भारत का राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक

भारतीय संविधान ने राष्ट्रपति को अनेक अलिखित अधिकार दिये हैं जिनके द्वारा वह अपनी महत्ता सिद्ध कर सकता है।

Mar 19, 2024 - 11:37
Mar 19, 2024 - 11:50
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भारत का राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक

राष्ट्रपति 


भारत का राष्ट्रपति देश का 'प्रथम नागरिक' होता है। वह देश की जल, थल और वायु-सेनाओं का सर्वोच्च कमाण्डर (सेनापति) होता है। देश के इस सबसे बड़े पद के बारे में बुद्धिमानों में मतभेद है। कुछ लोगों का कहना है कि राष्ट्रपति का पद अनेक अधिकारों से सज्जित होने पर भी अधिकार-शून्य है। तो कुछ दूसरे समझदारों के अनुसार भारतीय संविधान ने राष्ट्रपति को अनेक अलिखित अधिकार दिये हैं जिनके द्वारा वह अपनी महत्ता सिद्ध कर सकता है।President Election The first citizen of the country is the President and  the third Prime Minister so know what number do you come at - देश का पहला नागरिक  राष्ट्रपति होता है


भारत सरकार का प्रत्येक काम राष्ट्रति के नाम पर और राष्ट्रपति की ओर से होता है। संसद का चुनाव हो चुकने पर वह बहुमत दल के नेता को सरकार बनाने के लिए बुलाता है। सारी बातें समझ-बूझकर वह बहुमत-दल के नेता को प्रथान-मंत्री नियुक्त करता है। दूसरे मंत्रियों की नियुक्ति भी प्रधान-मंत्री की सलाह पर करता है। वैसे वह राष्ट्रीय सत्ता का प्रतिनिधि भर होता है और मंत्रि-परिषद के निर्णयों को मानने के लिए बाध्य होता है, परन्तु आपातकाल घोषित होने पर उसे कुछ बहुत महत्वपूर्ण अधिकार मिल जाते हैं। राष्ट्रपति पद के लिए आवश्यक योग्यताएँ

भारत का प्रथम नागरिक कौन होता है|| भारत का प्रथम नागरिक किसे कहते  हैं?#shorts - YouTube
(१) भारत का नागरिक हो।
(२) कम से कम पैतीस वर्ष का हो।
(३) लोक-सभा का सदस्य बनने की शर्तें पूरी करता हो।

(४) संघ-सरकार, राज्य सरकार या स्थानीय सरकार में किसी लाभ के पद पर न हो।
(५) नामांकन के लिए कम से कम दस प्रस्तावक और दस समर्थक सदस्य जुटा सकता हो।
राष्ट्रपति-पद पर खड़े होने वाले व्यक्ति को अब २५००-०० रु० जमानत के रूप में जमा करने पड़ते हैं जबकि पहले ऐसी कोई शर्त नहीं थी। वस्तुतः इन शर्तों द्वारा सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करने या तफरीहन खड़े हो जाने वाले लोगों पर रोक लगायी गयी है।

राष्ट्रपति का निर्वाचन


हमारे देश में राष्ट्रर्फत का निर्वाचन अप्रत्यक्ष रूप से होता है। यानी हम लोग विधान सभा, विधान परिषद और लोक-सभा, राज्य-सभा के लिए अपने प्रतिनिधि चुनते हैं जो समयानुसार हमारी ओर से हमारे राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं। भारत के राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मण्डल' द्वारा होता है जिसमें (क) संसद के दोनों सदनों के सदस्य (एम० पी०) और राज्यों की विधान- सभाओं तथा विधान परिषदों के सदस्य (एम० एल० ए०, एम० एल० सी०) शामिल होते हैं।

राष्ट्रपति का चुनाव 'अनुपाती प्रतिनिधित्व प्रणाली' के अनुसार 'एकल संक्रमणीय प्रणाली' द्वारा होता है। गुप्त मतदान में पचास प्रतिशत से ऊपर सबसे ज्यादा बोट पाने वाला व्यक्ति राष्ट्रपति बनाया जाता है। संसद और विधान-सभाओं तथा विधान परिषदों के चुनावों में ऐसी कोई शर्त नहीं होती अर्थात् पचास प्रतिशत से कम मत पाने वाला व्यक्ति भी दूसरे प्रत्याशियों से अधिक मत पाने के आधार पर सदस्य बन जाता है। परन्तु राष्ट्रपति पद पर चुने जाने के लिए पचास

