सके.

Rajiv Gandhi Birth Anniversary Lab

स्कूलों में आधुनिक प्रयोगशालाओं को बनाने का श्रेय भी पूर्व पीएम राजीव गांधी को जाता है.

आर्थिक उदारीकरण की प्रारंभिक पहल

आर्थिक उदारीकरण का श्रेय पीएम के रूप में पीवी नरसिंह राव और वित्त मंत्री के रूप में मनमोहन सिंह को जाता है लेकिन कम लोग जानते हैं कि इसकी भी नींव राजीव गांधी ने रख दी थी. उन्होंने ऐसी पॉलिसी को मंजूरी दी जिससे औद्योगिक लाइसेंस-राज में क्रमिक ढील दी गयी. आयात नीति में सुधार हुआ. उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल व अन्य विनिर्माण क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया गया. इससे उत्पादकता, गुणवत्ता और नवाचार में सुधार के लिए बाजार-आधारित संकेतकों को महत्व मिला और निजी निवेश का माहौल बेहतर हुआ.

विज्ञान, तकनीक और अनुसंधान का संवर्धन

दूरसंचार, इलेक्ट्रॉनिक्स, अंतरिक्ष और रक्षा अनुसंधान में समन्वित निवेश और नीति-सहयोग की शुरुआत भी उसी समय हुई. अनुसंधान संस्थानों की क्षमताओं को बढ़ाने और उद्योग-शैक्षणिक सहयोग के लिए प्रोत्साहन से वैज्ञानिक समुदाय को नीति-निर्माण में अधिक भागीदारी मिली, जिससे दीर्घकालीन तकनीकी आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त हुआ. आज जिस मजबूत भारत का स्वरूप हमारे सामने है, उसमें पीएम के रूप में राजीव गांधी की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता.

प्रशासनिक आधुनिकीकरण और ई-गवर्नेंस की सोच

सरकारी प्रक्रियाओं को सरल, पारदर्शी और समयबद्ध बनाने के लिए कंप्यूटरीकरण और डेटा-आधारित निर्णय प्रक्रिया को भी राजीव गांधी ने पीएम के रूप बढ़ावा दिया. बाद की सरकारों ने उसे अपने-अपने तरीकों से आगे बढ़ाया, चाहे राव सरकार हो, अटल सरकार हो या बाद में मनमोहन सिंह की सरकार हो. मौजूद पीएम नरेंद्र मोदी ने भी उस नीति को रफ्तार दी. आज डिजिटल युग का जो प्रभाव सामने है, दस्तावेज़ प्रबंधन, रिकॉर्ड-कीपिंग और सेवा-डिलीवरी के शुरुआती कंप्यूटरीकरण प्रयासों ने बाद के अनेक डिजिटलीकरण अभियानों को तेजी से आगे बढ़ाया. हम सब जानते हैं कि भारत आज डिजिटल हो चुका है.

Rajiv Gandhi Birth Anniversary

राजीव गांधी ऐसे पीएम थे कि वे हमेशा संवाद में भरोसा रखते. फोटो: INC

युवा नीति और नेतृत्व विकास

युवाओं को नीति-निर्माण के केंद्र में लाने के लिए कौशल-विकास, उद्यमिता और नेतृत्व के अवसरों पर राजीव ने बल दिया था. युवा संगठनों के माध्यम से सामाजिक-राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने की सोच ने लोकतांत्रिक सहभागिता का दायरा आगे बढ़ाया.

शांति, राष्ट्रीय एकता और आंतरिक संवाद

राजीव गांधी ऐसे पीएम थे कि वे हमेशा संवाद में भरोसा रखते. वे उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में बातचीत, समझौते और विकास-केंद्रित दृष्टिकोण पर बराबर जोर देते. असम, मिज़ोरम जैसे राज्यों में शांति समझौतों की पहल, और क्षेत्रीय शिकायतों को राजनीतिक संवाद से सुलझाने के प्रयास राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण थे. बातचीत की इसी शृंखला में वे श्रीलंका तक गए जहां उन पर हमला भी हुआ और श्रीलंका के ही लिट्टे समर्थकों ने उनकी हत्या की.

सार्वजनिक क्षेत्र में दक्षता और जवाबदेही

सार्वजनिक उपक्रमों की कार्यकुशलता, वित्तीय अनुशासन और स्वायत्तता पर चर्चा व सुधारों की शुरुआत की गई. लक्ष्य था सेवा की गुणवत्ता, उत्पादनशक्ति और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाना, ताकि सार्वजनिक क्षेत्र राष्ट्रीय विकास में अधिक प्रभावी भूमिका निभा सकें. आज सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां पूरी दुनिया में अपना और भारत का नाम रोशन कर रही हैं.

सूचना और मीडिया में आधुनिक दृष्टि

पीएम के रूप में राजीव ने जो तकनीकी विकास की यात्रा का संकल्प लिया, उसी का असर था कि देश में निजी टेलीविजन भी बड़े पैमाने पर आए. सैटेलाइट-आधारित संचार और जनसंचार के नए माध्यमों के प्रति सकारात्मक रुख ने शिक्षा, स्वास्थ्य और आपदा-सूचना जैसे क्षेत्रों में जनहित संचार को सुदृढ़ किया.

इस तरह पीएम के रूप में राजीव गांधी का कार्यकाल भारत की नीतियों में तकनीक-प्रधान आधुनिकीकरण, स्थानीय स्वशासन और संस्थागत सुधारों के शुरुआती, लेकिन निर्णायक कदमों के लिए याद किया जाता है. उनकी पहलों ने 1990 और 2000 के दशक के व्यापक आर्थिक, दूरसंचार और डिजिटल परिवर्तन के लिए जमीन तैयार की.

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