अबला समझने की भूल मत करो, उसके अनेक रूप हैं: पलक गुप्ता

महिला को नारी, औरत, वनिता, कामिनी, रमणी, कांता, अबला, सुंदरी, अंगना, योषित् और न जाने कितने नामों से जाना जाता है। जैसे इसके नाम अनेक हैं, वैसे ही इसके रूप और कार्य भी अनेक हैं।

Mar 8, 2025 - 07:13
Mar 8, 2025 - 15:27
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अबला समझने की भूल मत करो, उसके अनेक रूप हैं: पलक गुप्ता
international womens day

8 मार्च एक ऐसी तारीख है, जिसे हम हर वर्ष अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाते हैं। यह दिन सभी महिलाओं को समर्पित होता है, अब सवाल ये है क्या महिलाएँ केवल एक दिन के सम्मान की हक़दार हैं? नहीं, महिलाओं के लिए सम्मान किसी एक दिन का मोहताज नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व के हर दिन का आधार महिलाओं से ही है।  

आज का समय वह है, जब महिलाएँ हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। विज्ञान हो या खेल, राजनीति हो या व्यवसाय—हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपना झंडा बुलंद कर अपना उल्लेखनीय योगदान दिया है। महिला वह होती है जो अपना सर्वस्व बलिदान करके अपने परिवार का ख्याल रखती है, अपनी चिंता किए बिना पहले अपनों के बारे में सोचती है। वह अपने परिवार और समाज के प्रति समर्पित होकर खुद को न्योछावर कर देती है, निस्वार्थ प्रेम करती है, सबसे सेवा भाव रखती है और सभी का ख्याल रखना उनके स्वभाव में होता है। वह झूठी हमदर्दी नहीं जताती, बनावटी रिश्ते नहीं बनाती और छल-कपट से दूर रहती है।  

महिला को नारी, औरत, वनिता, कामिनी, रमणी, कांता, अबला, सुंदरी, अंगना, योषित् और न जाने कितने नामों से जाना जाता है। जैसे इसके नाम अनेक हैं, वैसे ही इसके रूप और कार्य भी अनेक हैं। माँ, बहन, बेटी, बहू, पत्नी, मित्र—हर भूमिका में वह अपना कर्तव्य निभाती है और समाज को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।  

उसे अबला समझने की भूल मत करो, उसके अनेक रूप हैं—

जब वह लक्ष्मी बनती है, तो समृद्धि घर में आती है।

जब वह सरस्वती कहलाती है, तो विद्या और ज्ञान का प्रकाश लाती है।

जब वह दुर्गा का रूप धारण करती है, तो अन्याय का अंत कर महिषासुर मर्दिनी कहलाती है।  

विकसित विश्व के समय के साथ नारी भी विकसित हो रही है। जहाँ पहले महिलाएँ केवल घर-गृहस्थी तक संभालती थीं, वहीं आज वे घर के साथ-साथ बाहरी दुनिया में भी पुरुषों के समान योगदान दे रही हैं। किसी भी देश या समाज की उन्नति में जितना पुरुषों का योगदान होता है, उतना ही महिलाओं का भी होता है। हर क्षेत्र में महिलाओं की सफलता इस बात का प्रमाण है कि वे पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सकती हैं। वे केवल घर तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अपने अधिकारों के लिए लड़ सकती हैं और हर वह मुकाम हासिल कर सकती हैं, जिसकी वे हक़दार हैं।  

आज पूरा विश्व महिला दिवस मना रहा है, लेकिन महिलाओं का सम्मान केवल एक दिन तक सीमित नहीं होना चाहिए। महिलाओं के लिए कोई एक विशेष दिन नहीं, बल्कि हर दिन है। हालाँकि, समाज में अब भी महिलाओं के खिलाफ अपराध, शोषण और असमानता की घटनाएँ सामने आती हैं, जो उन्हें आगे बढ़ने से रोकने का प्रयास करती हैं। लेकिन आज की नारी अबला नहीं, सबला है—वह न तो डरेगी, न झुकेगी और न रुकेगी। वह अपने हक़ के लिए लड़ेगी और हर मंज़िल को प्राप्त करेगी, क्योंकि मेहनत और संकल्प से वह पीछे नहीं हटती।  

इसलिए, हमें यह समझना होगा कि महिलाओं का सम्मान केवल एक दिन नहीं, बल्कि हर दिन होना चाहिए। एक दिन महिला के लिए नहीं, बल्कि हर दिन महिला के सम्मान के लिए होना चाहिए। महिलाएँ समाज और विश्व को आगे बढ़ाने में पुरुषों के समान ही महत्वपूर्ण हैं, और इस सच्चाई को हमें स्वीकार करना ही होगा।

पलक गुप्ता

(दिल्ली विश्वविद्यालय)

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Abhishek Chauhan भारतीय न्यूज़ का सदस्य हूँ। एक युवा होने के नाते देश व समाज के लिए कुछ कर गुजरने का लक्ष्य लिए पत्रकारिता में उतरा हूं। आशा है की आप सभी मुझे आशीर्वाद प्रदान करेंगे। जिससे मैं देश में समाज के लिए कुछ कर सकूं। सादर प्रणाम।