प्रतिशत से अधिक मत पाना जरूरी है यानी यदि कोई दूसरे प्रत्याशियों से दुगने या तिगुने ज्यादा मत प्राप्त करने के बाद भी पचास प्रतिशत से कम मत प्राप्त करता है तो दूसरे प्रत्याशियों पर विजय प्राप्त करने के बावजूद वह राष्ट्रपति न बन सकेगा।

राष्ट्रपति का कार्य-काल


ऊपर लिखे गये तरीकों से चुना गया व्यक्ति पद-नग्रहण करने की तिथि से पाँच वर्ष तक राष्ट्रपति पद को सुशोभित करता है। पर वह चाहे तो इसके पूर्व भी पद-त्याग कर सकता है। यदि कभी ऐसी स्थिति आये या कार्य-काल पूरा करने से पहले ही राष्ट्रपति का देहान्त हो जाये या 'महाभियोग' (जिसके लिए संसद के दोनों सदनों के दो बटे तीन सदस्यों का बहुमत जरूरी है) द्वारा अपदस्थ कर दिया जाय तो नये राष्ट्र‌पति का चुनाव पुराने राष्ट्रपति के कार्य-काल के बचे हुए समय (वर्ष या महीने) के लिए न होकर पुनः पूरे पाँच वर्ष के लिए होता है।


राष्ट्रपति का पद रिक्त होते ही उप-राष्ट्रपति उसका कार्य- भार सम्हाल लेता है। यदि उप-राष्ट्रपति का पद भी खाली हो तो सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) का मुख्य न्यायाधीश अस्थायी रूप से राष्ट्रपति हो जाता है और नया राष्ट्रपति चुन लिये जाने तक राष्ट्रपति के कार्य निपटाता रहता है।


राष्ट्रपति का वेतन और भत्ता


भारत के राष्ट्रपति को दस हजार रुपये मासिक वेतन के अतिरिक्त कुछ भत्ते भी मिलते हैं। यह वेतन आय कर (इन्कम टैक्स) से मुक्त होता है। रहने के लिए बिना किराये का विशाल एवं सुसज्जित 'राष्ट्रपति भवन' मिलता है। अवकाश ग्रहण कर

लेने पर उसे पन्द्रह हजार रूपये वार्षिक पेन्शन के साथ-साथ निजी सचिवालय बलाने के लिए बारह हजार रूपये प्रति वर्ष मिलते हैं। बीमारी में उसका इलाज भी राष्ट्र की ओर से निःशुल्क होता है। पर 'महाभियोग' द्वारा हटाये गये व्यक्ति के लिए पेन्शन या अन्य भत्तों की कोई व्यवस्था नहीं है।


राष्ट्रपति के अधिकार


राष्ट्रपति को भारतीय संविधान के अन्तर्गत अनेक महत्वपूर्ण शक्तियाँ प्राप्त होती है। वह भारत सरकार की कार्यपालिका का वैधानिक अध्यक्ष होता है। वही सरकार बनाता है यानी संसद में बहुमत दल के नेता को प्रधान मंत्री बनाकर और उसकी सलाह से दूसरे मंत्रियों को नियुक्त करता है।


राज्यपालों, सर्वोच्व न्यायालय और दूसरे भी सभी न्यायालयों के न्यायाधीशों, लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों, महाधिवक्ता (एटार्नी जनरल), महालेखाकार (आडीटर जनरल) तथा विदेशों में भारत के राजदूतों की नियुक्ति भी राष्ट्रपत्ति ही करता है। ये सभी पदाधिकारी राष्ट्रपति की इच्छित अवधि तक ही अपने पदों पर रह सकते हैं।


