POJK भारत का अभिन्न अंग, वहाँ से होने वाला व्यापार ‘इंट्रा-स्टेट ट्रेड’ – उच्च न्यायालय

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने अपने एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा कि पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाला जम्मू कश्मीर (POJK) भारत का ही हिस्सा है। इसलिए POJK को भेजा जाने वाला कोई भी माल अंतरराष्ट्रीय व्यापार की श्रेणी में नहीं आएगा। लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) के पार होने वाला व्यापार राज्य के अंदर व्यापार […] The post POJK भारत का अभिन्न अंग, वहाँ से होने वाला व्यापार ‘इंट्रा-स्टेट ट्रेड’ – उच्च न्यायालय appeared first on VSK Bharat.

Dec 1, 2025 - 08:38
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POJK भारत का अभिन्न अंग, वहाँ से होने वाला व्यापार ‘इंट्रा-स्टेट ट्रेड’ – उच्च न्यायालय

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने अपने एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा कि पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाला जम्मू कश्मीर (POJK) भारत का ही हिस्सा है। इसलिए POJK को भेजा जाने वाला कोई भी माल अंतरराष्ट्रीय व्यापार की श्रेणी में नहीं आएगा। लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) के पार होने वाला व्यापार राज्य के अंदर व्यापार यानी ‘इंट्रा-स्टेट ट्रेड’ माना जाएगा।

उच्च न्यायालय का यह निर्णय उन याचिकाओं पर आया है जो क्रॉस-एलओसी व्यापार से जुड़ी थीं। व्यापार भारत और पाकिस्तान के बीच विश्वास बहाली के उपायों के तहत 2008 में शुरू हुआ था। लेकिन 14 फरवरी, 2019 को पुलवामा कार बम अटैक के बाद भारत ने ट्रेड रोक दिया था।

याचिकाकर्ताओं (व्यापारियों का समूह) ने सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स एक्ट 2017 के तहत CGST, श्रीनगर के सुपरिंटेंडेंट की ओर से जारी नोटिस को चुनौती दी थी। नोटिस 2017 (जीएसटी लागू होने) से 2019 (ट्रेड के सस्पेंशन तक) तक क्रॉस-LoC ट्रेड में इनवर्ड और आउटवर्ड सप्लाई के लिए थे। व्यापारियों का तर्क था कि क्रॉस-LoC ट्रेड दो देशों के बीच इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट ट्रेड था। इसलिए इसे जीरो-रेटेड सेल माना जाए यानी GST नहीं लगाया जाए।

जस्टिस संजीव कुमार और जस्टिस संजय परिहार की पीठ ने अपने निर्णय में कहा कि किसी भी तरफ से उपस्थित वकील इस बात पर बहस नहीं कर रहे हैं कि राज्य का वह इलाका जो अभी पाकिस्तान के डी-फैक्टो कंट्रोल में है, जम्मू और कश्मीर राज्य का हिस्सा है। न्यायालय ने कहा कि इसलिए इस मामले में सप्लायर्स की लोकेशन और सामान की सप्लाई की जगह जम्मू कश्मीर राज्य (अब केंद्र शासित प्रदेश) के अंदर थी और इसलिए उस टैक्स पीरियड के दौरान क्रॉस-LoC ट्रेड एक इंट्रा-स्टेट ट्रेड के अलावा और कुछ नहीं था।

रिपोर्ट्स के अनुसार, न्यायालय ने कहा कि वह इस बात की प्रशंसा करता है कि याचिकाकर्ताओं के वकील फैसल कादरी ने माना कि राज्य के दो हिस्सों के बीच क्रॉस-LoC ट्रेड साफ तौर पर इस बात का इशारा करता है कि यह ट्रेड इंट्रा-स्टेट है और दो देशों के बीच सामान के इम्पोर्ट या एक्सपोर्ट का ट्रेड नहीं है।

जब 2008 में भारत और पाकिस्तान के बीच दो तय जगहों, कश्मीर में उरी और जम्मू में पुंछ के जरिए क्रॉस-LoC ट्रेड शुरू हुआ था, तो यह ट्रेड जम्मू और कश्मीर वैल्यू एडेड टैक्स 2005 के तहत आता था।

एक्ट ने इस ट्रेड को जीरो-टैक्स ट्रेड बना दिया था और यह बिना करेंसी एक्सचेंज के बार्टर बेसिस पर किया जाता था। जब 2017 में GST लागू हुआ, तो इसने इस ट्रेड को टैक्स में छूट नहीं दी। हालांकि पिटीशनर्स ने क्रॉस-LoC ट्रेड को जीरो-रेटेड सेल मानना जारी रखा। अपने रिटर्न में क्रॉस-LoC ट्रांजैक्शन का जिक्र नहीं किया या इस अकाउंट पर कोई सेल्स टैक्स नहीं दिया। इस वजह से उन्हें लागू करने वाली एजेंसी से कारण बताओ नोटिस मिले, जिसे उन्होंने चैलेंज किया है।

भले ही न्यायालय ने याचिकाएं खारिज कर दीं, लेकिन उसने याचिकाकर्ताओं को एक राहत दी। न्यायालय ने कहा कि उनके पास कानून के तहत समान रूप से प्रभावी वैकल्पिक उपाय उपलब्ध हैं। इसलिए, उन्हें नोटिस का जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया।

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