भारत का राष्ट्रपति न्यायपालिका का भी अध्यक्ष होता है। वह मृत्युदण्ड-प्राप्त अपराधियों को क्षमा कर सकता है। दण्ड को घटा-बढ़ा सकता है। इस सम्बन्ध में राष्ट्रपति द्वारा दिया गया फैसला अन्तिम होता है जिस पर कहीं और कभी अपील नहीं की जा सकती।
संविधान के ३५२वे अनुच्छेद मे लिखा है कि यदि राष्ट्रपति को ऐसा विश्वास हो जाये कि बाहरी आक्रमण अथवा किसी आन्तरिक शक्ति या संगठन से पूरे देश या किसी भी भाग की सुरक्षा संकट में है तो वह 'आपात काल' (स्टेट ऑफ इमरजेन्सी) की घोषणा कर सारे या कुछ संवैधानिक अधिकर अपने हाथों में ले सकता है। सामान्यतः यह सब कुछ वह प्रधान मंत्री की सलाह पर करता है।


'आपात काल' की घोषणा होने पर राष्ट्रपति को कुछ विशेष और अतिरिक्त शक्तियाँ मिल जाती हैं। ऐसी स्थितियों में भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकारों में वह कटौती भी कर सकता है। राष्ट्रपति पर कभी भी और किसी भी कोर्ट में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता-अवकाश ग्रहण कर लेने पर भी उसका यह अधिकार सुरक्षित रहता है।


राष्ट्रपति-भवन


त्तीन सौ तीस एकड़ जमीन पर बना यह विशाल प्रासाद सन् १९२९ में बन कर तैयार हुआ। तीन सौ चालीस कमरों वाले इस महल में अनेक बड़े-बड़े कक्ष (हाल) हैं। सबसे बड़े कक्ष का नाम 'अशोक हाल' है जिसमें हमारे राष्ट्रपति विदेशी मेहमानों को भोज (लंब-डिनर) देते हैं और विदेशी राजनयिकों से मुलाकात करते हैं। राष्ट्रपति-भवन में ७५ झाड़-फानूस टाँगे गये हैं जिनमे अधिकांश विदेशों से मँगाये गये हैं।


'दरबार-हाल' में लगी पेन्टिग्स विश्व के मशहूर कलाकारों द्वारा बनायी हुई है। इसकी छत पर की गयी नक्काशी बेजोड़ और अत्यन्त आकर्षक है। आधी-आधी दीवाले बढ़िया टीक उड' से ढंकी है-फर्श भी समतल लकड़ी से पटरों से बँका है। 

पहले प्रवेश द्वार के भीतर जाते ही एक विशाल बुद्ध-प्रतिमा के दर्शन होते हैं। यह प्रतिमा गान्धार-काल की बनी बतायी जाती है। राष्ट्रपति-भवन में ३७ फव्वारे है जिनके हौजों में रंग-बिरंगी मछलियों तैरती रहती है। इसके पश्चिमी भाग में मशहूर मुगल गाउँन' है जिसके गुलाब तमाम दुनियाँ में प्रसिद्ध है। स्वतंत्रता- दिवस और गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्वों के अतिरिक्त फरवरी और मार्च में यह सर्व-साधारण के लिए खुला रहता है-दूसरे दिनों में इसे देखने के लिए अधिकारियों से विशेष आज्ञा लेनी पड़ती है।


आज्ञा मिल जाने पर अधिकारियों द्वारा नियुक्त प्रदर्शक (गाइड) की देख-रेख में इस विराट राज-प्रासाद के कुछ हिस्सो को देखा जा सकता है। इसे देखने जाने वालों को कुछ शर्तों का पालन करना होता है। इसके किसी भी भाग की फोटो नहीं ली जा सकती। इसलिए दर्शकों को कैमरा ले जाने की अनुमति नहीं है।


भारत की राजधानी दिल्ली की शान 'राष्ट्रपति-भवन' स्व- निर्भर राज्य-जैसा है। सामान्य दिनों में सार्वजनिक पानी-घर और बिजली-घर से पानी, बिजली प्राप्त करने बाले इस भवन का अपना पानी और बिजलीधर है। इसका अपना अलग अस्पताल भी है। इस तरह अनेक दृष्टियों से यह महल आत्मनिर्भर है।

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